'दादा' के नाम से पहचाने जाने वाले अजित पवार के करीबी सहयोगी एवं विधान परिषद सदस्य अमोल मितकारी ने 'एक्स' पर कहा, 'बीड के बप्पा ने दादा को फोन किया है.' सोनवणे को उनके समर्थक प्यार से बजरंग बप्पा कहते हैं.
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लोकसभा चुनाव नतीजों का असर महाराष्ट्र में दिखना शुरू हो गया है. हालिया वर्षों से जो सियासी उथल-पुथल वहां मची थी, लोकसभा चुनाव नतीजों ने तस्वीर काफी हद तक साफ कर दी है. एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस-अजित पवार के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ महायुति (गठबंधन) को हार का सामना देखना पड़ा है. शरद पवार-उद्धव ठाकरे-कांग्रेस के महाविकास अघाड़ी गुट को फायदा मिला है. अब इन नतीजों का असर सबसे पहले महाराष्ट्र में क्यों दिखने लगा? उसका कारण ये है कि वहां अगले तीन महीनों के भीतर ही विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं इसलिए सियासी खेल अब शुरू हो गया है और एक-दूसरे को टटोला जा रहा है.
मिले सुर मेरा-तुम्हारा...
मसलन, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता एवं महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने सोमवार को पार्टी के स्थापना दिवस के अवसर पर अपने चाचा शरद पवार को 1999 में पार्टी की स्थापना के बाद से पार्टी को आगे बढ़ाने में उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा, 'मैं पिछले 24 वर्षों से पार्टी का नेतृत्व करने के लिए शरद पवार को धन्यवाद देना चाहता हूं, साथ ही उन सभी को भी जो पार्टी की स्थापना के बाद से इसके साथ बने हुए हैं.' सिर्फ इतना ही नहीं केंद्र सरकार में पार्टी की तरफ से किसी को मंत्री पद नहीं मिलने पर उन्होंने परोक्ष रूप से नाराजगी जताकर बीजेपी को भी संदेश दे दिया है. मुंबई में पार्टी के एक समारोह को संबोधित करते हुए अजित पवार ने एनसीपी के इस रुख को दोहराया कि वह नरेंद्र मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री पद से कम पर समझौता नहीं करेंगे. हालांकि साथ में उन्होंने ये भी स्पष्ट किया, ' हम अब भी एनडीए का हिस्सा हैं.' अजित पवार की पार्टी 4 सीटों पर लड़ी थी लेकिन उसको केवल रायगढ़ सीट से जीत हासिल हुई है.
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इसके अगले दिन मंगलवार को शरद पवार गुट के एक नवनिर्वाचित लोकसभा सदस्य के अजित पवार को फोन करने की सूचना आ गई. ऐसा दावा एनसीपी के एक नेता ने किया. उनके मुताबिक बीड से लोकसभा चुनाव जीतने वाले बजरंग सोनवणे ने राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार को फोन किया है. 'दादा' के नाम से पहचाने जाने वाले अजित पवार के करीबी सहयोगी एवं विधान परिषद सदस्य अमोल मितकारी ने 'एक्स' पर कहा, 'बीड के बप्पा ने दादा को फोन किया है.'
सोनवणे को उनके समर्थक प्यार से बजरंग बप्पा कहते हैं. सोनवणे ने इस दावे का खंडन किया और कहा कि वे अपनी आखिरी सांस तक शरद पवार के साथ रहेंगे. लोकसभा चुनाव में, सोनवणे ने बीड से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवार पंकजा मुंडे को हराया था.
पक रही सियासी खिचड़ी
इस बीच ये भी अटकलें लगी थीं कि अजित गुट के कुछ विधायक शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट में शामिल होने की योजना बना रहे हैं. इस पर अजित पवार ने कहा, 'विपक्ष कुछ भी कह सकता है. मेरे साथ लोगों का समर्थन हमेशा रहा है. मेरे विधायकों, विधान पार्षदों ने मुझे आश्वासन दिया है कि वे हमेशा मेरे साथ खड़े रहेंगे.' पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी भी अजित पवार ने अपने ऊपर ली. बारामती में उनकी पत्नी सुनेत्रा पवार को मौजूदा सांसद सुप्रिया सुले ने भारी अंतर से हराया.
उपमुख्यमंत्री ने इस बारे में कहा, 'परिणाम आश्चर्यजनक है, क्योंकि मुझे वहां हमेशा लोगों का समर्थन मिला.' यह पूछे जाने पर कि क्या वह एनसीपी के संस्थापक शरद पवार के साथ एक बार फिर हाथ मिलाएंगे, इस पर उन्होंने जवाब देते हुए कहा, 'पारिवारिक मामलों पर सार्वजनिक रूप से बात करने की जरूरत नहीं है.'
शरद पवार पर भाजपा के मंत्री का वो बयान
इससे पहले अजित पवार ने लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान के दौरान राज्य के भाजपा मंत्री चंद्रकांत पाटिल द्वारा शरद पवार पर की गई टिप्पणी को लेकर नाखुशी जताई थी. अजित पवार ने कहा था कि पाटिल को उनके चाचा के खिलाफ बयान नहीं देना चाहिए था. अजित पवार की पत्नी बारामती संसदीय क्षेत्र में सुप्रिया सुले से डेढ़ लाख से अधिक मतों के अंतर से हार गईं.
पाटिल ने शरद पवार की मजबूत पकड़ वाले क्षेत्र बारामती में संवादाताओं को संबोधित करते हुए उन्हें (शरद पवार को) हराने की अपनी मंशा स्पष्ट कर दी थी. पाटिल ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था, 'मैं और मेरी पार्टी के कार्यकर्ता चाहते हैं कि बारामती में शरद पवार हार जाएं और हमारे लिए इतना ही काफी है.'
तब अजित पवार ने पाटिल के बयान पर जवाब देते हुए कहा था, 'शरद पवार बारामती लोकसभा सीट पर प्रत्याशी नहीं हैं. यह पाटिल द्वारा दिया गया गलत बयान है. उनके द्वारा यह बयान देने के बाद हमने उनसे बारामती में चुनाव प्रचार नहीं करने को कहा है.' चुनाव नतीजों के बाद अजित पवार ने कहा, 'मैंने तब यह कहा था और अब भी मैं यह कह रहा हूं. लोगों ने उनका (पाटिल का) यह बयान पंसद नहीं किया कि वह (शरद) पवार को हराने के लिए बारामती आए हैं.' इन सारे बयानों को महाराष्ट्र की सियासत में अब अलग एंगल से देखा जा रहा है. इस साल के अंत में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के मद्देनजर विश्लेषकों के मुताबिक नई सियासी पिच तैयार की जा रही है.