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Jaipur News: आबकारी विभाग का सिस्टम पिछले 50 दिनों से ठप पड़ा है, जिसका कारण नया सॉफ्टवेयर बन गया है. आइडिया इनफिनिटी आईटी सॉ. कंपनी द्वारा विकसित किया गया यह सॉफ्टवेयर विभाग के लिए गले की घंटी बन गया है. समस्या यह है कि कंपनी ने बगैर प्रॉपर ट्रायल के पूरे राजस्थान में इस सॉफ्टवेयर को लागू कर दिया, जिससे इसमें कई खामियां सामने आई हैं. अब सवाल यह है कि क्या कंपनी को इन खामियों भरे सॉफ्टवेयर के लिए भुगतान किया जाएगा?
आबकारी विभाग में 2 अक्टूबर से लागू हुआ नया सॉफ्टवेयर विभाग के लिए गले की घंटी बना हुआ है. पिछले 50 दिनों से आबकारी विभाग के लिए दैनिक कामकाज को भी बगैर बाधा पूरा करना मुश्किल बना हुआ है. लाइसेंसियों के करोड़ों रुपए के भुगतान साॅफ्टवेयर में अटके हुए हैं. इस कारण सैंकड़ों लाइसेंसी परेशान हो रहे हैं.
क्या है पूरा मामला
बेंगलूरु बेस्ड एक निजी कम्पनी आइडिया इनफिनिटी आईटी सॉल्युशन्स ने आबकारी विभाग की छवि में न मिटाया जा सकने वाला एक दाग लगा दिया है. नया सॉफ्टवेयर लागू किए जाने के बाद से ही आबकारी विभाग की व्यवस्थाएं बेपटरी हैं. दरअसल आबकारी विभाग में 2 अक्टूबर से नया सॉफ्टवेयर इंटिग्रेटेड एक्साइज मैनेजमेंट सिस्टम 2.0 यानी आईईएमएस 2.0 नया सॉफ्टवेयर लागू किया गया था.
आबकारी विभाग, आरएसबीसीएल और आरएसजीएसएम में उपयोग किया जाने वाला यह सॉफ्टवेयर आरएसबीसीएल ने तैयार करवाया है. राजकॉम्प के मार्फत बेंगलूरु की एक निजी कम्पनी आइडिया इनफिनिटी आईटी साॅल्युशन्स ने इसे तैयार किया है. बड़ी बात यह है कि 2 अक्टूबर को जब इसे लॉन्च किया गया था, तब आबकारी विभाग ने 3 दिन के लिए शटडाउन लिया था. इस दौरान 3 दिन के लिए लाइसेंसियों को शराब की सप्लाई नहीं दी गई और विभाग के कार्मिकों को नए सॉफ्टवेयर के सम्बंध में ट्रेनिंग भी दी गई. लेकिन लागू होने के बाद इसकी गड़बड़ियां कम होने के बजाय बढ़ गई हैं. अभी भी सॉफ्टवेयर में खामियाें की वजह से सैंकड़ों लाइसेंसियों द्वारा किया गया करोड़ों रुपए का भुगतान उनके खाते में प्रदर्शित नहीं हो रहा है.
सॉफ्टवेयर है या परेशानियों का गढ़ ?
2 से 8 अक्टूबर तक राजस्थान में 7400 लाइसेंसियों के लिए मदिरा उठाव नहीं हुआ, जिससे इस अवधि में करोड़ों रुपये की मदिरा नहीं उठाई जा सकी। इसके अलावा, अभी भी गलत वैन नंबर और चालान राशि नहीं दिखने की 300 से अधिक शिकायतें आ रही हैं .
परेशानियां कैसी-कैसी ?
राजस्थान के विभिन्न जिलों में आबकारी विभाग के सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण लाइसेंसी दुकानदारों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. हनुमानगढ़ के नोहर में सुरेन्द्र कुमार की दुकान का 45 दिन में समाधान नहीं हो पाया है, जबकि उन्होंने 5 अक्टूबर को ई-ग्रास से 1.37 लाख रुपये जमा किए थे.
इसी तरह, बाड़मेर के बालोतरा में लाइसेंसी संजू कंवर ने 1 अक्टूबर को 13.18 लाख रुपये जमा किए, लेकिन सॉफ्टवेयर बैंक रेफरेंस गलत बता रहा है. सिरोही के रेवदर में लाइसेंसी रणछोड़ सिंह ने 18 अक्टूबर को 10 लाख रुपये जमा किए, लेकिन आरएसबीसीएल के लेजर में राशि अपडेट नहीं हो पाई है. अलवर के लक्ष्मणगढ़ में लाइसेंसी मुकेश वर्मा ने 3 बार राशि जमा की, लेकिन उनके खाते में राशि नहीं आई है.
यह आधा दर्जन परेशानियां तो उदाहरण मात्र हैं, आबकारी विभाग द्वारा रोजाना की जाने वाली समीक्षा में औसतन 300 लाइसेंसियों की शिकायत रोज बनी रहती है. ई-ग्रास से ऑनलाइन या नकद भुगतान की हुई राशि भी लाइसेंसी के लेजर में प्रदर्शित नहीं होती, इस वजह से लाइसेंसियों के करोड़ों रुपए फंसे पड़े हैं. वहीं लाइसेंसियों को मदिरा उठाव भी नहीं मिल पा रहा है. आबकारी विभाग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक अगले माह तक भी इन समस्याओं का समाधान होने के आसार नहीं हैं. खामियों भरे इस सॉफ्टवेयर के लिए निजी कम्पनी को करोड़ों रुपए का भुगतान करने की तैयारी चल रही है.
57 करोड़ की फिजूलखर्ची ?
आबकारी अफसरों को अभी भी कई कार्य आईईएमएस 1.0 में करने पड़ रहे हैं, जिससे उनके काम में बाधा उत्पन्न हो रही है। लाइसेंसियों की गारंटी शो नहीं हो रही है और परमिट भी नहीं हो रहे जारी। आबकारी निरीक्षक चालान काटने और अभियोग दर्ज ऑनलाइन नहीं हो पा रहे हैं। इस समस्या का मुख्य कारण आईईएमएस 2.0 सॉफ्टवेयर में तकनीकी खामियां हैं। राजकॉम्प इन्फो सर्विसेज लिमिटेड ने 75 करोड़ रुपये की आरएफपी रखी थी, लेकिन बेंगलूरु की आइडिया इनफिनिटी आईटी कंपनी ने करीब 57 करोड़ रुपये में कोट किया था। सवाल यह है कि क्यों एक फेलियर सॉफ्टवेयर पर 57 करोड़ रुपये की फिजूलखर्ची की गई?
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