याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने ऑल इंडिया सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षा-2022 पास की थी. इसके अलावा मेडिकल टेस्ट में पास होने के बाद उसका नाम मेरिट लिस्ट में भी आ गया था.
Trending Photos
Jaipur: राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि सैनिक स्कूल में आरक्षण का लाभ लेने के मामले में सैन्य सेवा में कार्यरत कर्मचारी और सैनिक में अंतर होता है. याचिकाकर्ता के पिता सैन्य सेवा के असैनिक कर्मचारी हैं और वे भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के सैनिक नहीं है. ऐसे में याचिकाकर्ता को सैनिक स्कूल में सैनिक कोटे का लाभ नहीं दिया जा सकता. जस्टिस महेन्द्र गोयल ने यह आदेश प्रियांशी की ओर से अपने पिता के जरिए दायर याचिका को खारिज करते हुए दिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता के पिता के सेवा प्रमाण पत्र में कोई रेंक भी नहीं बताई गई है. जिससे साबित होता है कि वह सेना के किसी भी अंग में कोई पद नहीं रखते हैं.
याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने ऑल इंडिया सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षा-2022 पास की थी. इसके अलावा मेडिकल टेस्ट में पास होने के बाद उसका नाम मेरिट लिस्ट में भी आ गया था. वहीं दस्तावेज सत्यापन के समय उस यह कहते हुए सैनिक कोटे का लाभ देने से इनकार कर दिया कि उसके पिता सैनिक की श्रेणी में नहीं आते हैं.
याचिका में कहा गया कि उसके पिता आयुध डिपो, आगरा में कार्यरत हैं इसलिए रक्षा मंत्रालय के अधीन आने के कारण उन्हें सैनिक की श्रेणी में मानकर याचिकाकर्ता को सैनिक कोटे का आरक्षण दिया जाए. इसका विरोध करते हुए केन्द्र सरकार की ओर से कहा गया कि भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के कार्मिकों को ही सैनिक माना गया है और रक्षा मंत्रालय के अधीन आने वाले असैनिकों को सैनिक कोटे का आरक्षण नहीं दिया जा सकता. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद एकलपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया है.
Reporter- Mahesh Pareek
खबरें और भी हैं...
छबड़ा नगर पालिका में हंगामा, निर्दलीय पार्षद और EO में तू-तू-मैं-मैं, टूटा टेबल का कांच
आंखों ही आंखों में बात करते नजर आ रहे IAS अतहर और डॉ. महरीन, लोग बोले- परफेक्ट कपल