Cheetah In Kuno: तीन महीने के लिए बुनियादी ट्रेनिंग और चार महीने की एडवांस ट्रेनिंग के पूरा होने के बाद आज्ञाकारिता, सूंघने और ट्रैकिंग कौशल जैसे गुणों को विकसित करने में मदद मिलेगी. कुत्तों को अगले साल अप्रैल से काम पर लगाया जाएगा.
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Cheetah In India: पांच महीने की जर्मन शेफर्ड 'इलु' मध्य प्रदेश में 'सपर स्निफर' दस्ते में शामिल होने के लिए इंडो-तिब्बत सीमा पुलिस बल (आईटीबीपी) नेशनल ट्रेनिंग सेंटर फॉर डॉग्स में ट्रेनिंग ले रही है. हाल ही में छोड़ गए नामीबियाई चीतों को शिकारियों से बचाने के लिए इलू को जल्द ही मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में तैनात किया जाएगा. वह उन छह कुत्तों में शामिल हैं जिन्हें देश के विभिन्न राष्ट्रीय उद्यानों में वन्यजीवों की रक्षा के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है.
तीन महीने के लिए बुनियादी ट्रेनिंग और चार महीने की एडवांस ट्रेनिंग के पूरा होने के बाद आज्ञाकारिता, सूंघने और ट्रैकिंग कौशल जैसे गुणों को विकसित करने में मदद मिलेगी. कुत्तों को अगले साल अप्रैल से काम पर लगाया जाएगा.
प्रशिक्षण के दौरान, कुत्तों को बाघ और तेंदुए की खाल, हड्डियों, हाथी के दांत और शरीर के अन्य अंगों, भालू पित्त, रेड सैंडर्स और कई अन्य अवैध वन्यजीव उत्पादों का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा.
देश के राष्ट्रीय उद्यानों कुत्तों को तैनात किया जाएगा
इस शिविर में प्रशिक्षित सुपर खोजी दस्ते को महाराष्ट्र, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, गुजरात और तमिलनाडु के राष्ट्रीय उद्यानों में तैनात किया जाएगा. कुनो नेशनल पार्क में वन विभाग में कार्यरत इलू के हैंडलर संजीव शर्मा ने कहा, ‘कुत्ते अपने आकाओं के साथ एक अटूट बंधन विकसित करते हैं जो उन्हें अपने काम में उत्कृष्ट बनाता है.’
शर्मा ने आगे कहा कि इलू उनके लिए एक बच्चे की तरह है. वह सिर्फ दो महीने की थी जब उसने उसे प्रशिक्षण के लिए यहां चुना था. नियमों के अनुसार, कुत्ते पहले दिन से लेकर रिटायरमेंट के दिन तक एक ही हैंडलर के साथ रहते हैं.
संजीव ने कहा, "इलु को चीतों की रक्षा करने के लिए नहीं है क्योंकि वे अपनी रक्षा कर सकते हैं, इसे चीतों और अन्य जानवरों को शिकारियों से बचाने के लिए वन रक्षकों के साथ राष्ट्रीय उद्यान की परिधि में तैनात किया जाएगा."
पंचकूला में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (बीटीसी-आईटीबीपी) के बुनियादी प्रशिक्षण केंद्र के महानिरीक्षक ईश्वर सिंह दुहन ने कहा कि वे कुनो राष्ट्रीय उद्यान में तैनात किए जाने वाले कुत्तों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘विशेष प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के दौरान कुत्तों को बाघ की त्वचा और हड्डियों का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा. इन कुत्तों को हमारे द्वारा ट्रैफिक (एक वन्यजीव व्यापार निगरानी नेटवर्क) और WWF-इंडिया (वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर इंडिया) के सहयोग से प्रशिक्षित किया जा रहा है.‘
'प्रशिक्षित कुत्तों में वन्यजीव अपराध का पता लगाने की दर बहुत अधिक'
ईश्वर सिंह दुहन ने कहा, "आईटीबीपी कुत्ते प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षित कुत्तों में वन्यजीव अपराध का पता लगाने की दर बहुत अधिक है. कई सफलता की कहानियां हैं जहां कुत्तों ने शिकारियों की गिरफ्तारी और वन्यजीव प्रजातियों और उनके अवशेषों की बरामदगी में मदद की है."
अधिकारी ने आगे कहा कि रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने भारत में पहली बार वन्यजीव खोजी कुत्ता दस्तों को तैनात किया है और इससे उन्हें रेलवे नेटवर्क के माध्यम से प्रतिबंधित और दुर्लभ प्रजातियों के वन्यजीवों की तस्करी का पता लगाने में मदद मिली है.
बता दें वन्यजीव तस्करी का मुकाबला करते हुए, ट्रैफिक और WWF-इंडिया ने 2008 में देश का पहला वन्यजीव खोजी कुत्ता प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया था इस कार्यक्रम के तहत, कई कुत्तों को प्रशिक्षित किया गया है और वन्यजीव पार्कों में तैनात किया गया.
(इनपुट - ANI)
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