सूर्यमल्ल मिश्रण के द्वारा लिखें गए बड़े साहित्य,वंश भास्कर, वीर सतसई आज भी उनकी याद दिलाते है.
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Bundi News : राजस्थान के बून्दी जिले के हिंडोली कस्बे के निकट ग्राम हरणा में जन्मे विश्व कवि सूर्यमल मिश्रण की जन्मस्थली एक शताब्दी 12वीं उपेक्षित पड़ी हुई है. यहां पर मिशन के जन्म स्थली में विकास के नाम पर कुछ भी नहीं है. जबकि सोच के लिए यहां पर पहले कहीं विद्वान आते थे.
जानकारी के अनुसार कस्बे से करीब 5 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम हरणा में महाकवि सूर्यमल मिश्रण का जन्म हुआ था. बचपन से ही वह तीक्षण बुद्धि के स्वामी थे, उन्होंने राजघरानों में रहकर कई कविताएं लिखी थी. उनकी कविताएं वीर रस से ओतप्रोत रहती थी. उनसे राजाओं को युद्ध मे काफी प्रेरणा मिली थी, जिनमें इला ना देनी अपनी हालरियों हुलाराव, पूत सिखावे पालने मरण मान बढ़ाए "जैसी कविताए आज भी प्रसिद्ध है.
पूर्व मे महाकवि के नाम पर डाक टिकट भी जारी हुआ था. इनकी जन्मस्थली आज भी वर्षो से उपेक्षित पड़ी हुई है, सूर्यमल्ल मिश्रण के द्वारा लिखें गए बड़े साहित्य,वंश भास्कर, वीर सतसई आज भी उनकी याद दिलाते है.
ऐसा नहीं हैं की प्रयास नहीं हुए कस्बेवासियों और प्रबुद्धजनों ने उनके नाम से पुस्तकालय खोलने और पेनोरमा बनाने के लिए आंदोलन किया, लेकिन सरकार पेनोरमा नहीं बनवा सकी सूर्यमल्ल समिति के सदस्य चिराग नकलक ने बताया की दिल्ली में नवनिर्मित संसद भवन में राजस्थान से महाकवि की जन्मस्थली की मिट्ठी प्रशासन ने भेजी थी. जिससे उनके कद का अंदाजा लगाया जा सकता है, लेकिन सरकार की उदासीनता क़े चलते आज उनकी हवेली केवल एक खंडहर बन रह गई. विरासत को भुलाया जा रहा है, जबकि पूरे देश में उनकी पहचान है.
सूर्यमल मिश्रण की जयंती बूंदी में साहित्यकारों में मनाई लेकिन उनके जन्मस्थली पर सन्नाटा पसरा था, ऐसे में महाकवि सूर्यमल मिश्रण को याद करना जनप्रतिनिधियों को रास नहीं आ रहा है.
रिपोर्टर- संदीप व्यास
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