Rajasthan ERCP : राजस्थान में ईआरसीपी (ERCP) को लेकर जलसंसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने बड़ा बयान दिया है. जिसके बाद बाद अब राजस्थान को भजनलाल सरकार ( CM Bhajan lal Sharma) को उम्मीदें बढ़ गई है.
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Rajasthan ERCP Project Good News : राजस्थान में ईआरसीपी (ERCP) को लेकर जमकर सियासत चली, लेकिन अब इसी सरकार में ईआरसीपी का सपना साकार हो सकता है. जलसंसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत (Suresh Singh Rawat) ने ईआरसीपी के बयान के बाद अब राजस्थान को भजनलाल सरकार ( CM Bhajan lal Sharma) को उम्मीदें बढ़ गई है.
राजस्थान में सरकारे आई गई, जबकि ईआरसीपी का सपना साकार नहीं हो पाया लेकिन भजनलाल सरकार के आने के बाद एक बार फिर से ईआरसीपी को लेकर 13 जिलों की उम्मीदें बढ़ गई है. जलसंसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने कार्यभार संभालते ही कहा कि राजस्थान में ईआरसीपी का सपना इसी सरकार में साकार होगा.
बता दें कि राजस्थान में 6 साल में दो सरकार बदल गई, बीजेपी-कांग्रेस की सरकारे आई, लेकिन ईआरसीपी का विवाद सुलझ नहीं पाया लेकिन भजनलाल सरकार के आती ही उम्मीदें काफी बढ़ गई है. वैसे उम्मीदे भाजपा को भी है, क्योंकि लोकसभा चुनाव आने वाला है. ऐसे में अब बीजेपी की लोकसभा में लहर के लिए पूर्व की नहर पर नजर है.
उम्मीदे इसलिए बढ़ गई है क्योंकि कुछ दिन पहले दिल्ली में हुई मीटिंग में मध्यप्रदेश,राजस्थान,केंद्र सरकार के बीच सकारात्मक वार्ता हुई. लगभग सहमति भी बन गई है. इतना ही नहीं जनवरी में ही दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री एमओयू कर सकते है. इससे पहले 10 जनवरी को जलसंसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से मुलाकात कर सकते है.
इस मुलाकात में ईआरसीपी को लेकर चर्चा संभव है. वैसे राजस्थान की तत्कालीन बीजेपी सरकार द्धारा 2017 में ही डीपीआर बनाई गई थी. उघोग मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने भी कहा है कि बिजली का उत्पादन बढे़गा तो उद्योग भी बढेंगे और पानी तो मोदी जी ला ही रहे है.
विवाद एमपी से एनओसी का है. एमपी से आने वाली नदियों के पानी के उपयोग के लिए एनओसी अभी तक नहीं मिल सकी है. एमपी को यह भी लग रहा है कि राजस्थान उनके हिस्से का पानी ले लेगा.इस वजह से ईआरसीपी का प्रोजेक्ट अटका है लेकिन पिछली मीटिंग में विवाद पर सकारात्मक वार्ता हुई.
राजस्थान में 37 हजार करोड़ का ईआरसीपी का सपना जल्द साकार हो सकता है. 13 जिलों की प्यास बुझाने वाला ईआरसीपी का मुद्दे ने सियासी प्यास जमकर बुझाई. ईआरसीपी का प्रोजेक्ट पूरा करना एक दो सालों का काम नहीं बल्कि बरस लग जाएंगे. यदि राज्य सरकार एक साल में 4 हजार करोड़ भी खर्च करती है, तब भी ये सपना 10 साल में पूरा हो पाएगा.
हालांकि पिछली सरकार ने इस प्रोजेक्ट पर 1130 करोड़ खर्च कर चुके है.जबकि ईआरसीपी पर कुल 37,247 करोड़ रुपए खर्च होने है. केंद्र,राजस्थान और मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार है, ऐसे में आपसी तालमेल में भी आसानी होगी.
ईआरसीपी की डीपीआर में पहने 26 बांध जोड़े गए थे, लेकिन पिछली सरकार ने इसी साल बजट में दौसा,अलवर,सवाई माधोपुर,भरतपुर के 53 और बांधों को जोड़कर भरा जाएगा लेकिन रामगढ़ बांध को भरने वाला ईसरदा बांध का निर्माण ही अब तक 65 प्रतिशत हो पाया है. करीब 18 साल से प्यास जयपुर का रामगढ़ बांध अब ईसरदा बांध से भरा जाएगा.
ईसरदा बांध से रामगढ़ बांध की दूरी करीब 130 किलोमीटर है. रामगढ़ बांध भरने के बाद जयपुर के आंधी, जमवारामगढ़,आमेर, गोविंदगढ़, शाहपुरा, विराटनगर कोटपूतली के साथ ही अलवर के थानागाजी,बानसूर को फायदा होगा.
ईस्टन कैनाल से सवाईमाधोपुर,अजमेर,टोंक,जयपुर,दौसा, झालावाडा,बांरा,कोटा,बूंदी,करौली,अलवर,भरतपुर,धौलपुर के लिए योजना बनाई है.जिसके अंतगर्त कुन्नू बैराज,रामगढ,महलपुर,नवनेरा,मेज,राठौड बैराज के साथ बनास नदी पर सवाईमाधोपुर में डूंगरी बांध बनाए जाएंगे.
अगले चरण में डूंगरी बांध, राठौड़ बांध का निर्माण किया जाएगा. इसके बाद टोंक सवाई माधोपुर,दौसा करौली, भरतपुर, अलवर जयपुर के बांधों को भरा जाएगा.इससे दो लाख हेक्टेयर क्षेत्र में नवीन सिंचाई क्षेत्र डेवलप किया जाएगा. ये तो तय है कि जनता से पहले सियासी प्यास बुझेगी, लेकिन क्या ये सियासत की प्यास जनता की प्यास बुझाने में कामयाब रहेगी, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.