अशोक गहलोत की वो चिंता जिसके बाद रद्द करने पड़े छात्र संघ चुनाव? जानें है क्या है पूरा मामला
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अशोक गहलोत की वो चिंता जिसके बाद रद्द करने पड़े छात्र संघ चुनाव? जानें है क्या है पूरा मामला

प्रदेश में छात्र संघ चुनाव करवाने को लेकर इस बार कई दिनों से असमंजस की स्थिति पर शनिवार देर रात आनन - फानन में आदेश जारी कर राज्य सरकार ने छात्र संघ चुनाव पर रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए.

अशोक गहलोत की वो चिंता जिसके बाद रद्द करने पड़े छात्र संघ चुनाव? जानें है क्या है पूरा मामला

Rajasthan Chatrsangh Chunav : प्रदेश में छात्र संघ चुनाव करवाने को लेकर इस बार कई दिनों से असमंजस की स्थिति पर शनिवार देर रात आनन - फानन में आदेश जारी कर राज्य सरकार ने छात्र संघ चुनाव पर रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए. छात्र संघ चुनाव पर रोक लगाने के पीछे मुख्य कारण प्रदेश भर के विश्वविद्यालयों में छात्र नेताओं द्वारा लिंग दोह कमेटी का पालन नहीं करना रहा.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को कहा कि प्रदेश में बंद पड़े छात्रसंघ चुनाव मैंने सरकार में आने के बाद ही शुरू करवाए थे. लेकिन आज इन चुनावों में प्रचार की क्या हालत हो गई है. छात्र नेताओं को देखकर लगता है कि विधायक-सांसद के चुनाव की तरह प्रचार किया जा रहा और पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है. सीएम ने कहा कि आखिर इतना पैसा इन लोगों के पास कहां से आता है? वहीं गहलोत ने कहा कि चुनावों के लिए लिंगदोह कमेटी बनाई गई थी लेकिन कहीं भी उसकी पालना नहीं हो रही है. 

चुनाव में लाखों रूपए खर्च

चुनाव के प्रसार- प्रचार को लेकर छात्र नेता लाखों रूपए खर्च कर देते हैं. इस बात का जिक्र खुद सीएम तक ने किया था ओर फालतू खर्च पर चिंता जताई थी. लेकिन सीएम की कही बात की सच्चाई यह बता बयां करती है कि राजस्थान विवि सहित अन्य विवि में जून माह से ही छात्रनेताओं ने अपनी तैयारी शुरू कर दी थी. जिसके चलते दो माह में ही छात्र संघ चुनाव के प्रचार-प्रसार को लेकर लाखों रूपये खर्च कर दिए. जुलाई के महीनों में छात्र संघ अध्यक्ष बनने की चाह में कई छात्र नेताओं ने लाखों रुपए उड़ा दिए. हालत यह रही की लग्जरी गाड़ियों से प्रचार प्रसार और अपने समर्थकों को लाने ले जाने के लिए ही हजारों रूपए का पेट्रोल डीजल खर्च कर दिया.

फॉच्यूनर, स्कॉपिर्यों, जीप, कैंपर जैसे चारपहियां वाहनों के अलावा पोस्टर और विज्ञापन के साथ ही आसपास के गांव से प्रचारक बुलाने पर छात्रनेता चुनावों की तारीख तय होने से पहले ही लाखों रुपए का खर्च कर चुके हैं. जबकि लिंगदोह कमेटी की सिफारिश अनुसार एक नेता प्रचार—प्रसार में केवल 5 हजार रुपए ही खर्च कर सकता हैं. लेकिन राजस्थान विवि में ही मौजूद हर छात्रनेता के पास आधा दर्जन से अधिक चौपहियां लग्जरी वाहन मौजूद हैं. हर संघटक कॉलेज के हिसाब से एक गाड़ी और समर्थक हैं. जिनके ईधन से लेकर समर्थकों के नाश्ता खाने पर रोजाना हजारों रूपए खर्च कर रहे हैं. ऐसे में रोजाना एक नेता एक हजार रुपए भी खर्च कर रहा है तो एक महीने में 30 हजार रुपए खर्च हो रहे हैं.  

छात्र नेताओं ने बताया, इसे लोकतंत्र की हत्या 

वहीं पूरे मामले को छात्रनेताओं ने लोकतंत्र की हत्या बताया है. नेताओं का कहना है कि कुलपतियों ने चुनाव बंद करने की सिफारिश इसलिए की है कि वह तानाशाह हो सकें और मनमानी से भ्रष्टाचार कर सकें. नेता चुनाव होने से छात्रों की आवाज उठाते है. जब चुनाव ही बंद हो जाएंगे तो फिर इनकी आवाज कौन उठाएगा 

एबीवीपी का कहना है कि परिषद की 3 अगस्त से 10 अगस्त न्याय पदयात्रा राजस्थान में हो रहे महिला उत्पीड़न, लगातार पेपर लीक से बेरोजगार युवाओं को न्याय दिलाने व भ्रष्टाचार के विरुद्ध की गई थी जिसको अपार जन समर्थन मिला. इस जन समर्थन से राजस्थान में कांग्रेस के नेतृत्व वाली अशोक गहलोत सरकार बौखला गई है. हालांकि एबीवीपी के शमशेर सिहं चौहान का कहना है कि चुनाव हमारे लिए महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि चुनाव बंद भी हुए तो हम कांग्रेस के खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे और छात्रों की आवाज बुलंद करेंगे.  

राज्य सरकार ने छात्र संघ चुनाव मामले में केविएट दायर की है जिसकी पैरवी राजस्थान के महाधिवक्ता करेंगे पहले राज्य सरकार का पक्ष हाईकर्ट में सुना जाएगा. याचिका जनहित में भी लगाई गई है एडवोकेट शांतनु पारीक ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका लगाई है. बरहाल देखना यह होगा की राजस्थान हाई कोर्ट क्या फैसला सुनाता है.

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