पिंकसिटी की सड़कों पर हैं तो जरा संभल जाएं, सिस्टम पर भारी हो चुके हैं सांड!
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पिंकसिटी की सड़कों पर हैं तो जरा संभल जाएं, सिस्टम पर भारी हो चुके हैं सांड!

सांड की करतूत ने सिस्टम को चक्करघिन्नी बना दिया हैं. दो दिन पहले राजधानी जयपुर में बीच सड़क पर जान गंवाने वाले भानपुरकंला निवासी गिर्राज शर्मा की मौत 'मिस्ट्री' बन गई है. नगर निगम मौत की वजह आवारा सांड को मानने को तैयार नही हैं.

 पिंकसिटी की सड़कों पर हैं तो जरा संभल जाएं, सिस्टम पर भारी हो चुके हैं सांड!

Jaipur: सांड की करतूत ने सिस्टम को चक्करघिन्नी बना दिया हैं. दो दिन पहले राजधानी जयपुर में बीच सड़क पर जान गंवाने वाले भानपुरकंला निवासी गिर्राज शर्मा की मौत 'मिस्ट्री' बन गई है. नगर निगम मौत की वजह आवारा सांड को मानने को तैयार नही हैं. वहीं जान गंवाने वाले गिर्राज शर्मा के परिजन निगम अधिकारियों की लापरवाही को घर का चिराग बुझने की वजह मान रहे हैं. नतीजा पुलिस और पोर्स्टमार्टम जांच में सामने आएगा लेकिन सड़कों पर घूम रहे आवारा पशु सिस्टम की नाकामी को आज भी बयां कर रहे हैं.

पिंकसिटी की सड़कों पर आवारा पशुओं का राज है. ये तस्वीरें बयां कर रही हैं. यदि आप भी पिंकसिटी की सड़कों पर पैदल घूम रहे, वाहन चला रहे है या फिर बस स्टॉप पर बस का इंतजार कर रहे हैं तो जरा संभल जाएं. शहर की सड़कों पर आवारा मवेशियों का राज है. आपको शहर की सड़कों पर सांड, उछल कूछ करते बंदर, गाड़ियों के पीछे भागते श्वान देखने को मिल जाएंगे. इन मवेशियों की चपेट से कहीं आप भी चोटग्रस्त न हो जाएं.आवारा मवेशियों के कारण रोज शहर में दुर्घटनाएं हो रही हैं.

राजधानी जयपुर में लोग इनकी चपेट में आने से अपनी जान भी गवां चुके हैं. इनको यहां से कौन हटाएगा, यह किसी को नहीं पता. हालात जानते हुए भी निगम के जिम्मेदार कुंभकर्णी नींद में हैं. शहर के परकोटा क्षेत्र में गली—मोहल्लों,चौराहों में खुले घूमते सांड,श्वान और बंदरों से अभी तक शहर में कई हादसे हो चुके हैं. इसके बाद भी प्रशासन ने इस ओर कोई पुख्ता कदम नहीं उठाया हैं और हालात आज भी जस के तस बने हुए हैं. निगम के पास हिंगौनिया पुर्नवास केंद्र हैं यहां पहले से 15 हजार से गौवंश हैं.

अब निगम ने रोड पर घूम रही गौवंश और आवारा पशुओं को पकड़ने की परवाह छोड़ दी हैं. रविवार को रामगढ़ मोड पर हुए हादसे में भानपुर कलां निवासी गिर्राज शर्मा की मौत के बाद निगम प्रशासन सांड को निर्दोष साबित कर खुद खाल बचाने में जुटा हुआ हैं. घटना के बाद नगर निगम मेयर मुनेश गुर्जर की दलील है की गिर्राज शर्मा की मौत सांड के मारने से नहीं बल्कि दौड़कर बस में बैठने के चक्कर में ठोकर खाकर गिरने से हुई. हालांकि पुलिस कंट्रोल रूम ने भी ब्रह्मपुरी थाने में सूचना दी थी कि रामगढ़ मोड़ पर एक व्यक्ति पर सांड ने हमला कर दिया है.

