स्वच्छ सर्वेक्षण की रैंकिंग ने किया शर्मसार, राजस्थान की 25वीं, हैरिटेज की 171वीं और ग्रेटर की 173वीं रैंक
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स्वच्छ सर्वेक्षण की रैंकिंग ने किया शर्मसार, राजस्थान की 25वीं, हैरिटेज की 171वीं और ग्रेटर की 173वीं रैंक

Swachh Survekshan-2023: जयपुर और राजस्थान को स्वच्छ सर्वेक्षण की रैंकिंग ने किया शर्मसार,जयपुर नगर निगम हैरिटेज और ग्रेटर की रैकिंग का हुआ कचरा.राजस्थान की 25वीं और हेरिटेज निगम की 171वीं और ग्रेटर निगम 173वीं रैंक.

फाइल फोटो.

Swachh Survekshan-2023: स्वच्छता में एक बार फिर इंदौर सिरमौर बना और सूरत शहर ने भी पहले स्थान पर पहुंचकर ऊंची उड़ान भरी है.लेकिन स्वच्छता सर्वेक्षण में जयपुर नगर निगम हैरिटेज और ग्रेटर की रैकिंग का कचरा हो गया.स्वच्छ सर्वेक्षण की इस परीक्षा में दोनों नगर निगम 9500 में से 50 फीसदी भी अंक नहीं ला पाए.

कागजी खानापूर्ति के अलावा हम ग्राउंड लेवल पर भी फिसले हैं.दो-दो नगर निगम,अफसरों और कर्मचारियों की फौज,करोडों रुपए सफाई पर खर्च करने के बावजूद हमें रैंकिंग ने शर्मसारकर दिया.सड़कों पर झाडू लगाकर और कचरा गाड़ी चलाकर शूट हुआ.लेकिन स्वच्छता सर्वे में शूट हुआ फोटो साफ हो गया..

मैं जयपुर हूं.लेकिन शहरी सरकार की मुखिया और हुक्मरानों ने सब कचरा कर डाला.आखिर वही, हुआ जिसकी हमें आशंका थी.दो नगर निगम होने के बाद भी एक ही गम है, की हम स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 में फिसड्डी हैं.दो-दो नगर निगम होने के बाद भी हम लगातार पिछड़ते जा रहे हैं.स्वच्छ रैंकिंग में नंबर वन आने वाले शहर कचरे से कमा रहे हैं, इनोवेशन कर रहे हैं.लेकिन हम अभी तो घरों-सड़कों से कचरा तक नहीं उठा पा रहे हैं.

ये बडे शर्म की बात हैं.स्वच्छ सर्वेक्षण की परीक्षा में जयपुर के दोनों नगर निगम (हैरिटेज 49.31 और ग्रेटर 49.25 प्रतिशत) मिलकर भी इंदौर के बराबर 99.33 फीसदी अंक तक नहीं ला पाए.पिछले सर्वेक्षण में एक सकूं था की नगर निगम हैरिटेज की राष्ट्रीय स्तर पर 33वीं और नगर निगम हैरिटेज की 26वीं रैंक थी.लेकिन इस बार जारी स्वच्छता सर्वे रिपोर्ट में हेरिटेज निगम 171वीं और ग्रेटर निगम 173वीं रैंकिंग रही है.जो की पिंकसिटी के लिए शर्मशार कर देने वाली खबर हैं.

हालात तब हैं जब नगर निगम ग्रेटर की मुखिया डॉक्टर सौम्या गुर्जर खुद झाडू हाथ में लेकर सफाई में जुटी हैं.शहर की सडकों पर पडा कचरा खुद उठा रही हैं.कचरा गाडी खुद चला रही हैं.उधर नगर निगम हैरिटेज की मेयर भी शहर की सडकों पर दौरा करती हुई नजर आ रही हैं.स्वच्छ सर्वेक्षण की रिपोर्ट को देखे तो पिछले साल की अपेक्षा इस बार ग्रेटर निगम 140 और हेरिटेज 145 पायदान फिसल गया.

