जोधपुर के फलोदी,लोहावट और बाप में हुई मूसलाधार बारिश ने प्रशासन की पोल खोल कर रखी थी
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Jodhpur : जोधपुर के फलोदी और लोहावट विधानसभा क्षेत्र के साथ बाप उपखंड क्षेत्र के गांवों में हुई मूसलाधार बारिश ने जहां एक ओर खेतों के साथ घरों को जलमग्न कर दिया है. वही कई किसान परिवार बेघर होने के हालात का सामना कर रहे हैं. इस प्राकृतिक आपदा से निपटने में प्रशासन बिल्कुल लाचार दिखाई दे रहा है . जिसके चलते ना तो गांवों के घरों और खेतों में घुसा बरसात का निकालने में कोई संसाधन उपयोग में लिया गया और ना ही बचाव और राहत के कार्यों में प्रशासनिक तत्परता देखी गई.
वैसे तो गांव गांव ढाणी ढाणी बारिश ने कहर बरपाया है, लेकिन शहरी क्षेत्र में नगरपालिका,नगर निगम अपने संसाधनों के साथ राहत और बचाव का कार्य करने में कटिबद्ध रहते हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति बिल्कुल विपरीत है. यहां फलोदी,लोहावट और बाप में हुई मूसलाधार बारिश ने प्रशासन की पोल खोल कर रखी थी.
लोहावट क्षेत्र के जालोडा गांव की ढाणियों में किसान महावीर सिंह का खेत और ढाणी जलमग्न होकर एक तालाब की शक्ल में तब्दील हो गये. ऐसी हालत में एक किसान का परिवार पानी से लबालब खेत की मुंडेर पर पिछले तीन दिनों से बैठा किसी सकारात्मक राहत का इंतजार कर रहा है.
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ऐसी ही हालात जालोडा गांव की प्रत्येक ढाणियों के देखें जा सकती हैं. फलोदी और बाप के हालात भी बदतर हैं. क्षेत्र के लोर्डियां गांव में किसान के दो छोटे बेटे पिता के निधन हो जाने के बाद से गौपालन कर अपनी आजीविका चला रहे हैं, उनके पशु बाड़े में बरसात का पानी घुस जाने से गौवंशों का चारा पूरा का पूरा बहाव में बह गया. जिससे दैनिक रोजी-रोटी कमाने वाले इस परिवार को अब सरकार से सहायता की आस है.
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हालांकि इस क्षेत्र में अतिवृष्टि की सूचना मिलते हैं जनप्रतिनिधियों ने पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया, लेकिन किसानों का कहना है कि ग्राम पंचायत के अधिकारी ने यहां आना तक सही नहीं समझा. बहरहाल जो भी हो प्राकृतिक आपदा कब, कैसे ,कहा आ धमके इस बात का कोई अंदाजा नहीं लगा सकता, लेकिन प्रशासन और राज्य सरकार की तरफ से पूरी तैयारी करना पहली प्राथमिकता होती है.
ऐसे में लोहावट,बाप और फलोदी में जलभराव के दौरान पानी की निकासी को लेकर संसाधनों का अभाव खटकता है, उम्मीद है कि प्रशासनिक संसाधन प्रर्याप्त होते तो ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जलभराव के दौरान खुले में रात गुजारने को मजबूर होना पड़ेगा.
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