अलवर के कुछ सरकारी स्कूलों की धीरे धीरे दशा सुधरती जा रही है और उत्तरोत्तर नामांकन की वृद्धि भी होती जा रही है. इन स्कूलों की कायाकल्प करने के लिए समग्र शिक्षा अभियान की प्रेरणा से एक निजी संस्था द्वारा जीर्णोद्धार का कार्य किया जा रहा
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Alwar news: अलवर जिले के सरकारी स्कूल जहां जीर्णशीर्ण अवस्था में हुआ करते थे. लेकिन अब अलवर के कुछ सरकारी स्कूलों की धीरे धीरे दशा सुधरती जा रही है और उत्तरोत्तर नामांकन की वृद्धि भी होती जा रही है. इन स्कूलों की कायाकल्प करने के लिए समग्र शिक्षा अभियान के इंजीनियर राजेश लवानिया की प्रेरणा से एक निजी संस्था द्वारा जीर्णोद्धार का कार्य किया जा रहा है . सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस कार्य के साथ-साथ स्कूल में वाटर हार्वेस्टिंग का पूरा ध्यान रखा जा रहा है और जिन स्कूलों में पानी की कमी हुआ करती थी अब वाटर रिचार्ज हो रहा है. इससे वहां पानी की कमी दूर हो रही है और हरियाली भी दिखाई देती है.
अलवर शहर से करीब 6 किलोमीटर दूर राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय लिवारी है. लिवारी के इस स्कूल का विगत 4 साल में पूरी तरह कायाकल्प हो गया है. एक समय था जब इस स्कूल में बरसात के दिनों में बच्चे नहीं आते थे.ग्राउंड में पानी भर जाता था.स्कूल की छत टपकती थी .ऐसे में इंजीनियर राजेश लवानिया की प्रेरणा से सहगल फाउंडेशन ने इस स्कूल का जीर्णोद्धार करने का बीड़ा उठाया. लवानिया के निर्देशन में ही इस स्कूल का कायाकल्प किया गया.आज हालात ये है. कि इस छोटे से स्कूल में बच्चों का नामांकन 180 के करीब है और वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम इतना सशक्त तरीके से बनाया गया है. कि यहां हर साल करीब 1 लाख लीटर पानी को व्यर्थ बहने से बचाया जाता है. वह सीधा जमीन में जाता है जिससे वहां का जलस्तर भी बढ़ रहा है.
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इस स्कूल में एक एक बूंद पानी की बचत की जाती है. बरसात के दिनों में पानी की एक-एक बूंद सीधी वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट में जाता है. हर छत की मौरी को एक पाइप लाइन से जोड़ा है एक बूंद भी पानी व्यर्थ नहीं जाता है. अब हालात यह है. कि यहां हरियाली भी दिखाई देती है. बच्चों को पढ़ने के लिए हर दीवार पर ज्ञान के संदेश लिखे हुए हैं. बच्चे दीवार पर लिखी हुई हर चीज से सीख रहा है.
वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
इंजीनियर राजेश लवानिया ने बताया कि इस फाउंडेशन के जरिए 54 स्कूलों का जीर्णोद्धार कार्य कराया गया जिनमें वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया गया और विगत वर्ष एक करोड़ 37 लाख लीटर पानी को बचाया गया।अब जो नए स्कूलों के जीर्णोद्धार हो रहे है. उनके रिजल्ट भी आएंगे. लिवारी स्कूल पूरी तरह खंडहर अवस्था में था. अब इस स्कूल को चाइल्ड फ्रेंडली बनाया गया है और दूर से ही देखने पर प्राइवेट स्कूलों को भी मात देता है.
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बारिश का एक बूंद पानी व्यर्थ नहीं जाता
भाखेड़ा के सरपंच बसंत सिंह ने बताया कि बारिश का एक बूंद पानी व्यर्थ नहीं जाता है. जिससे यहां का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है . 3 साल पहले यहां स्कूल की बड़ी बुरी स्थिति थी. यहां की बच्चियां दूर के स्कूलों में जाने से घबराती थी. लेकिन अब स्कूल का माहौल और कायाकल्प इस तरह हुआ है कि अब यह बच्चियां यही रह कर पढ़ रही है. और खुश भी हैं. प्रधानाध्यापक नरेंद्र शर्मा ने बताया कि इस स्कूल में वाटर को रिचार्ज कर कर मोटर के जरिए बाहर निकाला जाता है और अब यहां इस स्कूल में पानी की कोई कमी नहीं है. साल भर पूरी हरित क्रांति रहती है