सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले अशोक गहलोत दूसरे CM, ये हैं पहले
Advertisement

सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले अशोक गहलोत दूसरे CM, ये हैं पहले

राजस्थान न्यूज: जयनारायण व्यास के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दो वर्ष बीत जाने के बाद अक्टूबर—नवंबर 2052 में सीएम पद को लेकर संघर्ष छिड़ गया था, ऐसे में 6 नवंबर 1954 को कांग्रेस विधायक दल के नेता के लिए चुनाव हुए, 

सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले अशोक गहलोत दूसरे CM, ये हैं पहले

राजस्थान चुनाव: देश के सबसे बड़े भूभाग वाले राज्य का मुख्यमंत्री बनना वाकई में एक गर्व का विषय है. राजस्थान के नए मुख्यमंत्री के चुनाव में मात्र 12 दिन का समय रह गया है. जब 25 नवंबर को राजस्थान की जनता अपने नए मुख्यमंत्री का चुनाव करेगी. बेशक विधायकों के जरिए मुख्यमंत्री का चयन होता है लेकिन कौन मुख्यमंत्री कितने दिन रह पायेगा, यह तो वक्त ही तय करता है.

प्रदेश में अब चुनावी समर पूरी तरह से अपने आगाज पर है, टिकट बंट चुके हैं, प्रत्याशी तय हो चुके है और बिसात बिछ चुकी है. लेकिन यह तय नहीं है कि बीजेपी की सरकार बनेगी या कांग्रेस की. यह भी तय नहीं कि कौन जीतेगा और कौन हारेगा? इसके बावजूद "मुख्यमंत्री कौन'' वाला प्रश्न मानों हर जुबां का सवाल हो गया है.

प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के चुनाव के लिए आगामी 25 नवंबर को मतदान होगा. 3 दिसंबर को मतगणना के बाद प्रदेश के नए सीएम की स्थिति भी स्पष्ट होगी. मुख्यमंत्री बनना अलग बात है लेकिन कितने समय तक मुख्यमंत्री रहेंगे यह भी एक अलग ही किस्मत का खेल है.नए मुख्यमंत्री के चुनाव से पहले आईए जानते है राजस्थान में कार्यकाल के अनुसार कौन मुख्यमंत्री कितने दिन तक रहे है.

17 साल तक मुख्यमंत्री रहे सुखाड़िया

प्रदेश में अब तक सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया के नाम है. सुखाड़िया राजस्थान में सबसे ज्यादा समय 6,038 दिन सीएम रहे थे. अपने चार बार के कार्यकाल में सुखाड़िया कुल 17 साल यानी कुल 6,038 दिन सीएम रहे. 17 साल तक राजस्थान की कमान संभालने वाले मोहन लाल सुखाडिय़ा महज 38 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बन गए थे.

13 नवंबर 1954 को मोहनलाल सुखाड़िया राजस्थान के पहली बार मुख्यमंत्री बने थे, 1952 के विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद टीकाराम पालीवाल मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद जयनारायण व्यास को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया गया था.

जयनारायण व्यास के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दो वर्ष बीत जाने के बाद अक्टूबर—नवंबर 2052 में सीएम पद को लेकर संघर्ष छिड़ गया था, ऐसे में 6 नवंबर 1954 को कांग्रेस विधायक दल के नेता के लिए चुनाव हुए, इस चुनाव में सुखाड़िया ने तत्कालीन मुख्यमंत्री जयनारायण व्यास को 8 वोटों से हरा दिया, जिसके बाद 13 नवंबर को पहली बार सुखाड़िया राजस्थान के मुख्यमंत्री चुने गए.

सुखाड़िया पहली विधानसभा में 13 नवंबर 1954 से 11 अप्रैल 1957 तक मुख्यमंत्री रहे, वही दूसरी विधानसभा के लिए 11 अप्रैल 1957 से 11 मार्च 1962 तक मुख्यमंत्री रहे. तीसरी विधानसभा के लिए भी उन्हे 12 मार्च 1962 को फिर से मुख्यमंत्री चुना गया, तीसरी विधानसभा का कार्यकाल पूर्ण होने के बाद 13 मार्च 1967 तक वे मुख्यमंत्री रहे.

13 मार्च से 26 अप्रैल 1967 तक राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा रहा, जिसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में जीत के बाद कांग्रेस की ओर से फिर से सुखाड़िया को मुख्यमंत्री बनाया गया. वे चौथी विधानसभा में 26 अप्रैल 1967 से 9 जुलाई 1971 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री बने रहें. इस तरह मोहनलाल सुखाड़िया शुरुआती चार विधानसभा में कुल 4 बार मुख्यमंत्री रहते हुए 6,038 दिन यानी कुल 17 साल तक राज्य के मुख्यमंत्री बने रहे.

जब 15 दिन के मुख्यमंत्री बने देवपुरा

राजस्थान के राजनीतिक इतिहास में कांग्रेस नेता हीरा लाल देवपुरा ऐसे मुख्यमंत्री रहे है जिनका कार्यकाल मात्र 16 दिन का रहा है, कुंभलग से विधायक रहे हीरालाल देवपुरा 7 वीं विधानसभा के तीसरे मुख्यमंत्री थे. 7 वीं विधानसभा के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में शिवचरण माथुर मुख्यमंत्री थी, उनके कार्यकाल के दौरान ही 7 बार के विधायक मानसिंह का एनकाउंटर हो गया.

