Diwali 2022 Lakshmi Pujan Muhurat: रोशन घर-आंगन- पधारेंगी लक्ष्मीजी, शाम 7.15 बजे से 7.28 बजे तक पूजन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त
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Diwali 2022 Lakshmi Pujan Muhurat: रोशन घर-आंगन- पधारेंगी लक्ष्मीजी, शाम 7.15 बजे से 7.28 बजे तक पूजन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त

Diwali 2022: कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी उपरांत अमावस्या प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन होगा. ज्योतिषाचार्य दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त प्रदोष काल, स्थिर- वृष लग्न, स्थिर कुंभ नवमांश का समय शाम 7.15 से 7.28 मिनट तक रहेगा. अतः यह सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा. 

यह है सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त.

Diwali 2022 Lakshmi Pujan Muhurat: दीपों का त्यौहार दीपावली पर गुलाबीनगरी की धरा पर चांद-सितारे उतर आए हैं. हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार दीपावली बडी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. पूरा शहर रोशनी से जगमग हो उठा है. घर-घर दीप जलाकर माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाएगी. वहीं दियों की रोशनी से अमावस्या की रात रोशन होगी.

यह है सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त
दीपावली रोशनी का उत्सव है. दीपों के उजास का उत्सव है. इस बार हस्त-चित्रा नक्षत्र, वैधृति-विष्कुंभ योग में प्रकाश पर्व का मुख्य उत्सव दिवाली चतुर्दशी युक्त अमावस्या के रूप में सेलिब्रेशन होगा. घर-घर आस्था के दीये जलेंगे. कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी उपरांत अमावस्या प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन होगा. ज्योतिषाचार्य दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त प्रदोष काल, स्थिर- वृष लग्न, स्थिर कुंभ नवमांश का समय शाम 7.15 से 7.28 मिनट तक रहेगा. अतः यह सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा. 

सुख समृद्धि के प्रतीक गणेश-लक्ष्मी और कुबेर की पूजा
अति आवश्यकता होने पर दोपहर में अभिजीत मुहूर्त में 11.49 बजे से 12.33 बजे तक साथ ही 2.59 बजे से शाम 5.47 बजे तक पूजा की जा सकती है. सुख समृद्धि के प्रतीक गणेश-लक्ष्मी और कुबेर की पूजा के साथ धूम-धड़ाका देर रात तक चलता रहेगा. शहर में पूजा के मंत्रों के स्वर गूंजेंगे. मां लक्ष्मी के आगमन की तैयारियों में दीपमालाओं से पूरा शहर जगमग हो चुका है. व्यापारी बही पूजन कर व्यापार में समृद्धि की कामना करेंगे तो घरों में पूजन कर परिवार की खुशहाली की मन्नत करेंगे.

धनलक्ष्मी के साथ अष्ट लक्ष्मी का करें पूजन
बच्चे जहां बड़े-बुजर्गों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेंगे तो लोग गले मिलकर और मुंह मीठा कराकर एक-दूसरे को शुभकामनाएं देंगे. चहुंओर रोशनी से शहर जगमग हो चुका हैं. उल्लास के बीच पर्व की खुशी अलग ही शहरवासियों के चेहरे पर नजर आ रही हैं. महिलाओं ने घरों में मांडने मांड दिए हैं और लक्ष्मी के स्वागत के लिए घरों को फूल मालाओं से सजाया हैं. घरों और प्रतिष्ठानों में लक्ष्मी का पूजन होगा. घर-घर धन की देवी लक्ष्मी जी का स्वागत सत्कार किया जाएगा. धनलक्ष्मी के साथ सुख समृद्धि घर में आए इसके लिए अष्ट लक्ष्मी पूजन किया जाएगा.

ज्योतिषिचार्य पंडित दामोदर शर्मा के मुताबिक घर में हर दिशा से लक्ष्मी जी का प्रवेश हो इसलिए आठ दिशाओं में मां लक्ष्मी के आठ स्वरूपों आद्य, विद्या, सौभाग्य, अमृत, काम, सत्य, भोग, योग लक्ष्मी की आराधना की जाएगी.

दीपावली पर दिन में पूजा के मुहूर्त नहीं है
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक इस बार इस बार दीपावली पर दिन में पूजा के मुहूर्त नहीं है. दीपावली पर शाम 5 बजे के बाद से ही लक्ष्मी पूजा की जा सकेगी. पंडित दामोदर शर्मा ने बताया की कार्तिक कृष्ण अमावस्या की संपूर्ण रात्रि को कालरात्रि माना जाता है लेकिन अगले दिन यानि 25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण होने से सुबह 4.15 बजे तक पूजा अर्चना के साथ ही विसर्जन होगा. शर्मा ने बताया की सोमवार को अमावस्या शाम 5.28 से संपूर्ण रात्रि विद्यमान रहेगी. शास्त्रानुसार कार्तिक अमावस्या को प्रदोष काल युक्त अमावस्या में लक्ष्मी पूजन किया जाता है. शर्मा ने बताया कि शाम 5.28 बजे बाद अमावस्या आने के बाद लक्ष्मी पूजन करें. इससे पहले चतुर्दशी होने से रात के समय ही मां लक्ष्मी की पूजा होगी. 25 अक्टूबर को सुबह 04.15 से खण्डग्रास सूर्यग्रहण का सूतक प्रारम्भ हो जायेगा इसलिए दीपावली पूजन के बाद सामग्री का विसर्जन सुबह 04.15 के पूर्व ही कर देना चाहिए क्योंकि सूतक काल की सामग्री दान-प्रसाद के योग्य नहीं बचेगी.

