आंध्र के बाद तेलंगाना से हटेगी टू चाइल्ड पॉलिसी, योजना से आखिर क्यों दक्षिण भारत में मची है खलबली
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आंध्र के बाद तेलंगाना से हटेगी टू चाइल्ड पॉलिसी, योजना से आखिर क्यों दक्षिण भारत में मची है खलबली

Telangana News: अगर तेलंगाना यह पॉलिसी खत्म करता है तो वह ऐसा करने वाला देश का छठा राज्य बन जाएगा. इससे पहले छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, और हाल ही में आंध्र प्रदेश ने इस पॉलिसी को समाप्त किया है.

आंध्र के बाद तेलंगाना से हटेगी टू चाइल्ड पॉलिसी, योजना से आखिर क्यों दक्षिण भारत में मची है खलबली

Telangana Child Policy: आंध्र प्रदेश के बाद अब तेलंगाना भी अपनी 'टू चाइल्ड पॉलिसी' को खत्म करने पर विचार कर रहा है. इस पॉलिसी के तहत दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से रोक दिया जाता था. आंध्र प्रदेश ने हाल ही में इस पॉलिसी को समाप्त किया है, और तेलंगाना के वरिष्ठ सरकारी सूत्रों का कहना है कि राज्य जल्द ही इस दिशा में कदम उठा सकता है.

तेलंगाना में बदल सकता है कानून
असल में तेलंगाना 2014 तक आंध्र प्रदेश का हिस्सा था. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक तेलंगाना इस पॉलिसी को खत्म करने के लिए अपने पंचायती राज अधिनियम, 2018 में संशोधन करेगा. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस प्रस्ताव को राज्य कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा. अधिकारी ने कहा, "राज्य में जनसंख्या तेजी से उम्रदराज हो रही है. 2047 तक हमें अधिक युवाओं की आवश्यकता होगी."

जनसंख्या घटने से बढ़ी चिंता
तेलुगु राज्यों में घटती जन्मदर और बढ़ती वृद्ध जनसंख्या को लेकर चिंता बढ़ गई है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने कहा था कि उनकी सरकार अधिक बच्चों वाले परिवारों को प्रोत्साहन देगी. आंध्र प्रदेश के जन सूचना मंत्री के. पार्थसारथी ने बताया कि राज्य की कुल प्रजनन दर (TFR) केवल 1.5 है, जो राष्ट्रीय औसत 2.11 से काफी कम है.

दक्षिणी राज्यों की राजपॉलिसीक चिंताएं
दक्षिणी राज्यों का मानना है कि परिवार नियोजन के सफल क्रियान्वयन के कारण वे केंद्र से करों के वितरण में "अन्याय" का सामना कर रहे हैं. 2026 में संभावित परिसीमन के बाद लोकसभा सीटों की संख्या में भी कमी आ सकती है. तेलंगाना के बीआरएस नेता के.टी. रामाराव ने केंद्र से अपील की कि आर्थिक प्रदर्शन के आधार पर सीटों की संख्या तय की जाए, न कि केवल जनसंख्या पर.

अन्य राज्यों का रुख
अगर तेलंगाना यह पॉलिसी खत्म करता है, तो वह ऐसा करने वाला देश का छठा राज्य बन जाएगा. इससे पहले छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, और हाल ही में आंध्र प्रदेश ने इस पॉलिसी को समाप्त किया है. राजस्थान ने सबसे पहले 1992 में यह पॉलिसी अपनाई थी, जिसके बाद 1994 में आंध्र प्रदेश और हरियाणा ने इसे लागू किया.

पॉलिसी के ऐतिहासिक कारण
'टू चाइल्ड पॉलिसी' 1981-1991 के बीच जनसंख्या नियंत्रण के प्रयासों के अपेक्षित परिणाम न मिलने के कारण लागू की गई थी. राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) ने सुझाव दिया था कि दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को सरकारी पदों से दूर रखा जाए.

हाल ही में नागपुर में एक कार्यक्रम में, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने जनसंख्या घटने पर चिंता जताई और तीन बच्चों की पॉलिसी की वकालत की. उन्होंने कहा कि अगर हमारी प्रजनन दर 2.1 से नीचे चली गई, तो समाज खुद ही खत्म हो जाएगा.

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य मानते हैं कि घटती जनसंख्या से उत्पादकता और विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. यूरोप के कई देशों की तरह, ये राज्य भी अधिक बच्चों वाले परिवारों को प्रोत्साहित करना चाहते हैं ताकि भविष्य में जनसंख्या की स्थिरता और आर्थिक विकास सुनिश्चित हो सके.

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