प्रशासन गांवों के संग अभियान की मंत्री के सामने खुली पोल, बाप की अस्थियां लेकर आया बेटा
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प्रशासन गांवों के संग अभियान की मंत्री के सामने खुली पोल, बाप की अस्थियां लेकर आया बेटा

Jaipur: जयपुर में कांग्रेस मुख्यालय पर अशोक गहलोत सरकार के मंत्री रामलाल जाट ने जनसुनवाई की जिसमें एक युवक अपने पिता की अस्थियां लेकर पहुंचा

प्रशासन गांवों के संग अभियान की मंत्री के सामने खुली पोल, बाप की अस्थियां लेकर आया बेटा

Jaipur: प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में अशोक गहलोत सरकार के राजस्व मंत्री रामलाल जाट ने जनसुनवाई की. जनसुनवाई में आमेर तहसील से पीड़ित रामकिशन बलाई पहुंचा. शुल्क जमा होने के बावजूद भी प्रशासन 10 साल से सीमा ज्ञान नहीं करवा रहा. इससे जमीन विवाद का निस्तारण नहीं किया जा रहा है. हालत यह है कि पीड़ित पिछले 13 महीने से अपने पिता की अस्थि भी विसर्जित नहीं कर रहा है. आज राजस्व मंत्री रामलाल जाट के सामने पिता की अस्थि कलश लेकर पीड़ित ने अपनी पीड़ा जाहिर की. इस दौरान रामलाल जाट ने तुरंत जिला कलेक्टर को निर्देशित किया और कहा कि सेटेलाइट से सीमा ज्ञान करवा कर तुरंत निस्तारण किया जाए.

जानकारी के अनुसार रामकिशन ने अपनी जमीन की सीमा ज्ञान के लिए आवेदन किया लेकिन सेटलमेंट अधिकारी उसे लगातार टालते रहे. कारण बताया जा रहा है कि रामकिशन की जमीन के आसपास कई लोगों ने मकान भी बना लिए है. जिससे जरब से सीमा ज्ञान नहीं हो पा रहा था. ऐसे में अब राजस्व मंत्री रामलाल जाट ने सेटेलाइट से सीमा ज्ञान करवाने के आदेश दिए हैं.

पीसीसी में हुई जनसुनवाई में शिक्षा, चिकित्सा, राजस्व सहित कई विभागों के प्रकरण प्राप्त हुए. रामलाल जाट ने कहा कि प्रशासन शहरों और गांवों के संग अभियान के माध्यम से लोगों को सरकार ने बड़ी राहत दी है. पट्टे वितरित किए जा रहे हैं. ताकि लोगों को अपने मकान का अधिकार मिल सके.

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सेटेलाइट के कारण हुई देरी- मंत्री

मंत्री रामलाल जाट ने कहा कि सीमा ज्ञान सेटेलाइट के माध्यम से होना था जिसकी वजह से देरी हुई है. लेकिन इस संबंध में जिला कलेक्टर को निर्देशित किया है. रामलाल जाट कि इस जनसुनवाई में पहुंचे पीड़ित ने प्रशासन गांव के संग अभियान की भी पोल खोली कि इस अभियान के माध्यम से प्रशासन की ओर से किसी तरह की सुनवाई नहीं की जा रही है. जिसकी वजह से पीड़ित पिता की अस्थि कलश साथ लेकर पिछले 13 महीने से चक्कर लगा रहा है. लेकिन प्रशासन के किसी अधिकारी ने सुनवाई नहीं की और जिसकी वजह से पीड़ित का सीमा ज्ञान नहीं हो सका.

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