गत साल हेरिटेज निगम की 26वीं और ग्रेटर की 33वीं रैंकिंग रही थी.वहीं, राज्यों में भी राजस्थान की रैंकिंग ने शर्मसार किया हैं.27 राज्यों में राजस्थान 25वें नम्बर पर रहा, जबकि पिछली बार आठवें नम्बर पर था.महाराष्ट्र ने इसमें बाजी मारी.ज्यादातर निकायों में जनप्रतिनिधि काम से ज्यादा नेतागिरी चमकाने में व्यस्त रहे.लगातार काम में दखल होता रहा.खुद की चहेती कंपनियों को सफाई के टेंडर तक दिलाए गए.

काम में लापरवाही होने पर उन्हीं कंपनियों को बचाते रहे.कई निकायों में तो महापौर, सभापति ही सक्रिय नहीं रहे.स्वच्छ सर्वेक्षण में रैकिंग गिरने पर यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने भी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा की दूसरे शहर जब कचरे से इनोवेशन और पैसा कमा रहे हैं तो फिर हम कचरा तक क्यों नहीं उठा पा रहे हैं.उन्होने कहा की किसी बीमारी को ठीक करने में समय लगता है उसी तरह इसे भी ठीक करने में समय लगेगा.

जयपुर में एक बडी कंपनी को सफाई का ठेका दे रखा है.वो कंपनी आगे काम को सबलेट कर देती है.छोटे ठेके होंगे तो काम अच्छा होगा.दो से तीन दिन बार सफाई व्यवस्था को लेकर एक बैठक लेंगे.सफाई के नाम पर खर्च करने के बाद भी रैंकिंग में क्यों पिछड़ रहे हैं इसका जबाव मांगा जाएगा.हम इंदौर और सूरत जैसे शहरों में जाकर देखेंगे वहां किस तरह से सफाई को लेकर काम होता है.

प्रदेश के शहरों की रैंकिंग ही 171 से शुरू हुई जिसमें नगर निगम हैरिटेज आगे रहा.जबकि ग्रेटर निगम 173वें स्थान तक बमुश्किल पहुंच पाया.वर्ष 2022 में हैरिटेज 26 और ग्रेटर की 33 वीं रैंक थी. प्रदेश में हेरिटेज फिर से प्रथम और ग्रेटर को दूसरा स्थान मिला है.

इस बार भी रेकिंग में हेरिटेज निगम आगे रहा और ग्रेटर निगम फिर पीछे रह गया.जबकि दोनों नगर निगम कुल बजट का 43 फीसदी तो कचरा प्रबंधन पर ही खर्च कर देते हैं यानी की दोनों शहरी सरकारों का बजट करीब 1800 करोड़ रुपए है.इसमें से 738 करोड़ रुपए कचरा प्रबंधन व सफाई व्यवस्था पर खर्च होते हैं.ग्रेटर नगर निगम एक रुपए में से 45 पैसा और हेरिटेज निगम 41 पैसा खर्च करता है.

इसके बाद भी हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। जिस गति से दोनों नगर निगम नंबर एक की ओर बढ़ रहे हैं, वहां तक पहुंचने में तकरीचन 10 वर्ष लग जाएंगे.दरअसल केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने देश के 4447 शहरों की साफ-सफाई को लेकर सर्वे किया था.इसमें कुल 9500 अंक का सर्वे शामिल किया गया था.

