Sri Lanka News: 'द वाशिंगटन पोस्ट' की रिपोर्ट के मुताबिक बीजिंग ने जिस तरह कोलंबों को कर्ज के जाल में फंसाया है उसका आंकड़ा हैरान करने वाला है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन की इस खतरनाक डिप्लोमेसी को आप श्रीलंका के अभूतपूर्व संकट की प्रमुख वजह मान सकते हैं.
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Chinese debt and Sri Lanka Crisis: श्रीलंका की बुरी हालत के लिए कौन किस हद तक जिम्मेदार है? इसका जवाब अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए (CIA) के मुखिया बिल बर्न्स (Bill Burns) ने दिया है. बिल ने इसका ठीकरा चीन पर किए गए उस भरोसे पर फोड़ा है. जिसकी वजह से इस आईलैंड कंट्री की हालत खस्ता हो गई है. दरअसल पिछले कुछ महीनों से, यहां खाने पीने के सामान, दवाओं, रसोई गैस और डीजल पेट्रोल की भारी किल्लत है. आसमान छूती महंगाई ने देश के आम आदमी की कमर तोड़ दी है. बाहर से सामान आयात करने के लिए विदेशी मुद्रा की कमी होने समेत हर दिक्कत के पीछे की बड़ी वजह चीन का वो कर्ज है जिसके दलदल से श्रीलंका बाहर नहीं निकल पाया.
चीनी ऑफर ठुकराना आसान नहीं
बिल ने कहा कि श्रीलंका के नेताओं द्वारा ऊंची ब्याज दरों पर लिया गया चीन का कर्ज देश के आर्थिक पतन के प्रमुख कारणों में से एक था. उन्होंने कहा चीन के पास ऐसे देशों को फंसाने के लिए चारा फेंकने के नाम पर विदेशी मुद्रा की कोई कमी नहीं है इसके अलावा को अपनी मुद्रा के इस्तेमाल की शर्तों की वजह से उसके निवेश के ऑफर इतने आकर्षक बन जाते हैं कि अधिकांश देशों के राजनेता उससे इनकार नहीं कर पाते हैं. एस्पेन सिक्योरिटी फोरम में अपने संबोधन में बर्न्स ने कहा कि दुनिया के हर देश को आज श्रीलंका की हालत पर ध्यान देना चाहिए. चीन का आकर्षक ऋण हासिल करने के लिए कई जगहों पर हकीकत में मूर्खतापूर्ण दांव लगाए गए और उनका नतीजा श्रीलंका की हालत के रूप में सामने आया जहां आर्थिक और राजनीतिक दोनों जगह परिणाम बहुत विध्वंसक और विनाशकारी रहे. बिल कहा, 'मुझे लगता है कि न केवल मिडिल ईस्ट और साउथ एशिया में बल्कि दुनिया भर में कई अन्य देशों के लिए ये वो सबक होना चाहिए ताकि उनसे भविष्य में श्रीलंका जैसी गलती न हो.'
दुनियाभर के एक्सपर्ट्स की राय
'द वाशिंगटन पोस्ट' की रिपोर्ट के मुताबिक बीजिंग, श्रीलंका का सबसे बड़ा लेनदार है. अमेरिकी खुफिया एजेंसी के चीफ ही नहीं बल्कि दुनियाभर के कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन की लोन ट्रैप डिप्लोमेसी ही श्रीलंका के अभूतपूर्व आर्थिक संकट की एक प्रमुख वजह बन गई है. चीन ने श्रीलंका में भारी निवेश किया और पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के साथ मिलकर काम करने का फायदा उठाया. साल 2000 से 2020 तक चीन ने श्रीलंका को करीब 12 अरब अमेरिकी डालर कर्ज दिया. रिपोर्ट में साफ किया गया है कि श्रीलंका की वर्तमात हालत की सबसे पहली दस्तक 2017 में मिली थी जब श्रीलंका एक बंदरगाह के निर्माण के लिए लिए गए 1.4 अरब डॉलर का लोन नहीं चुका पाने के चलते वैश्विक सुर्खियों में आया था.