धौलपुर में जमीन को लेकर मिलिट्री स्कूल और वन विभाग में विवाद, बिना अनुमित काम करवाने का आरोप
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धौलपुर में जमीन को लेकर मिलिट्री स्कूल और वन विभाग में विवाद, बिना अनुमित काम करवाने का आरोप

Dholpur News: केसर बाग सेंचुरी स्थित राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल के पीछे स्थित वन भूमि को लेकर विवाद हो गया. सेंचुरी इलाके की कथित भूमि को लेकर वन विभाग और मिलिट्री स्कूल प्रशासन आमने-आमने हो गए. वन विभाग अधिकारी ने भूमि पर बिना अनुमित के कार्य करने का आरोप लगाया है.

 

धौलपुर में जमीन को लेकर मिलिट्री स्कूल और वन विभाग में विवाद, बिना अनुमित काम करवाने का आरोप

Dholpur: केसर बाग सेंचुरी स्थित राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल के पीछे स्थित वन भूमि को लेकर विवाद हो गया. सेंचुरी इलाके की कथित भूमि को लेकर वन विभाग और मिलिट्री स्कूल प्रशासन आमने-आमने हो गए. वन विभाग अधिकारी ने भूमि पर बिना अनुमित के कार्य करने का आरोप लगाया है. वन विभाग दस्ता यहां लगाए गए सीमेंंटेड खंभों को हटवा रहा था. जिस पर मिलिट्री स्कूल के अधिकारी भी पहुंच गए और भूमि पर अपना दावा जताते कार्य रूकवा दिया. जिसको लेकर दोनों पक्षों में विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई. सूचना पर पचगांव चौकी से पुलिस कर्मी पहुंचे और समझाइश कर मामला शांत कराया.

जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल के पीछे भूमि पर स्कूल प्रशासन की ओर से यहां सीमेंटेड पोल लगा रखे हैं. जिन पर तार फैंसिंग की जानी थी. सेंचुरी एरिया होने पर वन विभाग को सूचना मिलने पर वन अधिकारी और स्टाफ मौके पर जेसीबी मशीन लेकर पहुंच गया. दस्ते ने मौके पर सीमेंटेड पोलों को हटाना शुरू कर दिया. इसकी खबर मिलने पर मिलिट्री स्कूल के अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए और कार्रवाई का विरोध जताते हुए कार्य रुकवा दिया. जिस पर दोनों पक्षों में विवाद हो गया. दोनों ही पक्ष अपनी जमीन होने का दावा करने लगे. 

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विवाद होने पर सूचना पर पचगांव चौकी से एएसआई जानकीनंदन मीणा मय जाप्ते मौके पर पहुंचे और समझाइश की. प्रभारी ने दोनों पक्षों से वार्ता करने के बाद कार्य को रुकवा दिया और कागजात पेश करने के लिए कहा. वन विभाग का कहना है कि केशर बाग सेंचुरी स्थित राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल के पास करीब साढ़े 7 बीघा जमीन है. जिस पर वन विभाग अपनी जमीन बता रहा है. उधर, मामले में मिलिट्री स्कूल प्रशासन के अनीश अहमद ने बताया कि जमीन मिलिट्री स्कूल की है. मामले में अधिक जानकारी उच्चाधिकारी बता सकेंगे.

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