BJP के साथ ही ''संविधान हत्या दिवस'' में RSS भी कूदा, आपातकाल निश्चित रूप से गलत था -संघ
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BJP के साथ ही ''संविधान हत्या दिवस'' में RSS भी कूदा, आपातकाल निश्चित रूप से गलत था -संघ

Jaipur News: देश में 25 जून 1975 आपातकाल लगाया गया था. आजाद भारत के लोग सरकार के गुलाम बनकर रह गए थे. आम लोगों की स्वतंत्रता समाप्त कर दी गई थी

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Jaipur News: देश में आपातकाल को लेकर 25 जून को लोकतंत्र हत्या दिवस मनाने के मामले में भाजपा के साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक भी कूद पड़ा है. संघ ने स्पष्ट किया कि आपातकाल निश्चित रूप से गलत था. अब देश में लोकतंत्र की स्थापना हुई है.

देश में 25 जून 1975 आपातकाल लगाया गया था. आजाद भारत के लोग सरकार के गुलाम बनकर रह गए थे. आम लोगों की स्वतंत्रता समाप्त कर दी गई थी और सरकार तय करने लगी थी कि वे कितने बच्चे पैदा करेंगे, क्या बोलेंगे, क्या देखेंगे. आम लोग तो छोड़ ही दें, 21 महीनों तक विपक्ष के सभी नेता या तो जेल में बंद कर दिए गए थे या फिर वे फरार थे. संसद, अदालत, मीडिया किसी में उनके खिलाफ बोलने की ताकत नहीं रह गई थी. केंद्र सरकार ने इसी तारीख को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया. केंद्र के इस निर्णय पर भाजपा नेता लगातार प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं.अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी कह दिया कि देश में आपातकाल निश्चित रूप से गलत था.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने आपातकाल को लेकर निशाना साधा. 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाने पर आंबेकर ने कहा कि 1975 में लगाया आपातकाल निश्चित रूप से गलत था. संघ ने समय समय पर इमरजेंसी का विरोध जताया है. इमरजेंसी में संघ के कार्यकर्ता जेल भी गए थे. आपातकाल लगाना गलत था, लोकतंत्र में ऐसी बातें नहीं होनी चाहिए. आपातकाल के विरोध में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने संघर्ष भी किया था और संघ के सैकड़ों कार्यकर्ताओं को प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी थी. अब देश में लोकतंत्र की स्थापना हुई है.

इससे पहले केंद्र सरकार के निर्णय को लेकर राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि आज की पीढ़ी को लोकतंत्र के इतिहास के काले दिवस की जानकारी होनी चाहि. उस समय लोकतंत्र को खत्म कर दिया गया था. मीडिया पर भी सेंसरशिप लगा दी गई थी. लोगों के सारे अधिकार छीन लिए गए थे.

राज्य के गृहराज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने कहा कि लोगों को पता होना चाहिए कि उस समय देश को किन यंत्रणाओं से गुजरना पड़ा था. आज की पीढ़ी के लिए जानना जरूरी है.

डेयरी पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने भी कहा कि उस समय संविधान की हत्या कर दी गई थी. देश की जनता की सभी प्रकार की आजादी छीन ली गई थी. लोगों को स्वतंत्र रूप से न बोलेने का हक था और यहां तक की आजादी से सांस ले नहीं सकते थे.अब सरकार ने निर्णय लिया तो लोगों को इसकी जानकारी मिलेगी.

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