राजस्थान में 9 जिले और 3 संभाग रद्द: मंत्री अविनाश गहलोत का कहना है कि गोविंद सिंह डोटासरा बेतुके और बचकाने बयान देकर खुद को जिंदा रखना चाहते हैं.
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Rajasthan Politics: भजनलाल सरकार के 9 नए जिले और 3 संभाग खत्म करने पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकार की नियत पर सवाल उठाए.
कांग्रेस नेताओं के सवालों का जवाब देने के लिए बचाव में भजनलाल सरकार के दो मंत्री मैदान में उतरे. कैबिनेट मंत्री अविनाश गहलोत ने कहा कि बचकाने और बेतुके के बयान देकर डोटासरा खुद को जिंदा रखना चाहते हैं.
कैबिनेट मंत्री अविनाश गहलोत और मंत्री सुमित गोदारा ने BJP प्रदेश कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई. मंत्री अविनाश गहलोत ने कहा, '' पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार ने कभी सोचा था कि राजस्थान के इतिहास में 67 साल में नए 7 जिले बने. कांग्रेस सरकार ने जाते-जाते 17 नए जिले और 3 नए संभाग की घोषणा कर दी. उसके बाद भी उन सब सीटों पर वह हार गई.
आज भी बचकाने बयान दिए कांग्रेस पार्टी ने दिए हैं. हमारे यहां पार्टी, दल का स्वार्थ अंत में रहता है, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने जाते-जाते 17 जिलों की घोषणा की और 3 नए जिले तो चुनावी आचार संहिता से पहले राजनीतिक लाभ के चलते किए. कांग्रेस पार्टी ने जिन 17 जिलों का और 3 संभागों का गठन किया उनमें कोई वित्तीय प्रावधान नहीं किया. वहां कोई ऑफिस ना अधिकारी लग सके ना कोई फाइनेंशियल मैनेजमेंट था."
मंत्री अविनाश गहलोत ने कहा,'' हमारे जहां विधायक हैं वहां भी जिलों को हटाया गया है. ऐसे में यह राजनीतिक निर्णय नहीं था. एक जिले के बनने में करीब ढाई हजार करोड़ लगता है. डोटासरा कह रहे हैं कि ऑफिस बन गए तो वह बताएं कि कलेक्ट्रेट या SP ऑफिस कहां बनाए गए?
भजनलाल सरकार ने यह ऐतिहासिक निर्णय लिया है. डोटासरा के सर्वदलीय बैठक बुलाने के सवाल पर अविनाश गहलोत ने कहा कि जिले बने थे तब सर्वदलीय बैठक हुई थी? वैसे भी कांग्रेस के पास धरने प्रदर्शन के अलावा कोई काम नहीं बचा है.''
बीजेपी सरकार जो कहती है वह करती है: मंत्री सुमित गोदारा
मंत्री सुमित गोदारा ने कहा,'' 1 साल में कोई भी पार्टी अपने संकल्प पूरे नहीं करती है. हमारी सरकार ने जो भी वादे किए चाहे किसान के लिए MSP हो या अन्य योजनाएं हो, वो पूरे किए.
ऐसा क्या करना था कि अशोक गहलोत ने आखिरी साल में इतने जिलों की घोषणा की? जबकि उन्होंने 1998 से 2003 और 2008 से 2013 तक कोई जिला नहीं बनाया और अपने तीसरे कार्यकाल में आखिरी समय अचानक इतने जिलों की घोषणा की.
अशोक गहलोत तो अपने आखिरी बजट के समय बजट ही दूसरे साल का ले आए थे. वैसे ही जिले बनाकर चले गए. कमेटी ने कोई कार्य नहीं किया था. कमेटी के अध्यक्ष पूर्व IAS राम लुभाया तो ज्यादातर समय विदेश में थे.उन्होंने क्या रिपोर्ट दी?