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Kotputli: 2006 में कोटपुतली के मोहनपुरा जोधपुरा गांव में अल्ट्राटेक सीमेंट फैक्ट्री का प्लांट लगा था तब यहां के ग्रामीणों को अल्ट्राटेक सीमेंट फैक्ट्री प्रबंधन ने कुछ वादे किये थे. इसके बाद ग्रामीणों ने यकीन कर अपने गांव में प्लांट लगाने के लिये अपनी जमीने हंसते-हंसते दे दी थी. ग्रामीणों से वादा किया गया था गांव में रोजगार की बहार आयेगी. मूलभूत सुविधायें दी जाएंगी.
पुर्नवास के लिये मुवावजा राशि सहित नये मकान बनाये जाएंगे इन सब वादों के चलते ग्रामीणों को सपने दिखाये गये थे.मोहनपुरा व जोधपुरा दोनों गांव एक साथ आमने सामने है. जिसमें मोहनपुरा गांव रेवेन्यू गांव है उसी का हिस्सा जोधपुरा गांव है. जिसमें मोहनपुरा गांव को तो पुर्नवास कर मुवाअजा देकर स्थापित कर दिया गया लेकिन जोधपुरा गांव के ग्रामीण आज अल्ट्राटेक सीमेंट फैक्ट्री के कारण खून के आंसू बहाने को मजबूर हो गये.
2006 में बिरला ग्रासिम सीमेंट फैक्ट्री का कोटपूतली के मोहनपुरा जोधपुरा गांव में प्लांट लगाया गया था. उस दौरान किसानों व ग्रामीणों ने प्लांट लगाने के लिये काफी विरोध प्रदर्शन किया था लेकिन फैक्ट्री प्रबंधन ने किसानों व ग्रामीणों को उस समय सपने दिखाये. कहा गया आपको व आपकी आने वाली पीढ़ी को आपके ही गांव में रोजगार के साथ साथ सभी मूलभूत सुविधाये मिलेंगी. लेकिन समय के साथ सभी वादे हवा हो गये.
जिसके बाद अब ग्रामीणों का जीना दूभर हो गया. गांव जोधपुरा के ग्रामीणों का कहना है फैक्ट्री प्रबंधन हमे पल पल मार रहा है. उससे अच्छा है एक बार ब्लास्ट करके एक साथ मार दे तो अच्छा है. रोजना तेज धमाकों से हमारे मकान हिलते है जिससे हमेशा डर के साये में जी रहे है हमारे नये मकानों में दरार आ गई. अब हमारी सुनने वाला कोई नहीं है. अपने खुद के खर्चे से कारीगर व मजूदर लगाकर हमें मरम्त करवानी पड़ रही है.
ग्रामीणों के सामने अब ये संकट आकर खड़ा हो गया आखिर अब जाये तो कहां. जिंदगी बिल्कुल नीरस सी हो गई है. तेज धमाकों से एक मकान की पट्टियां टूटने से एक बच्चे की हालत बिगड़ी गई. जिसे बड़ी मुश्किल से बचाया गया. बच्चा मरता मरता बचा है. बच्चे की मां ने बताया आज हम नरक भरी जिंदगी जीने को मजबूर हो गये है. जबकि गुहार भी सभी जगह लगा चुके हैं.
प्रसाशन से लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों तक लेकिन किसी ने भी अल्ट्राटेक फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ आवाज उठाने की जहमत तक नहीं उठाई. अल्ट्राटेक में काम करने वाले कार्मिक व अधिकारियों के लिये जोधपुरा गांव के बिल्कुल सटा के कॉलोनी बनी हुई है.
उस कॉलोनी के अंदर सभी मूलभूत सुविधाओं के साथ सभी वीआईपी सुविधायें कर रखी हैं. कॉलोनी के अंदर चिकित्साल्य स्कूल बिजली पानी सड़क व मंदिर जैसी सुविधाएं कर रखी है लेकिन ग्रामीणों को अंदर तक नहीं जाने दिया जाता है. कॉलोनी के ग्राड्स के द्वारा रोक दिया जाता है. आखिर में अब ग्रामीण कहने लग गये है अब हम सब मरेंगे.
