हनुमानगढ़ न्यूज: देश में आज स्वतंत्रता दिवस का त्योहार धूम-धाम से मनाया जा रहा है. आपको बताते हैं कहानी शौर्य और बलिदान के मिसाल अमर सिपाहियों की जिन्होंने अद्भुत साहस का परिचय दिया.
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हनुमानगढ़ न्यूज: आजादी की वर्षगांठ पर 76 वीरता पुरस्कारों की घोषणा हुई तो उनमें दो नाम ऐसे थे जो खुद के जीवन को शौर्य और बलिदान के बल पर अमर कर गए.दो नाम हैं- मेजर विकास भांभू और मेजर मुस्तफा बोहरा.
252 आर्मी एविएशन स्क्वाड्रन के मेजर विकास भांभू और उनके को-पायलट मेजर मुस्तफा बोहरा 21 अक्टूबर 2022 को अरुणाचल प्रदेश में बॉर्डर एरिया में हेलीकॉप्टर पर टोही मिशन पर थे. सुबह लगभग 10:30 बजे ये दोनों मिशन पूरा वापस लौट रहे थे. इसी दौरान बॉर्डर से करीब 20 किलोमीटर दूर हेलीकॉप्टर में आग लग गई.
भारत माता के दोनो सपूतों ने अद्भुत साहस का परिचय देते हुए लोगों की जिंदगी बचाने के लिए हेलीकॉप्टर को दूर ले गए जहां हेलीकॉप्टर की क्रैश लैंडिग हुई, दुर्घटना में मेजर विकास भांभू और मेजर मुस्तफा बोहरा शहीद हो गए. दोनों जांबाजों ने भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपरा को निभाते हुए देश के लिए जीवन बलिदान दे दिया. मेजर विकास भांभू और मेजर मुस्तफा बोहरा को मरणोपरांत शौर्य चक्र प्रदान किया गया है.
मेजर भांभू मूल हनुमानगढ़ जिले के रामपुर गांव के
मेजर विकास भांभू मूल रूप से हनुमानगढ़ जिले के रामपुर गांव के रहने वाले हैं, जहां आज शहीद को शौर्य चक्र से सम्मानित होने की सूचना पर आसपास के ग्रामीण उनके घर पहुंचे और अमर शहीद मेजर विकास भांभू अमर रहे के नारे लगाए. इस दौरान शहीद मेजर विकास भांभू के पिता भागीरथ भांभू ने खुद को अभूतपूर्व गौरव महसूस करवाने वाला पिता बताया, उनका कहना था कि विकास हमेशा से ही कुशाग्र बुद्धि का छात्र था.
प्रारंभिक शिक्षा गांव से ही लेने के बाद विकास अपने पिता के साथ सीकर चला गया जहां उनके पिता सहकारी विभाग में कार्यरत थे. विकास ने 12वीं की परीक्षा के साथ ही एनडीए का एग्जाम दिया था जिसमें चयनित होने पर भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट चयनित होकर ज्वाइन कर लिया था.
भारतीय आर्मी में रहते मेजर विकास को जो भी टास्क और मिशन दिए गए उन्हे मेजर विकास ने सफलता पूर्वक पूरे किए. साथ जितने भी आंतरिक कोर्स किए मेजर विकास सबमें टॉपर रहे.
जिसके बाद आर्मी में उनकी लगातार बेहतरीन परफॉर्मेंस देखकर उन्हें एविएशन ब्रांच में पायलट बनाने का निर्णय लिया. पायलट की ट्रेनिंग के दौरान चार कंपीटीशन हुए और चारों अवार्ड मेजर विकास ने अपने नाम कर लिए.
जिसको लेकर विकास के पिता से उनके साथी ट्रेनीज ने मजाकिया शिकायत भी की थी कि जहां मेजर विकास होता है वहां कोई दूसरा नहीं जीत पाता.मेजर विकास की इसी वीरता और शौर्य के चलते ही उसे 2018 में सर्जिकल स्ट्राइक में भी भेजा गया था. सर्जिकल स्ट्राइक को वीरता पूर्वक पूरा करने कर 26 जनवरी 23 को मेजर विकास को सेना मेडल से सम्मानित किया गया था और अब देश की रक्षा के लिए जान न्यौछावर कर देने वाले मिशन के लिए महामहिम राष्ट्रपति ने शौर्य चक्र के लिए नामित किया है.
मेजर विकास ने स्टाफ ऑफ कॉलेज के लिए दी थी परीक्षा
शहीद होने से चंद दिन पहले ही मेजर विकास ने स्टाफ ऑफ कॉलेज के लिए परीक्षा दी थी. जिसमें सेना के लगभग 2500 अधिकारी शामिल हुए थे, मेजर विकास भांभू के शहीद होने के बाद आए परिणाम में भी उन्होंने परीक्षा को टॉप किया था. विकास भांभू के पिता ने कहा कि मेजर विकास के जाने का असहनीय दर्द तो उन्हे है लेकिन मेजर विकास ने अपनी शहादत देकर ना सिर्फ अपने परिवार, गांव और जिले बल्कि पूरे हिंदुस्तान को गौरवान्वित किया है.
शहीद मेजर के पिता ने युवाओं से शहीद मेजर विकास भांभू के जीवन से प्रेरणा लेकर देश भक्ति का जज्बा कायम रखना चाहिए. युवाओं को भारतीय सेना ज्वाइन कर न सिर्फ अपने परिवार अपने क्षेत्र बल्कि अपने पूरे देश को नाम गौरवान्वित करना चाहिए.
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