पुलिस ने भी एफआईआर में सांड के हमले का जिक्र किया है. मृतक गिर्राज शर्मा का साले नरेश का कहना है कि मेरे जीजाजी गांव भानपुराकलां जाने के लिए रामगढ़मोड बस स्टैंड पर खड़े थे.रविवार शाम 6.51 बजे मेरे जीजाजी गिर्राज शर्मा के मोबाइल पर मेरी बहन ने कॉल किया तो किसी अन्य व्यक्ति ने उठाया और कहा कि आवारा पशु ने टक्कर मार दी हैं अस्पताल लेकर जा रहे हैं. चूंकि मैं रामगढ़ मोड पर ही रहता था तो मेरी बहन का दो मिनट बाद यानि की शाम 6.53 बजे ही फोन आया कि जीजाजी को आवारा पशु ने टक्कर मार दी हैं उनको अस्पताल लेकर जा रहे हैं.

उस दौरान मैं घटना स्थल से दूरी पर था मैंने मेरी पत्नी और भाभी को फोन कर अस्पताल भेजा. दोनों को अस्पताल में सांड ने उठाकर गिराने के कारण उनके सिर के बीच में चोट लगना बताया था. वहां के लोग ही नजदीक अस्पताल में लेकर गए. वहां से मेरी पत्नी और भाभी ईएचसीसी अस्पताल लेकर गए वहां गिर्राज की मौत हो गई. नगर निगम प्रशासन साफ झूठ बोल रहा है की बस में चढ़ने के चक्कर में गिरने से मौत हो गई.

यदि हम फ्लैशबैक में जाएं तो वर्ष 2017 में सांडों की लड़ाई में विदेशी सैलानी जपन लैम्प की चौड़ा रास्ता में मौत हो गई थी. जिसके कारण पिंकसिटी की किरकिरी हुई .समय रहते अवैध डेयरियों पर कार्रवाई हो जाती तो बहन के साथ जन्मदिन मनाने आए अर्जेंटीना निवासी जपन लेम्प की जान बच सकती थी. इसके बाद निगम ने कुछ दिन कार्रवाई की और फिर हालात पहले जैसे ही हो गए. इसी तरह वर्ष 2017 में झाडखंड महादेव मंदिर, प्रेमपुरा में स्कूटी सवार किरण दो गायों की चपेट में आ गईं. दोनों गायें उलझ रही थीं. 

हेलमेट का शीशा टूटकर किरण के होंठ में घुस गया और उनका होंठ लटक गया. वर्ष 2022 में प्रताप नगर निवासी ओमप्रकाश (30) घर लौट रहा था. सड़क पर अचानक सांड के आने से ओमप्रकाश की बाइक टकरा गई. इस हादसे में उसकी मौत हो गई. नगर निगम की नाकाफी साबित करने के लिए यह काफी है. निगम क्षेत्र में खुले घूम रहे गौवंश और शहरी क्षेत्र में संचालित अवैध पशु डेयरियों को लेकर सजगता नहीं दिखा रहा है. चारदीवारी की मुख्य सड़कों से लेकर कॉलोनियों में आवारा पशुओं का 'राज' रहता है. .

स्मार्ट सिटी के विकास पर नगर निगम प्रशासन और राज्य सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है. पिंकसिटी की जनता को कैटल फ्री, ग्रीन और क्लीन सिटी का सब्जबाग दिखाया जा रहा है लेकिन शहर की स्वच्छता, यातायात व्यवस्था में बाधक बने आवारा पशुओं से निजात दिलाने के लिए निगम प्रशासन के पास कोई प्लान नहीं हैं. शहर की ऐसी कोई कॉलोनी या सड़क नहीं, जहां पर आवारा पशु विचरण न कर रहे हों. हैरिटेज नगर निगम किस तरह आवारा जानवरों पर अंकुश लगाने के नाम पर खानापूर्ति कर रहा है, यह देखना है तो परकोटा में चले आइए आपको चौगान स्टेडियम के पीछे, नाहरगढ़ रोड, पुरानी बस्ती से लेकर विद्याधर नगर, झोटवाड़ा और मालवीय नगर में अवैध डेयरियों का पूरा जाल है. 

