सबसे बड़ी खोज! मंगल पर मिला तरल पानी, क्या लाल ग्रह बनेगा इंसानों का दूसरा घर ?
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सबसे बड़ी खोज! मंगल पर मिला तरल पानी, क्या लाल ग्रह बनेगा इंसानों का दूसरा घर ?

Water found on Mars: वैज्ञानिक अंतरिक्ष में पानी की खोज कर रहे है. ऐसे में उनके हाथों सबसे बड़ी खोज हाथ लगी है. उन्हें मंगल पर तरल पानी मिला है. जिसके साथ ही यह कयास लग लगने शुरू हो चुके है की क्या लाल ग्रह इंसानों का दूसरा घर बनेगा.

सबसे बड़ी खोज! मंगल पर मिला तरल पानी, क्या लाल ग्रह बनेगा इंसानों का दूसरा घर ?

Water found on Mars: धरती पर पानी केवल एक चौथाई ही बचा है. ऐसे में किसी दूसरे ग्रह पर पानी मिलने का मतलब है जीवन का आधार. इसी खोज को लेकर वैज्ञानिक अंतरिक्ष में पानी की खोज कर रहे है, जिससे जीवन जीने के लिए जरूरी विकल्पों में से एक पानी को प्रचुर मात्रा में इकट्ठा करके रखा जा सके. 

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इसी खोज को लेकर वैज्ञानिकों को एक नया सबूत मिला है जो संकेत देता है कि मंगल ग्रह पर पानी मौजूद हो सकता है. इसे मंगल ग्रह पर लंबे समय से जीवन की खोज को लेकर हो रही खोजों में एक बड़ी कामयाबी माना जा रहा है. 

 यह  खोज  यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के नेतृत्व में किया गया है जिसमें रडार से अलावा  डेटा का इस्तेमाल किया गया है. इस स्टडी में यह  दिखता है कि मंगल के साउथ पोलर आइस कैप के नीचे द्रव पानी मौजूद हो सकता है. यह खोज इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि चंद्रमा के बाद अब वैज्ञानिकों की नजरें मंगल पर ही अटकी हैं, क्यों कि मंगल धरती के सबसे निकटम ग्रहों में से एक है. 
डेलीमेल की खबर के अनुसार अध्ययन की दूसरी लेखिका यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड की डॉ फ्रांसिस बुचर ने कहा, 'यह स्टडी मंगल पर द्रव पानी की मौजूदगी के बारे में अब तक के सबसे अच्छे संकेत देती है. 

पृथ्वी पर सबग्लेशियल झीलों (एक झील जो एक ग्लेशियर या बर्फ की चादर के नीचे मौजूद है) की खोज करते समय हम दो सबसे प्रमुख प्रमाणों को देखते हैं जो अब मंगल पर पाए जाते हैं.’ उन्होंने अपने बयान में कहा कि जीवन के लिए तरल पानी एक महत्वपूर्ण तत्व है, हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि मंगल पर जीवन मौजूद है.
मंगल ग्रह पर तापमान – 140 डिग्री सेल्सियस.

उन्होंने  अपनी स्टडी में पाया कि ये पैटर्न कंप्यूटर मॉडल की भविष्यवाणियों से मेल खाते हैं जो बताते हैं कि बर्फ की टोपी के नीचे का पानी सतह को कैसे प्रभावित कर सकता है. पृथ्वी की तरह मंगल के दोनों ध्रुवों पर भी मोटी बर्फ की परतें हैं. उनका आयतन ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर के बराबर है. हालांकि, पृथ्वी की बर्फ की चादरों के विपरीत, लाल ग्रह की बर्फ की टोपियां पूरी तरह से जमी हुई मानी जाती हैं. अगर मंगल ग्रह के  औसत तापमान  की बात करे तो यह -62 डिग्री सेल्सियस है, लेकिन ध्रुवों पर सर्दियों में यह -140 हो जाता है. 

पहले भी मिल चुके है मंगल पर पानी के सबूत
आपको बता दें कि 4 साल पहले भी मंग्रल ग्रह के दक्षिणी ध्रुव पर एक बहुत बड़े नमकीन पानी वाली झील का पता चला था. यह झील बर्फ के नीचे दबी हुई है. यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के स्पेसक्राफ्ट मार्स एक्सप्रेस ने 2018 में जिस जगह पर बर्फ के नीचे नमकीन पानी की झील खोजी थी. उस झील को पुख्ता करने के लिए 2012 से 2015 तक मार्स एक्सप्रेस सैटेलाइट 29 बार उस इलाके से गुजरा था. और वहां की तस्वीरें ली थी. उसी इलाके के आसपास उसे 2020 में तीन और झीलें दिखाई दी थी. इन तीन झीलों के लिए स्पेसक्राफ्ट को 2012 से 2019 के बीच 134 बार ऑब्जरवेशन करना पड़ा था. जिसके बाद यह काफी हद तक सपष्ट हो जाता है कि मंगल ग्रह की सतह पर पानी तरल अवस्था में है.  पर पानी मिलने के बाद एक उलझन अब भी मन में है कि क्या पानी मिलने के साथ मंगल पर जीवन जिया जा सकता है? 

क्या है  मंगल ग्रह 
मंगल गृह  सौरमंडल में सूर्य से चौथा ग्रह है.  इसके तल की आभा लाल है, जिस वजह से इसे "लाल ग्रह" के नाम से भी जाना जाता है. सौरमंडल के ग्रह दो तरह के होते हैं - "स्थलीय ग्रह" जिनका तल आभासीय होता है और "गैसीय ग्रह" जो अधिकतर गैस से निर्मित हैं. पृथ्वी की तरह, मंगल भी एक स्थलीय धरातल वाला ग्रह है. इसका वातावरण विरल है.

इसकी सतह देखने पर चंद्रमा के गर्त और पृथ्वी के ज्वालामुखियों, घाटियों, रेगिस्तान और ध्रुवीय बर्फीली चोटियों की याद दिलाती है.  सौरमंडल का सबसे अधिक ऊंचा पर्वत, ओलम्पस मोन्स मंगल पर ही स्थित है.  साथ ही विशालतम कैन्यन वैलेस मैरीनेरिस भी यहीं पर स्थित है। अपनी भौगोलिक विशेषताओं के अलावा, मंगल का घूर्णन काल और मौसमी चक्र पृथ्वी के समान हैं। इस ग्रह पर जीवन होने की संभावना को हमेशा से परिकल्पित किया गया है. दोनों ग्रहों पर पाई जाने वाली इन समानताओं के कारण वैज्ञानिक अक्सर यह दावा करते है कि मंगल पर जीवनयापन संभव हो सकता है पर कब तक जिसका जवाब अभी अंतरिक्ष में वैज्ञानिक दिन रात खोजने में लगे है.  

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