Jhunjhunu: इटली के एंड्रिया साइकिल से कर रहे विश्व भ्रमण, मंडावा पहुंचने पर स्थानीय लोगों ने किया स्वागत
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Jhunjhunu: इटली के एंड्रिया साइकिल से कर रहे विश्व भ्रमण, मंडावा पहुंचने पर स्थानीय लोगों ने किया स्वागत

Jhunjhunu News: इटली के एक युवक एंड्रिया ने साईकिल से विश्व भ्रमण करते हुए राजस्थान के झुंझुनूं के मंडावा पहुंचे. मंडावा पहुंचने पर स्थानीय लोगों ने एंड्रिया का स्वागत किया.  

फाइल फोटो

Jhunjhunu: प्रकृति को नजदीक से देखने की ललक के चलते इटली से निकला एक 27 वर्षीय युवक छह माह में साइकिल से 11 हजार 500 किलोमीटर का सफर तय कर झुंझुनूं जिले के मंडावा पहुंचा. इटली निवासी एंड्रिया ने करीब 200 दिन पहले इटली से अपनी यात्रा शुरू की थी. इसके साथ ही एंड्रिया ने 12 देश से होते हुए 18 दिन पहले भारत में प्रवेश किया. वहीं एंड्रिया भारत के अलग-अलग शहरों में घूमते हुए मंडावा पहुंचे. मंडावा पहुंचने पर एंड्रिया का मंडावावासियों ने खुब स्वागत किया.

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बॉर्डर से एंड्रिया ने भारत में प्रवेश किया
एंड्रिया ने बताया कि अलग-अलग जगहों की प्रकृति वहां के कल्चर को नजदीक से देखने तथा उन जगहों के लोगों से बात करने को लेकर साइकिल से भ्रमण करने की ठानी और करीब 200 दिन पहले अपनी साइकिल यात्रा को शुरू की. एंड्रिया की साईकिल यात्रा स्लोवेनिया, क्रोएशिया, अल्बानिया, बुल्गारिया, तुर्की, जॉर्जिया, आर्मेनिया, ईरान, पाकिस्तान होते हुए 18 दिन पहले भारत-पाक के वाघा बॉर्डर पर पहुंची. वाघा बॉर्डर से उन्होंने भारत में प्रवेश किया. भारत में प्रवेश करने के बाद अमृतसर, लुधियाना, नई दिल्ली, ऋषिकेश होते हुए मंडावा पहुंचे.

स्थानीय लोगों ने एंड्रिया की मदद की
आपको बता दें कि एंड्रिया ने अब तक 11 हजार 500 सौ किलोमीटर से भी ज्यादा का सफर साइकिल से तय किया है. एंड्रिया ने बताया कि वह साइकिल से अलग-अलग देश में यात्रा करके दुनिया को अपनी आंखों से देखने निकला है. इसके साथ ही एंड्रिया ने बताया कि कई बार इस सफर में उन्हें परेशानी का सामना भी करना पड़ा, मगर स्थानीय लोगों ने उनकी मदद की. 

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टेंट में गर्म स्लीपिंग शूट मौजूद है
एंड्रिया ने बताया कि रहने खाने का इंतजाम जहां जाता है, वहां के स्थानीय लोगों द्वारा कर दिया जाता है. इसके अलावा साथ में टेंट में गर्म स्लीपिंग शूट है. अगर कहीं सोने की व्यवस्था नहीं होती है तो वह पेट्रोल पंप या किसी अन्य जगहों पर अपना टेंट लगाकर आराम करते है. और फिर अगले दिन फिर से अपने सफ़र पर निकल जाते हैं.

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