Underwear Case: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केरल के विधायक एंटनी राजू की याचिका पर केरल सरकार की तरफ से जवाब न देने पर नाराजगी जताई है. इसके बाद फेमस अंडरवियर केस की चर्चा फिर तेज हो गई है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला. क्यों अदालत ने केरल सरकार को लगाई फटकार.
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underwear case against Minister Antony Raju: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केरल के विधायक एंटनी राजू की याचिका पर केरल सरकार की तरफ से जवाब न देने पर फटकार लगाई है. न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने हालांकि केरल सरकार को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय दिया है. न्यायमूर्ति रविकुमार ने सुनवाई के दौरान कहा, "यह एक गंभीर मामला है, अगर आरोप एक तरफ ही लगते रहे तो अदालत में लोगों का विश्वास कम हो सकता है."
न्यायमूर्ति बिंदल ने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि आपने जवाब क्यों नहीं दिया? क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि आप आरोपियों के साथ मिले हुए हैं? आपको समय दिया जा रहा है, आप जल्द जवाब दीजिए.
33 साल पुराना मामला
असल में यह मामला 33 साल पुराना है. इस समय विधायक एंटनी राजू केरल कांग्रेस पार्टी के नेता हैं, जो केरल में सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) गठबंधन का हिस्सा है. पिछले साल कैबिनेट फेरबदल तक वह केरल के परिवहन मंत्री भी थे. राजू के खिलाफ जो मामला अदालत में अब चल रहा है वह लगभग 33 साल पहले का है. तब वह राजनीति में एक दम नए थे और केरल की अदालतों में प्रैक्टिस करते थे.
सबसे पहले जानिए क्या है घटना
1990 में एंड्रयू सल्वाटोर सेरवेली नाम के एक ऑस्ट्रेलियाई व्यक्ति को तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर अपने अंडरवियर में छिपाकर 61.5 ग्राम चरस की तस्करी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. इस मामले में राजू सेरवेली के वकील बने थे. उस समय राजू ने पहले निचली अदालत में सरवेली का प्रतिनिधित्व किया था. इस मामले में ऑस्ट्रेलियाई व्यक्ति को दोषी ठहराया गया और 10 साल कैद की सजा सुनाई गई.
मामले में नया मोड
हालांकि, मामले ने एक अजीब मोड़ तब हुआ जब सेरवेली उच्च न्यायालय पहुंच गया. और वहां सेरवेली की तरफ से जो सबूत पेश किए गए उस आधार पर उसे रिहा कर दिया गया. सबूत के तौर पर बताया गया कि जिस अंडरवियर में ड्रग्स की कथित तौर पर तस्करी की गई थी, वह अंडरवियर इतनी छोटी थी कि वह पहन ही नहीं सकता था. इसके चलते वह भी मामले से बरी हो गया. कुछ साल बाद जब सेरवेली के अपने देश लौट गया तो तस्करी मामले के जांच अधिकारी ने केरल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और यह पता लगाने के लिए जांच की मांग की कि क्या कोई सबूत छेड़छाड़ थी.
1994 में राजू और एक कोर्ट क्लर्क के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज की गई
जांच अधिकारी ने यह याचिका ऑस्ट्रेलियन नेशनल सेंट्रल ब्यूरो से प्राप्त कुछ सूचनाओं के आधार पर दायर की. इसके बाद 1994 में राजू और एक कोर्ट क्लर्क के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज की गई. 12 साल बाद 2006 में सहायक पुलिस आयुक्त ने मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष आरोप पत्र दायर किया. उच्च न्यायालय ने हालांकि पिछले साल मार्च में तकनीकी आधार पर निचली अदालत की कार्यवाही रद्द कर दी थी. लेकिन उच्च न्यायालय ने आदेश देते हुए कहा कि इस मामले में कार्यवाही हो, जिसके बाद से राजू के खिलाफ तिरुवनंतपुरम के ट्रायल कोर्ट में आपराधिक कार्यवाही का केस दोबारा स्टार्ट हुआ. इसके बाद राजू ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी कि उनके खिलाफ जो मामले फिर स्टार्ट हुए हैं. उस पर रोक लगाई जाए. जुलाई 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने राजू के खिलाफ शुरू की गई नई कार्यवाही पर रोक लगा दी थी और मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा था.