साल 1985 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने भरतपुर के पूर्व राजा मानसिंह के खिलाफ एक पूर्व IAS को प्रत्याशी उतारा था. 21 फरवरी 1985 को तत्कालीन CM शिवचरण माथुर कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में चुनावी सभा को संबोधित करने के लिए डीग पहुंचने वाले थे. सभा से एक दिन पहले रात में कुछ कार्यकर्ताओं ने अति उत्साह में डीग महल पर लगे राजपरिवार के झंडे को उतार दिया और उसे फाड़ कर जला दिया.

इस बात का बदला लेने के लिए मानसिंह ने दूसरे दिन 20 फरवरी 1985 को सभा के रास्ते में CM शिवचरण माथुर के स्वागत के लिए बनाए गए द्वारों को उन्होंने जीप से टक्कर मारते हुए तोड़ दिया. साथ ही CM माथुर के मंच को भी तोड़ा और हेलिकॉप्टर को जीप से टक्कर मार दी.

इस घटना के अगले दिन यानी 21 फरवरी 1985 को 11 से ज्यादा पुलिसवालों ने उन्हें और उनके दो साथियों को घेरकर एनकाउंटर में मार दिया.

तीन दिन में बदल गया सबकुछ

21—22फरवरी की दरमियानी रात में राजा मान सिंह की मौत के बाद प्रदेश भर में मचे बवाल को शांत करने के लिए कांग्रेस ने CM शिवचरण माथुर को हटाने का फैसला कर लिया था. मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने और इस्तीफा देने के निर्देश मिलने के बाद 22 फरवरी की आधी रात में CM शिवचरण माथुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राजा मानसिंह की मौत की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मंत्रिमण्डल सहित इस्तीफा देने की घोषणा कर दी थी.

48 घण्टे के अंदर ही यानी 23 फरवरी 1985 के दिन तत्कालीन CM शिवचरण माथुर ने इस्तीफा दे दिया था. इसके तुरंत बाद ही कुम्भलगढ़ विधायक हीरालाल देवपुरा को नया मुख्यमंत्री बना दिया गया था. 23 फरवरी को ही देर शाम साढ़े 8 बजे देवपुरा ने राजभवन पहुंचकर मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी.

मुख्यमंत्री बनने के 15 दिन बाद ही हुए चुनाव में आठवीं विधानसभा के लिए कांग्रेस के विधायक दल ने हरिदेव जोशी को नया मुख्यमंत्री चुन लिया, जिसके बाद 10 मार्च 1085 को हीरा लाल देवपुरा को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा.ऐसे में तत्कालीन CM हीरालाल देवपुरा 23 फरवरी 1985 से 10 मार्च 1985 तक महज 15 दिन ही मुख्यमंत्री के पद पर रहे थे.

दूसरे सर्वाधिक समय तक रहने वाले सीएम गहलोत

प्रदेश में मोहनलाल सुखाड़िया के बाद सर्वाधिक कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बनने जा रहे हैं. सुखाड़िया 17 साल में चार बार मुख्यमंत्री चुने गए थे. वही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 5-5 साल के तीन कार्यकाल पूरे कर चुके हैं. तीसरी बार सीएम चुने जाने से उनका कार्यकाल 15 साल का हो जाएगा.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने प्रथम कार्यकाल में 1 दिसंबर 1998 से 8 दिसंबर 2003 तक लगातार 5 साल मुख्यमंत्री रहे है. इसी तरह से दूसरे कार्यकाल में 12 दिसंबर 2008 से 13 दिसंबर 2013 तक मुख्यमंत्री रहे है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का वर्तमान में तीसरा कार्यकाल जारी है. तीसरे कार्यकाल में मुख्यमंत्री गहलोत ने 17 दिसंबर 2018 से कार्यग्रहण किया था, 3 दिसंबर को चुनाव परिणाम जारी होंगे. इस तरह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अब तक अपने तीन कार्यकाल में करीब 15 साल के लिए मुख्यमंत्री रह चुके है. 3 दिसंबर 2023 वे करीब 5483 दिन तक मुख्यमंत्री रह चुके होंगे.

इस तरह राजस्थान के राजनीतिक इतिहास में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पूर्व मुख्यमंत्री सुखाड़िया के बाद दूसरे मुख्यमंत्री है जो सर्वाधिक समय के लिए मुख्यमंत्री है.

पूर्व सीएम शेखावत और वसुंधरा राजे रही है 10 साल

कार्यकाल के अनुसार अशोक गहलोत के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत 10 साल 157 दिन तक कुल तीन बार मुख्यमंत्री रहे है. भाजपा से वसुंधरा राजे दो बार मुख्यमंत्री के रूप में 10 साल 8 दिन के लिए मुख्यमंत्री रही है.

इसके साथ ही हरिदेव जोशी 6 साल 241 दिन, शिवचरण माथुर 5 साल 117 दिन, हरिभाऊ उपाध्याय 4 साल 221 दिन, जय नारायण व्यास 2 साल 324 दिन, बरकतुल्लाह खान 2 साल 94 दिन, हीरालाल शास्त्री 1 साल 174 दिन, जगन्नाथ पहाड़िया 1 साल 38 दिन, टीकाराम पालीवाल 243 दिन के लिए मुख्यमंत्री रहे है.

यह भी पढ़ेंः 

Rajasthan Elections: चुनावी रण में पति-पत्नी आमने-सामने,वीरेंद्र और रीटा के बीच मुकाबला, क्या होंगे परिणाम?

Rajasthan के चुनावी रण में उतरे आरपीएससी के दो सदस्य, बीजेपी ने मांगा इस्तीफा

हमारा मुकाबला BJP से नहीं, ED, CBI और इनकम टैक्स से है, सीएम ने ये क्यों कहा? जानिए

 

 

Trending news