Jaipur: धरनों-जुलूसों पर ड्रोन से निगरानी करेगी राजस्थान पुलिस, 280 ड्रोन खरीदने की तैयारी
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Jaipur: धरनों-जुलूसों पर ड्रोन से निगरानी करेगी राजस्थान पुलिस, 280 ड्रोन खरीदने की तैयारी

Jaipur News: प्रदेश में पुलिस अब धरना, प्रदर्शन, जुलूस, वीआईपी सिक्योरिटी, तस्करी जैसे मामलों में बदमाशों पर आसमान से 'निगाह' रखेगी. प्रदेश के पुलिस बेड़े में डीएसपी स्तर पर ड्रोन से निगरानी रखी जाएगी. इसके लिए 280 से ज्यादा ड्रोन खरीदने की तैयारी की जा रही है.

 

Jaipur: धरनों-जुलूसों पर ड्रोन से निगरानी करेगी राजस्थान पुलिस, 280 ड्रोन खरीदने की तैयारी

Jaipur: प्रदेश में पुलिस अब धरना, प्रदर्शन, जुलूस, वीआईपी सिक्योरिटी, तस्करी जैसे मामलों में बदमाशों पर आसमान से 'निगाह' रखेगी. प्रदेश के पुलिस बेड़े में डीएसपी स्तर पर ड्रोन से निगरानी रखी जाएगी. इसके लिए 280 से ज्यादा ड्रोन खरीदने की तैयारी की जा रही है. पुलिस मुख्यालय से भेजे गए प्रस्ताव को गृह विभाग ने मंजूरी के लिए वित्त विभाग को भेजा है. आखिर क्या है पुलिस का प्लान देखिए इस विशेष खबर में...

आपराधिक वारदातों में बढ़ती तकनीक के साथ राजस्थान पुलिस को भी आधुनिक संसाधनों से लैस किया जा रहा है. इसके लिए पुलिस बल को ट्रेंड किया जा रहा है, बल्कि समय और जरूरत के मुताबिक संसाधनों की खरीद की जा रही है. राजस्थान पुलिस को अपराधियों के मुकाबले ज्यादा सशक्त बनाने के लिए राज्य सरकार सतर्क है. 

इस कड़ी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में उप अधीक्षक स्तर पर एक-एक ड्रोन उपलब्ध कराने की घोषणा की गई. पुलिस अधिकारियों का मानना है कि पुलिस उप अधीक्षक स्तर पर ड्रोन उपलब्ध होने पर पुलिस की कार्यक्षमता एवं प्रभावशीलता में बढ़ोत्तरी होगी. अपराधिक गतिविधियों पर नियंत्रण रखने एवं आमजन को त्वरित सहायता मुहैया कराने वाले पुलिस कार्यों में भी बढ़ोत्तरी होगी.

इसलिए भी नए ड्रोन की जरूरत 

पुलिस अफसरों के अनुसार नए ड्रोन की जरूरत एरियल पैटलिंग और निगरानी, संदिग्धों का पीछा करना, क्राइम सीन इवेस्टिगेशन, ट्रैफिक मैनेजमेंट एवं सुगम संचालन, सर्च एंड रेस्क्यू, अग्निशमन विभाग को सहयोग, आपदा में मदद, हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी की रोकथाम, अवैध ड्रोन जब्त करना, वीआईपी यात्रा प्रबंधन, जुलूसों, त्योहारों, सभाओं के दौरान विजुअल मॉनिटरिंग करने में पड़ती है.

  • राजस्थान पुलिस ने वर्ष 2019 में 50 ड्रोन खरीदे गए थे, जिन्हें प्रत्येक जिला पुलिस मुख्यालय पर एक एक ड्रोन उपलब्ध कराया गया है
  • पुलिस इन ड्रोन का उपयोग मुख्यतया पर्यवेक्षण कार्यों के लिए कर रही है
  • इन ड्रोन में कुछ तकनीकी खामियां भी है जैसे मौजूदा ड्रोन में रात्रि कैमरे उपलब्ध नहीं है और बैट्री क्षमता कम होने के कारण इनकी Flying Capacity 20 मिनिट से कम है.
  • वहीं वर्तमान स्थिति में राजस्थान पुलिस के पास Rouge Drone को नष्ट करने के लिए anti Drone System उपलब्ध नहीं है.
  • पुलिस अफसरों का मानना है कि तकनीकी उपयोग से निगरानी, आपदा प्रबंधन, यातायात प्रबंधन, विशिष्ट व्यक्तियों तथा जेल सुरक्षा जैसे कार्य सुगमता से किए जा सकते हैं
  • इसके विपरीत ड्रोन के जरिए राष्ट्रविरोधी गतिविधियों, स्मगलिंग, संवेदनशली इलाकों की जासूसी, अन्य अधिक एवं जनहित विरोधी गतिविधियों में दुरुपयोग किए जाने की सम्भावना रहती है.
  • ऐसी स्थिति में पुलिस बल को, न केवल ड्रोन तकनीक के उपयोग के संसाधनों से अपितु अपराधिक गतिविधियों में दुरुपयोग किए जाने वाले ड्रोन को नष्ट करने वाले संसाधनों से भी सुसज्जित करना आवश्यक है.
  • इसलिए उप अधीक्षक स्तर पर एक-एक ड्रोन उपलब्ध कराने, ज्ञान सम्बन्धी आधारभूत संरचना विकसित करने, पुलिस कार्मिकों को इस सम्बन्ध में आवश्यकतानुसार प्रशिक्षण देने, आपराधिक गतिविधियों पर नियन्त्रण रखने एवं rouge ड्रोन को नष्ट करने के लिए एण्टी ड्रोन सिस्टम के लिए बजट मांगा है
  • प्रदेश में 246 मौजूदा और 8 प्रस्तावित सीओ सर्किल है तथा 10% आरक्षित के हिसाब से 280 ड्रोन मांगे गए हैं
  • बॉर्डर जिलों के जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर और श्रीगंगानगर के लिए मोबाइल वाहन के साथ एक एंटी-ड्रोन सिस्टम, नियमित संदिग्ध ड्रोन का पता लगाने के लिए और एक वीआईपी सुरक्षा के एक ड्रोन की जरूरत बताई गई है
  • ड्रोन फोरेंसिक लैब बनाया जाएगा, वहीं ड्रोन संचालन की ट्रेनिंग के लिए आवास-भवन निर्माण की जरूरत बताई है
  • ड्रोन मेनटेंनेस वर्कशॉप भी तैयार की जाएगी, जिसमें ट्रेनिंग देने वालों के लिए लैब, क्लास रूम और विभिन्न प्रकार के ड्रोन की ट्रेनिंग दी जाएगी
  • प्रत्येक डीएसपी सर्किल पर एक एक ड्रोन एवं सम्बंधित सिस्टम स्थापित करने के लिए 87.1 करोड रुपए की आवश्यकता होगी.

 

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