जैसलमेर: लंपी स्किन से हजारों गायों की मौत, विभाग के पास इलाज नहीं, रो रहे पशुपालक
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जैसलमेर: लंपी स्किन से हजारों गायों की मौत, विभाग के पास इलाज नहीं, रो रहे पशुपालक

जैसलमेर जिले में पशु चिकित्सकों और मेडिकल स्टाफ की भारी कमी है. शुरुआत में जोधपुर, पाली, सिरोही, जालौर, बाड़मेर की टीमों ने 10 दिन जैसलमेर में रहकर सर्वे कर उपचार किया था लेकिन अब यह टीमें भी नहीं है.

जैसलमेर: लंपी स्किन से हजारों गायों की मौत, विभाग के पास इलाज नहीं, रो रहे पशुपालक

Jaisalmer: जैसलमेर जिले मे चार माह बाद भी गायों में फैली लंपी स्किन डिजीज पर अभी तक काबू नहीं पाया जा सका है. धरातल पर हालात चौकाने वाले है. 10 हजार से अधिक गायें इस बीमारी की चपेट में आ चुकी है. 

वहीं 1 हजार से अधिक गायें बीमारी से ग्रसित होकर काल का ग्रास बन चुकी है. बीमारी की शुरुआत अप्रैल के पहले सप्ताह से हुई थी. शुरुआत में कई जिलों की टीमें जैसलमेर पहुंची थी, जिसके बाद सर्वे और उपचार का काम शुरु किया गया. इस संबंध में न तो सरकार ध्यान दे रही है और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधि. हालात यह है कि जिले में स्वीकृत 124 पशु चिकित्सा केंद्र में से 75 केंद्रों पर ताला लगा हुआ है. वहीं चिकित्सकों व कर्मियों के स्वीकृत 272 पदों में 180 पद रिक्त चल रहे हैं.

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जैसलमेर जिले में अप्रैल माह के पहले सप्ताह में लंपी स्किन डिजीज बीमारी का मामला सामने आया था. जिसके बाद से गायों में यह बीमारी तेजी से फैलती गई. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, विभाग द्वारा 1 लाख 92 हजार 733 पशुओं का सर्वे किया गया. इसमें से 6559 गायें बीमारी से प्रभावित पाई गई. वहीं 5609 गायों का उपचार किया गया, जिसमें 5441 गायें रिकवर हो चुकी है और 183 गायों की मौत हो चुकी है. यह तो सिर्फ सरकारी आंकड़े है. धरातल पर 1 हजार से अधिक गायों की मौत हो चुकी है और 10 हजार से अधिक गायें बीमारी से ग्रसित हैं. जिले के अधिकांश लोग पशुपालन पर ही निर्भर हैं. ऐसे में गायों में फैली बीमारी से पशुपालक चिंतित हैं. गायों के मरने का सिलसिला थम नहीं रहा है. 

सरकार नहीं उठा रही ठोस कदम
पशुपालक गाय पालन कर अपनी आजीविका चला रहे हैं. ऐसे में कई पशुपालकों की गायें मर चुकी हैं. अब उनका रोजगार भी छीन गया है. परिवार का लालन पोषण करना भी भारी पड़ रहा है. जिले में करीब 5 लाख से अधिक गायें हैं. अभी तक 1 लाख 92 हजार गायों का सर्वे किया गया है. सरकार और पशु पालन विभाग द्वारा वायरस जनित इस बीमारी की रोकथाम को लेकर ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे है.

पशु चिकित्सकों और मेडिकल स्टाफ की कमी
जैसलमेर जिले में पशु चिकित्सकों और मेडिकल स्टाफ की भारी कमी है. शुरुआत में जोधपुर, पाली, सिरोही, जालौर, बाड़मेर की टीमों ने 10 दिन जैसलमेर में रहकर सर्वे कर उपचार किया था लेकिन अब यह टीमें भी नहीं है. विशाल भू-भाग में फैले जिले में स्थानीय चिकित्सकों के भरोसे इस बीमारी का रोकथाम कर पाना मुश्किल है. पशु चिकित्सकों की कमी के चलते भी दूर दराज के गांवों में पशुओं को इलाज नहीं मिल रहा है.

पशु चिकित्सकों की टीमें बनाई गई हैं
जैसलमेर जिला मुख्यालय से 200 किमी दूर गांव में बैठे पशुपालक भी निजी वाहनों से जिला मुख्यालय पहुंचने में असमर्थ है क्योंकि यहां पहुंचने में गाय की कीमत जितना खर्चा लग जाता है. पशुपालन विभाग के बहूउद्देशीय पशु चिकित्सालय के उपनिदेशक डॉ. उमेश वारगंटीवार ने बताया कि पशु चिकित्सकों की टीमें बनाई हुई हैं. टीमों द्वारा बीमारी पर नियंत्रण पाने के प्रयास किए जा रहे हैं. इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है. लक्षणों के आधार पर ही इलाज किया जा रहा है. स्टाफ की भारी कमी है. साधनों की भी कमी है, जिसके कारण काफी दिक्कतें आ रही है.

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