जयपुर में सीरियल बम ब्लास्ट के दौरान जिंदा मिले बम के मामले में आरोपी मोहम्मद सरवर आजमी की जमानत याचिका खारिज
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जयपुर में सीरियल बम ब्लास्ट के दौरान जिंदा मिले बम के मामले में आरोपी मोहम्मद सरवर आजमी की जमानत याचिका खारिज

Jaipur News: जयपुर बम ब्लास्ट मामलों की विशेष अदालत ने शहर में वर्ष 2008 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के दौरान जिंदा मिले बम के मामले में आरोपी मोहम्मद सरवर आजमी की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है.

 

जयपुर में सीरियल बम ब्लास्ट के दौरान जिंदा मिले बम के मामले में आरोपी मोहम्मद सरवर आजमी की जमानत याचिका खारिज

Jaipur: जयपुर बम ब्लास्ट मामलों की विशेष अदालत ने शहर में वर्ष 2008 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के दौरान जिंदा मिले बम के मामले में आरोपी मोहम्मद सरवर आजमी की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है. अदालत ने आदेश में कहा कि जयपुर में बम ब्लास्ट होने के संबंध में अभियुक्त अहमद सिद्दी बप्पा उर्फ यासीन भटकल व असदुल्लाह अख्तर उर्फ डेनियल ने सीआरपीसी की धारा 164 के बयानों में कहा है कि उनके द्वारा जयपुर में किए गए बम ब्लास्ट में मोहम्मद सरवर आजमी भी शामिल था. इन दोनों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज हुए थे और इस स्टेज पर इन्हें नकारा नहीं जा सकता. 

अदालत ने कहा कि आरोपी ने अलग तरीके से अपराध किया है, जिससे धार्मिक समुदायों के बीच में आपसी सौहार्द बिगड़ा व शांति भंग होकर आमजन व समाज में भय पैदा हुआ. आरोपी के खिलाफ जिन धाराओं में आरोप तय हुए हैं, उनमें आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है. यदि आरोपी को जमानत दी तो उसके वापस आने की संभावना कम है और जमानत देने पर उसके गवाहों को तोड़ने और उन्हें धमकाने की भी पूरी तरह से संभावना बनी रहेगी. ऐसे में आरोपी का जमानत प्रार्थना पत्र स्वीकार नहीं किया जा सकता.

आजमी की ओर से जमानत अर्जी में कहा कि जयपुर बम ब्लास्ट के अन्य आठ केसों में हाईकोर्ट ने प्रार्थी को दोषमुक्त कर मामले में आपराधिक षड्यंत्र होना नहीं माना है. यह मामला भी उससे अलग नहीं है और इसमें प्रार्थी पर केवल आपराधिक षड्यंत्र का ही आरोप है. वह 14 साल से जेल में है और अभियोजन के 156 गवाहों में से अभी 35 के ही बयान दर्ज हुए हैं. उनके खिलाफ अन्य कोई केस लंबित नहीं है. इसके अलावा प्रकरण की सुनवाई पूरी होने में समय लगेगा. इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए. जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि आरोपी को जमानत दी गई तो वह गवाहों को प्रभावित करेगा और फरार हो जाएगा. दोनों पक्षों की बहस सुनकर अदालत में आरोपी की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है.

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