इसमें सर्विस लेवल प्रोग्रेस पर 4525, सर्टिफिकेशन पर 2500 और पब्लिक फीडबैक के 2475 अंक निर्धारित किए गए.लेकिन हेरिटेज नगर निगम कुल अंकों में से मात्र 4685.5 और ग्रेटर नगर निगम मात्र 4679.6 अंक हासिल कर सका.परेशान करने वाली बात यह है कि देश के शहरों के बीच प्रतिस्पर्द्धा बढ़ी तो प्रदेश के नगरीय निकाय पिछड़ते गए.पिछली बार दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों के बीच रैंकिंग में थोड़े आगे बढे और इस बार एक लाख से ज्यादा आबादी वाले सभी शहरों को शामिल किया तो बुरी तरह पिछड़ गए.ऐसे शहरों की संख्या 446 है.इनके अलावा नगर निगमों में जोधपुर,कोटा,अजमेर,उदयपुर,भरतपुर शहरों का नम्बर तो काफी पीछे चल गया.

 क्यों जयपुर का हुआ कचरा

1-दोनों ही नगर निगमों में पिछले कुल सालों से दोनों मेयर कुर्सी बचाने में लगी और शहर में सफाई का कचरा होता चला गया.शहर के हेरिटेज निगम में तत्कालीन सरकार का बोर्ड कायम था..विधायकों और मेयर के बीच चल रही लड़ाई की वजह से तीन साल में समितियों का गठन तक नहीं कर पाए.सरकार के विधायक शहर की सफाई पर ध्यान देने की अपेक्षा एक-दूसरे की टांग खिंचाई में लगे रहे.वहीं ग्रेटर निगम में मेयर और अधिकारियों के बीच विवाद होता रहा.

2-बीजेपी सरकार में डोर टू व्यवस्था लागू की.लेकिन अब तक दोनों निगमों में करीब 1100 ओपन डिपो चल रहे हैं.इनमें से ग्रेटर में 663 और हेरिटेज में 367 है.

3-हूपरों की मॉनिटरिंग के कुछ रुपये पर जीपीएस तो लगे हुए हैं.लेकिन इनकी मॉनिटरिंग के लिए कंट्रोल सिस्टम नहीं बना हुआ है.शहर का से कचरा उठा कर लांगडियावास और मधुरादासपुरा भेजा जा रहा है.यहां पर कचरा के पहाड़ लगे हुए हैं.इन्हें हटा कर साइंटिफिक तरीके से प्रोसेस कर हटाकर पेड़-पौधे लगाकर ब्यूटीशियन किए जा सकते हैं.

4-गीला-सूखा कचरा अलग-अलग निस्तारण नहीं होना.हूपरों की मॉनिटरिंग के लिए ऑफिस में इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर नहीं होना.शहर में सफाई की मॉनिटरिंग के लिए कैमरे लगाना जरूरी है,ताकि गंदगी फैलाने वालों का चालान हो.सूरत-इंदौर में पूरे शहर में कैमरे लगाए गए.इससे गंदगी फैलाने वालों पर 24 घंटे निगरानी होती है.कोई भी व्यक्ति अगर खुले में कचरा फेंकता तो उस पर जुर्माना लगाने की कोई कार्रवाई करते हैं.

5-अधिकारियों ने कॉल सेंटर्स पर आने वाली शिकायतों पर ध्यान ही नहीं दिया.समय पर निस्तारण नहीं हुआ तो लोग परेशान रहे.सिटीजन वाइस स्वच्छता सर्वेक्षण टीम को 1564 ने ही फीडबैक दिया.लोगों ने सफाई सुधार में खास रुचि नहीं दिखाई.शहर को स्वच्छ बनाने में पानी, बिजली, रोड, ब्रिज, हेल्थ, एजुकेशन, बीआरटीएस, सिटी बस, मेट्रो, फायर, स्मार्ट सिटी, टाउन प्लानिंग, लैंड डवलपमेंट सहित सभी विभागों को योगदान होता है.

ये बस डिपॉर्टमेंट अलग-अलग काम कर रहे हैं। एक दूसरे में सांमजस्य नहीं है.

