Sheetala Ashtami 2023 : 15 मार्च को शीतलाष्टमी, भूलकर भी ना करें ये गलती
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Sheetala Ashtami 2023 : 15 मार्च को शीतलाष्टमी, भूलकर भी ना करें ये गलती


हिंदू पंचांग के हर साल चैत्र के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाता है. 8 मार्च की होली के बाद 8 दिन के बाद माता शीतला का विधि विधान से पूजा होगी.  15 मार्च को होने वाली शीतलाष्टमी को बसोड़ा पूजा भी कहा जाता है.

Sheetala Ashtami 2023 : 15 मार्च को शीतलाष्टमी, भूलकर भी ना करें ये गलती

Sheetala Ashtami 2023 : हिंदू पंचांग के हर साल चैत्र के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाता है. 8 मार्च की होली के बाद 8 दिन के बाद माता शीतला का विधि विधान से पूजा होगी.  15 मार्च को होने वाली शीतलाष्टमी को बसोड़ा पूजा भी कहा जाता है.

शीतला अष्टमी पूजा विधि( Sheetala Ashtami Puja Vidhi)
शीतला अष्टमी का व्रत संतान की सेहत और लंबी उम्र के लिए रखा जाता है. माता शीतला को चेचक और खसरा जैसे रोगों से बच्चों को बचाने वाली देवी के रूप में जाना जाता है.  माता शीतला की पूजा के लिए एक दिन पहले शाम को भोग और प्रसाद (Prasad) तैयार कर लिया जाता है. शीतला अष्टमी के दिन जो भोजन किया जाता है वो बासी ही होना चाहिए.

अष्टमी के दिन स्नान के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद माता शीतला के मंदिर जाकर लस्सी और दूध अर्पित किया जाता है. स्कंद पुराण में बताया गया है कि शीतला माता की अर्चना के लिए शीतलाष्क स्त्रोत का पाठ किया जाता है. पूजा समाप्ति और व्रत के पारण के बाद महिलाएं बासी भोजन का सेवन करती हैं. 

शीतलाष्क स्त्रोत (Sheetalaashk Strot)
वन्देहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बराम। 
मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालड्कृतमस्तकाम।। 

शीतला अष्टमी कथा (Sheetla Ashtami Katha )
मान्यता है कि शीतला अष्टमी मनाए जाने के दौरान एक गांव के लोगों ने शीतला माता को गर्म भोजन खिला दिया जिससे उनका मुंह जल गया और वो नाराज हो गईं. इसके बाद पूरे गांव ही नाश हो गया लेकिन सिर्फ एक बुढ़िया की कुटिया बची. बुढ़िया ने बताया की उसने रात में बना हुआ भोजन सुबह माता को खिलाया जिसके चलते उसकी कुटीया को कुछ नहीं हुआ. इसलिए इसके बाद से ही माता शीतला के भोग और प्रसाद में बासी भोजन ही खाया और खिलाया जाता है.

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