अल्ट्राटेक सीमेंट प्रबंधन ने जगह जगह होल्डिंग व बैनर लगा कर ग्रासिम जन सेवा ट्रस्ट का प्रचार प्रसार भी कर रखा है. जिससे लगता है फैक्ट्री प्रबंधन बहुत बड़ी सेवा कर रहा हो सीमेंट प्लांट के पास एक ही राजकीय स्कूल है. जब उसकी सेवा ट्रस्ट नहीं कर पा रहा है तो और अन्य जगहों की हालत तो क्या होगी. बल्कि ब्लास्टिंग के कारण स्कूल की छत में दरारें आ गई दीवारें फट गई और स्कूल मैदान में भारी भरकम्प पत्थर बरस रहे है. जिससे स्कूल के बच्चे व स्टाफ हमेशा डर के साये में रहते है.
कई बार तो बच्चे डर के मारे कक्षा कक्षों से बाहर आकर बैठे जाते हैं. बुरी तरह से कम्पन होता है. स्कूल प्रबंधन ने इसके लिये कई बार अल्ट्राटेक प्रबंधन से स्कूल के बारे मे शिकायत भी की लेकिन कोई सुनवाई तक नहीं हुई.साथ ही स्कूल की व्यस्था के लिये सेवा भी मांगी गई थी जबकी क्षेत्र का सबसे बड़ा भामाशाह अपने आप को बताते है लेकिन हकीकत में कुछ भी नहीं केवल कागजो में दिखावे का ढोंग रचते नजर आ रहे है.
अब जोधपुरा के ग्रामीणों की हालत ये है इनकी सुनने वाला कोई नहीं है आखिर ग्रामीणों को धरने का सहारा लेना पड़ा जिसके लिये भी उपखण्ड अधिकारी से परमिशन लेनी पड़ी. अब ग्रामीणों का कहना है या तो हमारा पुनर्वास किया जाये या फिर ब्लास्टिंग बन्द कर सभी मूलभूत सुविधायें दी जाये. इससे पहले ग्रामीण अब धरने से उठने को तैयार नहीं है. धरने पर बैठी मेवा देवी का कहना है हमारा प्रदूषण से सांस लेना भी दूभर हो गया है. रात रात भर नींद तक नहीं आती है.
धरने पर बैठे ग्रामीण मदन लाल सुरेलिया ने बताया पहले जो ब्लास्टिंग की जाती थी वह दो किलोमीटर की दूरी पर होती थी लेकिन अब केवल सौ मीटर के पास की जा रही है. इसके बारे में अल्ट्राटेक प्रबंधन से बात की गई तो ग्रामीणों को ही धमकी देकर बाहर कर दिया गया.
ग्रामीण राकेश यादव ने बताया जब फैक्ट्री लगी तब कहा गया था आपके नजदीक ब्लास्टिंग नहीं की जायेगी लेकिन अब ये अपने वादे से मुकर गये आज हम इतने मजबूर हो गये हम सभी अपने मकान छोड़ने के लिये मजबूर हो गये लेकिन अब आखिर हम अब जाए तो कहां जाए.
जब जी मीडिया में अल्ट्राटेक प्रबंधन से बात करनी चाही तो कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से मना कर दिया. ये कह कर टाल दिया हम मीडिया के समाने बोलने के लिये अधिकृत नहीं है. वटपूतली SDM ऋषव मंडल का मामले को लेकर कहना है कि हमने मामले को लेकर एक कमेटी का गठन कर दिया है जिसकी जांच में हम लगे हुये है.मैं खुद भी सभी विभाग के अधिकारियों के साथ मौके पर जाकर आया हूं मामले की जानकारी ली जा रही है. जो भी फैक्ट्स सामने आएंगे उस पर फैक्ट्री प्रबन्धन के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी.
करीब 15 साल से फैक्ट्री प्रबंधन वादा खिलाफी कर तानाशाह रवैया अपनाये हुये है. जिसका इतने लंबे समय से खेल चला आ रहा है. क्या वो अभी तक भी प्रशासन को नजर नहीं आया. क्या प्रशासन को लीगल फैक्ट्स नजर आएंगे. क्या प्रशासन इन परेशान ग्रामीणों की पुकार सुनकर फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ उचित कार्रवाई कर पायेगा या फिर हमेशा की तरह ग्रामीणों की आवाज को दबा दिया जायेगा?
Report-Amit Yadav