चित्तौड़गढ़ में विभागीय कार्यालयों के बीच पूर्वजों की होती विशेष पूजा,चमत्कारिक स्थान का है विशेष महत्व
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चित्तौड़गढ़ में विभागीय कार्यालयों के बीच पूर्वजों की होती विशेष पूजा,चमत्कारिक स्थान का है विशेष महत्व

Chittorgarh News:  चित्तौड़गढ़ के जिला मुख्यालय स्थित जिला कलेक्ट्रेट पर विभागीय जिला कार्यालयों के बीच पूर्वजों की विशेष पूजा-अर्चना होती है, चमत्कारिक स्थान का है, विशेष महत्व.

चित्तौड़गढ़ में विभागीय कार्यालयों के बीच पूर्वजों की होती विशेष पूजा.

Chittorgarh News: पूजा-पाठ और भोजन प्रसादी का ये आयोजन किसी धार्मिक स्थल पर नहीं बल्कि चित्तौड़गढ़ के जिला मुख्यालय स्थित जिला कलेक्ट्रेट भवन के अंदर सभी विभागों के कार्यालयों के बीचो-बीच हो रहा है,और वो भी तब,जब कि जिला कलेक्टर,पुलिस अधीक्षक सहित तमाम जिला अधिकारियों के कार्यालयों का संचालन आम दिनों की तरह सहज रूप से हो रहा हैं. देखने सुनने में थोड़ा अजीब जरुर लगता होगा,लेकिन ये धार्मिक आयोजन एक दो साल से नही बल्कि पिछले छह दशक के पहले से होता आ रहा है. क्या है पूरा रोचक मामला आइए पूरे मामलें से आपकों वाकिफ करवाते हैं.

चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय के सेंटर पॉइंट यानी कलेक्ट्रेट भवन में तमाम जिला अधिकारियों प्रशासनिक अधिकारियों,पुलिस अधीक्षक सहित तमाम आला अधिकारियों के ऑफिस मौजूद हैं. क्लेट्रेट भवन में मुख्य गेट से प्रवेश करने के बाद अंदर वाले पोर्च में चारों तरफ विभागों के कार्यालयों के बीचों-बीच खुले स्थान में ग्रामीणों की भीड़ देख हमें लगा कि ये लोग किसी सरकारी स्कीम का लाभ लेने या कोई सरकारी काम को करवाने आए होंगे. लेकिन जब हमने यहां मौजूद कुछ महिलाओं के समूह के पास कुछ अन्य महिलाओं को बर्तन धोते और पास में कुछ लोगों को खाना खाते देखा तो उत्सुकतावश उनसे बात करे बगैर नहीं रह सकें.

 जब हमनें महिलाओं और वहां मौजूद पुरुषों से बात की,और बातचीत में यहां मौजूद भीड़ के पीछे जो हकीकत सामने आई,उसे सुन कर हमारी तरह आप भी सन्न रह जाएंगे.

वहां, मौजूद महिलाओं और पुरुषों ने बातचीत के दौरान मीडिया को बताया कि कलेक्ट्रेट भवन में तमाम विभागों के कार्यलयों के बीचोबीच उनके सालवी समाज के पूर्वजों का देव स्थान बना हुआ है. यह देव स्थान एक-दो दशकों से नहीं,बल्कि कलेक्ट्री भवन के निर्माण से पहले करीब 65 साल पुराना है.जब ये जगह उनके खातेदारी में आती थी.यहां खेत और मैदान हुआ करते थे. तब उनके पूर्वजों को यहां विधिवत तरीके से पूजा पाठ के बाद बैठाया गया था.

तब से ही सालवी समाज के लोग यहां अपने पूर्वजों की पूजा अर्चना करते चले आ रहे है.विशेष कर बैसाख के महीने में ग्यारस,अमावस व पूर्णिमा को की रात सालवी समाज के लोग परिवार और रिश्तेदारों के साथ बड़ी संख्या में कलेक्ट्रेट भवन पहुंचते है.जिसके बाद परिवार की महिलाओं,बच्चों,बुजुर्गों और युवा यहां विराजित पूर्वजों की विशेष पूजा पाठ करते हैं.सभी लोग रातभर यही ठहरते है और रातभर रात्रि जागरण के दौरान समाज की महिलाएं पूर्वजों की उपासना में गीत गाती हैं. सुबह सामूहिक भोज के साथ कार्यक्रम का समापन होता हैं और सभी लोग अपने घर चले जाते हैं.

बताया जाता है कि कई सालों पहले चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय में कलेक्ट्री भवन के निर्माण के समय यहां स्थापित सालवी समाज के पूर्वजों के देव स्थान के शीलपट्ट हटाने का प्रयास किया गया था. निर्माण कार्य के दौरान अधिकारियों के निर्देश पर निर्माणकार्य कर रहे मजदूरों ने पूर्वजों के स्थान को यहां से हटा कर बाहर कर दिया.जिस दिन पूर्वजों के शीलपट्ट यहां से हटाए गए उसी रात पूर्वजों के स्थल के आसपास की निर्माणधीन दीवारें अपने आप धरायशी हो गईं.जिससे यहां निर्माणकार्य कर रहे मजदूर और अधिकारी घबरा गए.

जिसके बाद सभी ने वापस पूर्वजों को यथावत उसी स्थान पर लाकर बैठाया.तब से लेकर अब तक सालवी समाज के पूर्वज कलेक्ट्री भवन के अंदर सभी कार्यालयों के ठीक बीचोबीच मौजूद है,और सालवी समाज उनकी पूजा अर्चना करता चला आ रहा है.केवल सालवी समाज ही नहीं,बल्कि कई दूसरे समाज के लोग भी यहां स्थित पूर्वजों के स्थल के प्रति विशेष आध्यात्मिक भाव रखते हैं. वहीं, कहा जाता है कि आमजन के अलावा यहां संचालित कई विभागों में कार्यरत अधिकारी व कर्मचारी पूर्वजों विधिवत मानते और ध्याते हैं और उनकी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं.

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