Gangaur 2024: गणगौर को लेकर महिलाओं में उत्साह, सामूहिक रूप निकाली शोभायात्रा, किया पूजन
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Gangaur 2024: गणगौर को लेकर महिलाओं में उत्साह, सामूहिक रूप निकाली शोभायात्रा, किया पूजन

Jodhpur News: चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी आज, 11 अप्रैल को गणगौर तीज मनाई जा रही है. इसी के तहत आज राजस्थान के जोधपुर में शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया. 

Jodhpur Gangaur Puja Zee Rajasthan

Rajasthan News: हिन्दू धर्म में गणगौर पूजा का विशेष महत्व होता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर तीज मनाई जा रही है. सुहागिनें पति की लम्बी आयु की कामना एवं कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए गणगौर माता यानी माता गौरा की विधि विधान से पूजा करती हैं. जोधपुर में भी गणगौर माता को लेकर उत्साह नजर आ रहा है. शहर में कई स्थानों के साथ घरों में महिलाएं गणगौर का पूजन कर रही हैं. 

ईसर व गणगौर माता का किया गया पूजन 
माहेश्वरी भवन में सुबह महिलाओं ने सामूहिक रूप से सज धज कर सिर पर कलश व लोटिया धारण कर शोभायात्रा निकाली. बैंड बाजों की धुनों पर शोभायात्रा में महिलाओं ने उत्साह दिखाया, तो कई महिलाएं नाचती गाती हुई चल रही थी. माहेश्वरी भवन पहुंचने पर उनके पतियों द्वारा लोटिया व कलश उनके सिर से उतारे गए. इसके बाद सभी महिलाओं ने सामूहिक रूप से विधि विधान के साथ ईसर व गणगौर माता का पूजन किया. इसके साथ ही कई महिलाओं द्वारा आज उद्यापन भी किया गया.

कैसे होती है गणगौर पूजा?
गणगौर होलिका दहन के दूसरे दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीया तक यानी 17 दिन तक चलने वाला त्यौहार है. विशेषकर राजस्थान में यह त्यौहार मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता गवरजा यानी की मां पार्वती होली के दूसरे दिन अपने पीहर आती है. आठ दिनों के बाद भगवान शिव ईसर जी उन्हे वापस लेने के लिए आते है. चैत्र शुक्ल तृतीया को उनकी विदाई होती है. सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं मिट्टी के शिव एवं माता पार्वती बनाकर प्रतिदिन पूजन करती है. इन 17 दिनों में महिलाएं रोज सुबह उठ कर दूब और फूल से दूध के छींटे मिट्टी की बनी गणगौर माता को देती है. चैत्र शुक्ल के द्वितीया के दिन किसी नदी तालाब या सरोवर पर जाकर अपनी पूजी हुई गणगौर को पानी पिलाती है. दूसरे दिन यानी चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया को शाम के समय उनका विसर्जन कर देती है. गणगौर के पूजा स्थल गणगौर का पीहर और विसर्जन स्थल ससुराल माना जाता है. विसर्जन के दिन सुहागिनें सोलह श्रृंगार करती है और दोपहर तक व्रत रखती है.

रिपोर्टर- राकेश कुमार भारद्वाज

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