रिटायर्ड प्रोफेसर ने लगाया था जबरन आश्रम में रखने का आरोप, सुप्रीम कोर्ट की ओर से मिली बड़ी राहत
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रिटायर्ड प्रोफेसर ने लगाया था जबरन आश्रम में रखने का आरोप, सुप्रीम कोर्ट की ओर से मिली बड़ी राहत

Isha Foundation: ईशा फाउंडेशन ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. इसके साथ इस केश की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी.

रिटायर्ड प्रोफेसर ने लगाया था जबरन आश्रम में रखने का आरोप,  सुप्रीम कोर्ट की ओर से मिली बड़ी राहत

Esha Foundation: ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव को सुप्रीम कोर्ट की ओर से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी गुरुवार को ईशा फाउंडेशन के खिलाफ पुलिस जांच के आदेश पर रोक लगा दी है. ईशा फाउंडेशन से जुड़े मामले में पुलिस को जांच के आदेश पर रोक लगा दी. इस जांच में कोयंबटूर पुलिस को निर्देश दिया गया था कि वह उसके खिलाफ दर्ज सभी मामलों की जानकारी इकट्ठा करें और आगे विचार के लिए उन्हें अदालत में पेश करें. फाउंडेशन की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा कि लगभग 150 पुलिस अधिकारियों ने फाउंडेशन के आश्रम पर छापेमारी की है और हर कोने की जांच कर रहे हैं. पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के केश को खुद अपने पास रख लिया है. अब इस केस की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी. 

क्या है ईशा फाउंडेशन का पूरा मामला 

एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने हेबियस कॉर्पस पिटिशन की ओर से आरोप लगाया गया था कि उनकी दोनों बेटियों को कोयंबटूर के ईशा योग केंद्र में रहने के लिए गुमराह किया गया और इसके साथ फाउंडेशन ने उन्हें अपने परिवार के साथ कोई संपर्क नहीं बनाने दिया. हालांकि, इसके बाद मद्रास हाईकोर्ट ने पुलिस को आश्रम के खिलाफ जांच का आदेश दिया था.

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दोनों बेटियों से की बात 

न्यायाधीश मामले के तथ्यों के बारे में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दोनों बेटियों से निजी तौर पर बातचीत करने के लिए अपने कक्ष में गए. सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर को डॉ. एस कामराज द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर अंतरिम आदेश पारित किया था, जिसमें उन्होंने पुलिस को निर्देश देने का अनुरोध किया था कि वह उनकी दो बेटियों को अदालत के समक्ष पेश करें, जिनके बारे में उनका आरोप है कि उन्हें ईशा फाउंडेशन के अंदर बंदी बनाकर रखा गया है और उन्हें रिहा किया जाए.  याचिकाकर्ता तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर थे. उनकी दो बेटियां हैं और दोनों ने इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री ली है. दोनों ही ईशा फाउंडेशन से जुड़ी थीं. याचिकाकर्ता की शिकायत यह थी कि फाउंडेशन कुछ लोगों को गुमराह करके उनका धर्म परिवर्तन कर उन्हें ‘भिक्षु’ बना रहा है और उनके माता-पिता तथा रिश्तेदारों को उनसे मिलने भी नहीं दे रहा है.

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