बन्दुक की ताबड़तोड़ गोलियों से रावण हुआ छलनी, कई सालों से चली आ रही है यह अनूठी परम्परा
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बन्दुक की ताबड़तोड़ गोलियों से रावण हुआ छलनी, कई सालों से चली आ रही है यह अनूठी परम्परा

Pratapgarh: प्रतापगढ़ में बन्दुक की ताबड़तोड़ गोलियों से रावण को छलनी कर उसका वध करने की परंपरा रही है. कई सालों से यह अनूठी परम्परा चली आ रही है.

बन्दुक की ताबड़तोड़ गोलियों से रावण हुआ छलनी, कई सालों से चली आ रही है यह अनूठी परम्परा

Pratapgarh: प्रतापगढ़ जिले के खेरोट में दशहरे के महा पर्व पर बुधवार को हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी रावण के पुतले को बन्दुक की गोलियों से छलनी किया गया. स्थानीय आदर्श राजकीय उच्य माध्यमिक विद्यालय परिसर में रावण का पुतला बनाया गया. यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है ग्रमीणों के अनुसार जंहा पर रावण का पुतला बनाया जाता है.

यहां पहले लोग फसले काटकर ढेर लगाते थे फसल को आग नहीं लगे इसलिए रावण को जलाते नहीं है गोलियों से मारते हे. क्षेत्र के लाइसेंस बन्दुक धारियों द्वारा रावण को छलनी किया गया. सुबह से ही गांव में बड़े उत्सुकता का माहौल था. शाम को रावला मंदिर से हर वर्ष की भांति ठाकुर जी रथ में विराजमान होकर रावण के वध के लिए निकले जो स्कूल परिसर में पंहुच कर ठाकुर साहब महेंद्र सिंह सिसोदिया द्वारा भगवान राम के भाले से रावण की नाक काटी गयी व रावण पर प्रथम तीन लोगों को निशाना मारने वाले को पारितोषिक इनाम भी दिया गया.

रावण की पूजा आरती भी की गई व राम रावण के दो गुटों में अलग अलग खड़े होकर लोगो ने चौपाइयों में वाद संवाद भी किया साथ ही दोनों गुटों ने अपने अपने भगवान के खूब जयकारे लगाए. उसकेबाद ग्रमीणों द्वारा बन्दुक की गोलियों से छलनी किया गया. यह भव्य नजारा देखने जनसैलाब उमड़ा. खेरोट सहित आस पास क्षेत्र के कई गाँवो केरवास,झासडी,गंधेर,कुलथाना, बिलेसरि, खतोड़ि,आमलिखेड़ा से हजारो की तादाद में महिला पुरुष रावण स्थल पंहुचे.

Reporter- Vivek Upadhyay

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