सूतक लगने से मंगलवार की जगह 26 अक्टूबर बुधवार को होगी पूजा
शर्मा ने बताया की 27 साल में अगले दिन 25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण रहने से अन्नकूट गोवर्धन पूजा सूतक लगने से मंगलवार की जगह 26 अक्टूबर बुधवार को होगी. शर्मा ने बताया की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर पूर्वाभिमुख होकर बैठें. लक्ष्मी जी को चौकी पर विराजमान कर षोड्शोपचार पूजन करें. इसके बाद कुबेर के रूप में तिजोरी और सरस्वती के रूप में बही खाता, पेन और स्याही का पूजन करें. पूजन के बाद माता की आरती कर प्रसाद बांटे. शास्त्रों के अनुसार माता को कमल का फूल विशेष प्रिय है. कमल पुष्प अर्पित करने से लक्ष्मीजी प्रसन्न होकर सुख समृद्धि का आर्शीवाद देती है. भक्तों को रात्रि के समय श्रीसूक्तम्, लक्ष्मी सूक्तम्, गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए.

दीपावली पूजन के मुहूर्त
सर्वश्रेष्ठ पूजन मुहूर्त-सायं - 7.15 से 7.28 बजे तक
प्रदोष काल -शाम 5.49 से रात 8.21 बजे तक
वृष लग्न-शाम 7.03 से रात 9 तक
सिंह लग्न -मध्य रात्रि 1.33 से 3.49 तक

चौघड़िए मुहूर्त

चर का- शाम 5.47 से 7.23 बजे तक

लाभ का -रात 10.35 से रात 12.11 बजे तक

शुभ का -मध्यरात्रि 1.47 से 3.22 बजे तक

अमृत का- मध्यरात्रि 3.22 से 4.15 बजे तक

इस विधि से करें देवी लक्ष्मी-श्रीगणेश की पूजा
पूजा के दिन घर को स्वच्छ कर पूजा-स्थान को भी पवित्र कर लें. स्वयं भी स्नान आदि कर श्रद्धा-भक्तिपूर्वक शाम के समय शुभ मुहूर्त में महालक्ष्मी व भगवान श्रीगणेश की पूजा करें. दीपावली पूजन के लिए किसी चौकी अथवा कपड़े के पवित्र आसन पर गणेशजी के दाहिने भाग में माता महालक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें. श्रीलक्ष्मीजी की मूर्ति के पास ही एक साफ बर्तन में केसरयुक्त चंदन से अष्टदल कमल बनाकर उस पर कुछ रुपए रखें तथा एक साथ ही दोनों की पूजा करें.

बहीखाता पूजन
बहीखाता पर रोली या केसर युक्त चंदन से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं और थैली में पांच हल्दी की गांठें, धनिया, कमलगट्टा, चावल, दूर्वा और कुछ रुपए रखकर उससे सरस्वती का पूजन करें

ऐसे कैसे करें मां लक्ष्मी की आरती
आरती के लिए एक थाली में स्वस्तिक आदि मांगलिक चिह्न बनाकर चावल और फूलों के आसन पर शुद्ध घी का दीपक जलाएं। एक अलग थाली में कर्पूर रख कर पूजन स्थान पर रख लें। आरती की थाली में ही एक कलश में जल लेकर स्वयं पर छिड़क लें। पुन: आसन पर खड़े होकर अन्य पारिवारजनों के साथ घंटी बजाते हुए महालक्ष्मीजी की आरती करें.

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बरहाल, कार्तिक मास के बीचों-बीच दीपावली आई तो अपावन अंधेरी अमावस्या प्राण और चेतना के उजाले से जगमगा उठी. हर साल दीपावली तरह-तरह के सुखद समाचार लेकर आती है. खेत-खलिहान, बाग-बगीचे और राह-डगर में पसरे अंधेरे-उजाले के बीच चैतन्य सेतु बनाती दीपावली का आना सनातन परिपाटी है.जो पुराकाल में शुरू हुई. यह तेज, दीप्ति, द्युति, प्रकाश और प्रभा के मनोभावों का पर्व है. दीपावली विलास और मादकता की अंधेरी लंका को मिटाने वाले श्रीराम की अयोध्या नगरी जैसी प्रकाशित है. दीपावली की रात घोर अंधेरे के बीच प्रकाश की शक्तिसगर्व सिर उठाकर फूट पड़ती है तो देखते ही लगता है कि एक नन्हे से अग्निगर्भ दीप ने आसपास के सारे अंधकार को पराजित कर दिया. उसने अज्ञान के तमस को हरा दिया. यह नन्हा-सा दीप, दीप नहीं भगवती महालक्ष्मी का मुख है. 

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