घाटगेट स्थित नवाब का चौराहे पर शाम को गायों का झुंड खड़ा रहता है. इसी तरह पुरानी बस्ती, कंवर नगर, रामगढ़ मोड़, जयलाल मुंशी का रास्ता, नाहरगढ़ रोड पर दिन भर गायों को घूमते हुए देखा जा सकता है. इसी तरह मोती डूंगरी गणेश मंदिर के पीछे गणेश नगर में में भी दिनभर गायें घूमती रहती हैं. लोग निगम में बार—बार शिकायतें करते हैं, लेकिन पहले ही सूचना देकर जानवरों को भगा दिया जाता है.

नगर निगम के अधिकारियों का हमेशा यही तर्क रहता है कि आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए समय-समय पर अभियान शुरू किया जाता है. सवाल यह उठता है कि यदि सही तरीके से अभियान को अमलीजामा पहनाया जाए, तो आवारा पशुओं द्वारा घायल करने की घटनाएं कम होती. नगर निगम महज औपचारिकता ही निभाती दिख रही है. आवारा पशुओं को पकड़ने का काम निगम ने संविदा पर दे रखा है. फरवरी 2022 में संवेदक ने काम शुरू किया.

निगम अधिकारियों ने अपने हाथ बचाने के लिए संवेदक को 30 सितम्बर को एक नोटिस थमा दिया.इधर नगर निगम हैरिटेज की मेयर मुनेश गुर्जर का कहना हैं कि पखवाड़ा चलाकर अवैध पशु डेयरियों और आवारा पशुओं को पड़कने की कार्रवाई की जाएगी. गुर्जर ने कहा कि निविदा की शर्त के अनुसार, आवारा पशुओं से घटित होने वाली समस्त घटनाओं की जिम्मेदारी फर्म और संवेदक की है. 

ऐसे में सवाल उठता है कि पशु प्रबंधन शाखा में कार्यरत अधिकारी और चिकित्सक क्या काम कर रहे हैं? आलम यह है कि कोई व्यक्ति अवैध डेयरी की शिकायत करता है तो उसका शिकायती पत्र जोन कार्यालय और पशु प्रबंधन शाखा के कार्यालय में फुटबॉल बन जाता है.दोनों ही एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर खुद बचने का प्रयास करते हैं?आलम ये है की अब तो पर्यटन-धार्मिक स्थल भी अछूते नहीं हैं. जंतर-मंतर, सिटी पैलेस और हवामहल के आस-पास ही आवारा जानवरों का झुंड घूमता रहता है.

बहरहाल, आखिर पिंकसिटी कैटल फ्री कब होगा ? जनमानस के बीच यह एक अहम सवाल बना हुआ है. सड़कों पर आवारा पशु लोगों की जान के दुश्मन बन रहे हैं. नगर निगम उन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है, ऐसी स्मार्ट सिटी बनाने का क्या लाभ. निगम प्रशासन की ओर से शहर को कैटल फ्री करने के बड़े-बड़े दावे जरूर कर रहे हैं. जो धरातल पर धराशायी हो रहे हैं. प्रशासन ने कागजों पर शहर को कैटल फ्री जरूर दिखाया, लेकिन यहां सड़कों पर लग रहा गोवंश जमावड़ा इन दावों की पोल खोल रहा है.

शहर में गली मोहल्ला तो छोड़िए मुख्य मार्ग पर भी बड़ी संख्या में बेसहारा गोवंश को देखा जा सकता है. मार्ग पर बीचों बीच खड़े गोवंश से न केवल यातायात बाधित हो रहा है. बल्कि लोगों की जान पर भी खतरा मंडराता रहता है.शहरवासी कई बार स्थानीय विधायक, जिला प्रशासन और नगर निगम की मुखिया से लेकर अफसरों तक शहर को कैटल फ्री करने की गुहार लगा चुके हैं.

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