What is Justice Rohini Panel: 2017 में केंद्र ने दिल्ली हाई कोर्ट की रिटायर्ड चीफ जस्टिस जी. रोहिणी की अगुआई में एक आयोग का गठन किया था, जिसका मुख्य मकसद सभी अन्य पिछड़ी जातियों (OBC) की पहचान करना और उन्हें सब-कैटेगरीज में क्लासिफाइड करना था.
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Lok Sabha Election 2024: नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Govt) अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सब-क्लासिफिकेशन के मामले में जस्टिस रोहिणी आयोग (Justice Rohini Aayog) की एक रिपोर्ट पर विचार कर सकती है. यह रिपोर्ट जुलाई में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupdi Murmu) को सौंपी गई थी.
अगर सरकार (Modi Government) अपनी सिफारिशों को लागू करने का फैसला लेती है, तो यह सत्ताधारी बीजेपी के लिए कुछ ही महीने दूर लोकसभा चुनाव के साथ एक प्रमुख ओबीसी आउटरीच की दिशा में एक तुरुप का पत्ता हो सकता है. यह मुद्दा देश के कुल मतदाताओं में से 40 प्रतिशत से ज्यादा यानी ओबीसी वोटर्स के भविष्य से जुड़ा है और यह एक गर्म बहस वाला राजनीतिक मुद्दा बनने की राह पर है.
क्या है मामला
2017 में केंद्र ने दिल्ली हाई कोर्ट की रिटायर्ड चीफ जस्टिस जी. रोहिणी की अगुआई में एक आयोग का गठन किया था, जिसका मुख्य मकसद सभी अन्य पिछड़ी जातियों (OBC) की पहचान करना और उन्हें सब-कैटेगरीज में क्लासिफाइड करना था.
रिपोर्ट में सिफारिशों को दो भागों में बांटा गया है. रिपोर्ट का पहला हिस्सा ओबीसी आरक्षण कोटा के न्यायसंगत और समावेशी वितरण से जुड़ा है. रिपोर्ट का दूसरा हिस्सा देश में वर्तमान में लिस्टेड 2,633 पिछड़ी जातियों की पहचान, जनसंख्या में उनके प्रोपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन और अब तक आरक्षण नीतियों से उन्हें मिले फायदों से जुड़े आंकड़ों पर है.
इससे पिछले 40 वर्षों से चली आ रही ओबीसी आरक्षण नीति (OBC Reservation) के वैचारिक ढांचे और व्यावहारिक कार्यान्वयन में बदलाव आने की संभावना है. रिपोर्ट के अनुसार, पैनल का कहना है कि विभिन्न जातियों और उप-जातियों को वर्गीकृत करने के पीछे का मकसद ओबीसी के बीच एक नया पदानुक्रम बनाना नहीं है, बल्कि सभी को समान अवसर पर रखकर सभी के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना है. मूल रूप से यह सभी जातियों और उपजातियों की समानता पर केंद्रित है.
(इनपुट-पीटीआई)