जयपुर न्यूज: राज्य में क्विक इन्वेस्टिगेशन डिस्पोजल टीम बनाई जाएगी. हर जिले में एडिशनल एसपी और इंस्पेक्टर डिस्पोजल टीम के हेड होंगे. बजट सत्र में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की घोषणा के बाद डीजीपी उमेश मिश्रा ने निर्देश दिए.
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Jaipur: पिछले कुछ सालों में राजस्थान की आबोहवा बदली और कुछ अति जघन्य अपराधों ने राजस्थान की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए लेकिन इसके बाद राजस्थान पुलिस ने मानो सबकुछ बदलकर रख दिया. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को डीजीपी उमेश मिश्रा ने फील्ड में ऐसा लागू किया कि एक बार फिर पुराना शांत राजस्थान राज्य नजर आ रहा है. जिसे कुछ समय पहले तक मानों किसी की नजर लग गई थी. जल्द अब राजस्थान पुलिस एक नवाचार करने जा रही है.
राजस्थान में अति जघन्य अपराधों की जांच के लिए क्विक इन्वेस्टिगेशन डिस्पोजल टीम का गठन किया जाएगा. हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बजट में घोषणा के बाद डीजीपी उमेश मिश्रा के निर्देश के बाद प्रदेश के प्रत्येक जिले में यह इन्वेस्टिगेशन टीम गठित करने की कवायद पुलिस मुख्यालय की क्राइम ब्रांच ने शुरु कर दी है.
नए अभियानों और नए तरीके से बेहतर काम करने की दिशा में राजस्थान की पुलिस एक और कदम आगे बढ़ाने जा रही है. राजस्थान पुलिस क्राइम ब्रांच के डीआईजी राहुल प्रकाश ने बताया कि राजस्थान में होने वाले अति संवेदनशील अपराधों में त्वरित और सटीक अनुसंधान के लिए क्विक इन्वेस्टिगेशन डिस्पोजल टीम बनाई जा रही है. जिसके लिए राज्य के हर जिले में ये टीमें 24 घंटे 7 दिन 3 शिफ्टों में 8-8 घंटे की ड्यूटी कर आपराधिक घटनाओं की त्वरित जांच करेंगी.
किसी भी घटनास्थल पर शुरुआती जांच के दौरान तकनीकी , भौतिक सबूतों को चिन्हित करने का काम भी यही टीम करेगी. साथ ही एक निश्चित समय में जांच को पूरा करना भी इस टीम की जिम्मेदारी रहेगी ताकि उस गंभीर आपराधिक प्रकरण में दोषी को शत प्रतिशत दोषसिद्धि हो और कड़ी सजा मिल सके.
डीआईजी क्राइम राहुल प्रकाश के मुताबिक हर जिले में क्विक इन्वेस्टिगेशन डिस्पोजल टीम के प्रभारी एडिशनल एसपी रैंक के अफसर होंगे. सह प्रभारी पुलिस इंस्पेक्टर रैंक का अफसर होगा. इसके अलावा इन्वेस्टिगेशन टीम में 3-3 सब इंस्पेक्टर, 3-3 सहायक सब इंस्पेक्टर, 3-3 हेड कॉन्स्टेबल और 8-8 कॉन्स्टेबल होंगे.
स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम में चयनित पुलिसकर्मियों की क्या होगी योग्यता
- टीम के प्रभारी एडिशनल एसपी रैंक के अफसर को 5 साल से ज्यादा का फील्ड में पदस्थापित रहने का अनुभव रहा हो. इसमें एएसपी के चयन में विधि की डिग्री या डिप्लोमा धारकों को प्राथमिकता दी जाएगी.
- टीम में सह प्रभारी पुलिस इंस्पेक्टर रैंक का वह अफसर होगा, जिसने 5 वर्ष या इससे ज्यादा फील्ड सर्विस का अनुभव होगा. वह कम से कम 2 वर्ष तक थाना प्रभारी के पद पर कार्य कर चुका हो. साथ ही, इस इंस्पेक्टर को पुलिस थानों या क्राइम ब्रांच में 100 से ज्यादा गंभीर प्रकरणों के अनुसंधान का अनुभव होना चाहिए.
- टीम में सब इंस्पेक्टर रैंक के अफसर के लिए योग्यता में जरूरी है कि वह अफसर पुलिस थानों या क्राइम ब्रांच में 100 से ज्यादा गंभीर अपराधों में अनुसंधान का अनुभव रखता है.
- वहीं, एएसआई, हेड कॉन्स्टेबल , कॉन्स्टेबल रैंक के उन पुलिसकर्मियों को टीम में चयन किया जाएगा, जो कि स्नातक स्तर के हो. जिन्होंने रेंज, जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय अथवा पुलिस थानों में साइबर क्राइम संबंधी कार्य कर रखा हो. साथ ही, नवीन तकनीकों तथा संसाधनों के उपयोग में प्रशिक्षित हो. इस टीम के द्वारा मोबाइल अनुसंधान वाहन व उसमें उपलब्ध सभी संसाधनों का उपयोग किया जाएगा. साथ ही, इस टीम में कार्य कुशलता में वृद्धि के लिए समय समय पर कई चरणों में ट्रैनिंग करवाई जाएगी.
उम्मीद है आने वाले समय में क्विक इन्वेस्टिगेशन डिस्पोजल टीम की मदद से अति संवेदनशील मामलों से जुड़े अपराधों में नया सिर्फ जल्द खुलासे होंगे बल्कि आम जनता की जांच को लेकर शिकायतें भी पूरी तरह खत्म हों जाएंगी और अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी और राज्य में पुलिस का इकबाल बुलंद रहेगा .
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