6-नगर निगम ग्रेटर और नगर निगम हैरिटेज में सफाई छोड़ अधिकतर सफाई कर्मी ऑफिसों में अफसरों की सेवा में लगे हैं.दोनों नगर निगम शहर में साफ- सफर्ड करने वाले कर्मचारियों के लिए जूझ रहा है.स्वच्छता सर्वेक्षण में लगातार पिछड़ रहा है.
7-कचरा मुक्त शहर के लिए प्रभावी काम नहीं किया। अब तक गीला व सूखा कचरे को अलग-अलग संग्रहित करने व्यवस्था ही नहीं। निकाय प्रमुख कचरा संग्रहण व्यवस्था को नियमित चला नहीं पाए.

8--निर्माण एवं तोड़फोड वेस्ट (कंस्ट्रक्शन एण्ड डिमोलिशन वेस्ट) किसी भी शहर में शुरू नहीं.
9-अपेक्षित जनभागीदारी नहीं करा पाए, जबकि ऐसे हर काम में लोगों का जुड़ाव होना बेहद आवश्यक है.

सूरत में यूं बदली तस्वीर और नंबर वन का खिलाब

1-सूरत को नंबर वन लाने के लिए जनआंदोलन चलाकर समझाया कि गीला-सूखा कचरा अलग रखें
2-इंट्रीग्रेटेड कमांड सेंटर बनाया.शहर में कैमरे लगाए.कचरा फेंकने वालों पर जुर्माना लगाया
3-वाहन सवारों ने थूका भी तो चालान भिजवाए.कचरे से प्रोडक्ट, मलबे से सड़कों के ब्लॉक बनवाए
4-काम टाइमलाइन से पूरे हों.चौराहों का सौंदयोंकरण, पेटिंग्स से सड़कों को संवारा गया
5-पब्लिक टॉयलेट्स की 100% सफाई नियमित होती है.
6-कचरा रीयूज कर सीएनजी, खाद बनाने जैसे प्रयोग से नंबर-1 बने
7-सूरत में शहरी विकास के सभी काम महानगर पालिका देखती है
8-जयपुर में अलग-अलग बॉडीज हैं.इनके लिए समन्वय अधिकारी तैनात हो.

हर बार क्यों पिछड़ रहा जयपुर, इंदौर की तुलना में हम कहां कमजोर?

27 राज्यों में हम 25वें नम्बर पर
पहला स्थान- महाराष्ट्र (3721.55 अंक)
दूसरा स्थान- मध्य प्रदेश (3657.92 अंक )
तीसरा स्थान- छत्तीसगढ़- (3425.41 अंक)
पच्चीसवां स्थान- राजस्थान (1212.14 अंक)

पिछले तीन वर्ष में प्रदेश की स्थिति

वर्ष 2021- 12वीं रैकिंग
वर्ष 2022- 8वीं रैंकिंग
वर्ष 2023- 25वी रैंकिंग

जयपुर की रैंकिग पर नजर

साल          रैंकिंग
2017         215
2018           39
2019          44
2020         28

2021 नगर निगम हैरिजट 32 और ग्रेटर की 36 रैंक
2022 नगर निगम हैरिजट 26 और ग्रेटर की 33 रैंक
2023 नगर निगम हैरिजट 171 और ग्रेटर की 173 रैंक

बहरहाल,हर बार सफाई में टॉप में आने का अलाप रागने वाले दोनों नगर के मेयर और अफसर अब निगम स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 की तैयारी कर रहे हैं.नियमित रूप से बैठकें हो रही हैं.

लेकिन, बैठकों के साथ साथ जमीन पर उत्तरकर काम करना होगा.जिन अधिकारियों की सुबह निरीक्षण में ड्यूटी लगाई गई ये काम कर रहे है? या फिर इनका निरीक्षण निरीक्षण रस्म आदायगी तक सीमित है, यह भी देखना होगा.क्योंकि यह परम्परा कई वर्ष से चली आ रही है.राजधानी में हूपर्स की कमी नहीं हैं.फिर कचरा सड़कों पर क्यों आ रहा है? गीला-सूखा कचरा अलग करने में क्या दिक्कत आ रही है? इस सवाल का जवाब भी तलाशना होगा.

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