Dudu, Jaipur News: देश का अन्नदाता हर बार कभी मौसम की मार और सूखे की मार झेलता आ रहा है. अन्नदाता को अपनी फसलों के सिंचाई के लिए पानी की मांग को लेकर कड़ाके की ठंड में 2 दिन तक प्रदर्शन कर धरने पर बैठना पड़ा.
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Dudu, Jaipur News: देश का अन्नदाता कभी अतिवृष्टि की मार, कभी ओलावृष्टि की मार, तो कभी-कभी सूखे की मार झेलता है. ऐसे इस बार अच्छी बारिश के बावजूद भी अन्नदाता सिंचाई के पानी को लेकर स्थानीय राजनीति का शिकार होता नजर आ रहा है. ऐसे में 2 दिन से अन्नदाता कड़ाके की ठंड में वर्षों से चली आ रही पानी की बंटवारे की परंपरा की मांग को लेकर ठिठुरने को मजबूर हो रहा है. सिंचाई का पानी होते हुए भी किसान को अपनी फसल के खराब होने का डर सता रहा है और अन्नदाता अपने आप को ठगा-सा महसूस कर रहा है.
विधायक ने तोड़ी परंपरा
प्रदेश के मुखिया एक ओर जहां किसानों की समस्याओं लेकर गंभीर है, वहीं इन दिनों मुखिया के सलाहकार बाबू लाल नागर के क्षेत्र में खेतों में सिंचाई के लिए बांध से पानी छोड़ने को लेकर राजनीति शुरू हो गई है. ऐसे में अन्नदाता को अपनी फसलों के सिंचाई के लिए पानी की मांग को लेकर कड़ाके की ठंड में 2 दिन तक प्रदर्शन कर धरने पर बैठना पड़ा. किसानों का आरोप है कि सिंचाई के पानी के बंटवारे को लेकर स्थानीय विधायक बाबूलाल नागर वर्षों से चली आ रही परंपरा को तोड़कर वोट बैंक को साधने में लगे हैं.
विधायक को सुनाई खरी-खोटी
बांध को लेकर वर्षों से चली आ रही सिंचाई की व्यवस्था को लेकर अन्नदाता को बांध पर आंदोलन करने को मजबूर होना पड़ा और लगातार 36 घंटे कड़ाके की ठंड में अन्नदाता को गलना मजबूरी हो गया, लोकिन न तो बांध पर अन्नदाता की सुध लेने कोई जनप्रतिनिधि नहीं पहुंचा और पहुंचता भी क्यों, क्योंकि किसान उस क्षेत्र से आते हैं, जहां से विधायक बाबूलाल नागर की पुत्रवधू को पंचायत राज चुनाव में करारी हार का मुंह देखना पड़ा मिली था. ऐसे में विधायक ने अपनी राजनीति का फायदा उठाते हुए वर्षों से चली आ रही परंपरा को तोड़कर अपने वोट बैंक की राजनीति चमकाने में लगे हैं, जिससे अन्नदाता में भारी आक्रोश है और उन्होंने विधायक को खरी-खोटी सुनाई.
कड़ाके की ठंड में बैठने को मजबूर अन्नदाता
बांध से दूदू विधानसभा में तीस हजार बीघा जमीन पर सिंचाई होती है. अबकी बार अच्छी बारिश के चलते बांध का जलस्तर भी 11 फुट से ऊपर है. अन्नदाता का कहना है कि इस जलस्तर से विधानसभा के सभी गांवों के अन्नदाता को आसानी से सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो जाएगा, लेकिन विधायक की विधायकगिरी के कारण प्रशासन दबाव में नजर आया, जिसके चलते अन्नदाता को सिंचाई के पानी को परंपरा अनुसार छोड़ने को लेकर लिए कड़ाके की ठंड में 2 दिन बांध पर मजबूर होकर बैठना पड़ा लेकिन फिर भी आखिरकार चली विधायक की विधायक गिरी ही और किसान एक बार फिर राजनीति के शिकार हुए है.
प्रशासन कर रहा समझाइश का प्रयास
वहीं सैकड़ों वर्षों से किसानों के लिए बांध से सिंचाई के पानी की चली आ रही व्यवस्था को बदलने को लेकर प्रशासन भी 2 दिन कड़ाके की ठंड में किसानों के साथ समझाइश इसको लेकर प्रयास करता रहा, क्योंकि वर्षों से चली आ रही परंपरा को तोड़कर सभी किसानों को हर छोड़ तक सिंचाई का पानी पहुंचाना उनकी जिम्मेदारी है, जिससे पानी नहरों द्वारा आसानी से फागी क्षेत्र के पहुंच सके. वहीं अधिकारियों ने इसमें कोई राजनैतिक हस्तक्षेप होने की बात को नकार दिया, तो वहीं किसानों ने स्थानीय विधायक पर वर्षों से आ रही परंपरा को तोड़कर पानी पर राजनीति का आरोप लगाया है.
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चुनाव में दिखाएंगे वोट की ताकत
देश का अन्नदाता हर बार कभी मौसम की मार और सूखे की मार झेलता आ रहा है, लेकिन दूदू विधानसभा में सिचाई के बांध के पानी के बंटवारे की वर्षों से चल आ रही परंपरा विधायक की राजनीति के बीच उलझ गई है. रबी की फसल का सीजन चल रहा है, ऐसे में समय रहते विरोध कर रहे किसानों को पानी नहीं मिला तो इस बार राजनीति की मार का शिकार किसान को होना पड़ेगा. ऐसे में विरोध कर रहे किसानों का कहना है कि आगामी चुनाव में विधायक को वोट की ताकत दिखाएंगे.
Reporter: Amit Yadav
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