Indian Temples Spritual Power and Mughals: भारत श्रषियों-मुनियों और तपस्वियों की भूमि है. जिसके कण-कण में शंकर है. यहां आस्था बड़ी-बड़ी चीजों पर हावी पड़ती है. यहां अनादिकाल से चमत्कार भी होते आए हैं. ऐसे में आज बात भारत के उन दो मंदिरों की जहां क्रूर मुगल शासक औरंगजेब (Aurangzeb) तक को घुटने टेकने पड़े थे.
Trending Photos
Rajasthan Jeenmata Mandir, Delhi Gauri Shankar Mandir: क्रूर मुगल बादशाह औरंगजेब (Aurangzeb) भारत के हिंदू मंदिरों (Hindu Temples) को तोड़ने के लिए कुख्यात रहा है. उसने देशभर के हजारों मंदिरों को ध्वस्त किया था. इस सच्चाई के बावजूद देश के कुछ मंदिर ऐसे हैं जहां उसे नतमस्तक होना पड़ा था. ये दो मंदिर हैं राजस्थान का जीण माता मंदिर और दिल्ली के चांदनी चौक स्थित गौरीशंकर मंदिर.
वो मंदिर जहां मिट गई औरंगजेब की हस्ती
राजस्थान के सीकर जिले में स्थित जीणमाता मंदिर बहुत मशहूर है. कहते हैं की माता का मंदिर 1000 साल पुराना है. लेकिन कई इतिहासकार आठवीं सदी में जीण माता मंदिर का निर्माण काल मानते हैं. कहा जाता है कि इस मंदिर में औरंगजेब को भी घुटने टेकते हुए नतमस्तक होना पड़ा था. मंदिर के चमत्कार से वह इतना प्रभावित हुआ कि उसने मंदिर में अखंड ज्योति शुरू कर उसका तेल दिल्ली दरबार से भेजना शुरू किया था. जीणमाता मंदिर में तब से आज तक वही ज्योति अखंड रूप से जल रही है.
मंदिर को तोड़ना चाहा तो हो गया ऐसा हाल
जीणमाता मंदिर के बारे में पुजारी बताते हैं कि औरंगजेब की सेना जब मंदिर को तोड़ने पहुंची तो मधुमक्खियों (भंवरों) ने उन पर हमला कर, उनके नापाक मंसूबों को नाकाम कर दिया. वहीं इतिहासकारों के मुताबिक, औरंगजेब की सेना उत्तर भारत के मंदिरों पर हमला करते हुए सीकर पहुंची तो यहां के जीण माता और भैरों मंदिर को निशाना बनाने की साजिश का पता चला. इस बात से दुखी स्थानीय लोगों ने जीण माता से प्रार्थना की. माता ने चमत्कार दिखाया और मधुमक्खियों के झुंड ने मुगल सेना पर धावा बोल दिया. मधुमक्खियों के काटे जाने से बेहाल मुगल सैनिक घोड़े और मैदान छोड़कर भाग खड़े हुए. कहा जाता है कि औरंगजेब की हालत बहुत गंभीर हो गई तो उसने गलती मानकर माता को अखंड ज्योत जलाने का वचन दिया और कहा कि वह हर महीने सवा मन तेल इस ज्योत लिए भेंट करेगा.
दिल्ली के गौरीशंकर मंदिर पर भी नहीं चला औरंगजेब का जोर
माना जाता है कि दिल्ली के गौरीशंकर मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती प्रकट हुए थे. यह सैकड़ों वर्ष पुराना मंदिर है. मान्यता है कि जब पांडव अज्ञातवास के लिए निकले थे तो यहां पर उन्होंने शंकर भगवान और पार्वती माता की पूजा की थी. जहां मंदिर है, वहां कभी यमुना बहती थी. जिसमें श्रद्धालु स्नान करते के बाद नदी से एक लोटा जल लेकर बाबा को चढ़ाते थे और यहां की मिट्टी को अपने सिर पर लगाकर आशीर्वाद लेते थे.
औरंगजेब भी हो गया लाचार
मंदिर प्रबंधक पंडित तेज प्रकाश शर्मा के मुताबिक मुगल शासक औरंगजेब जब दिल्ली पर राज करता था तो मंदिर की घंटियों की आवाज से उसकी नींद में खलल पड़ता था. इसके बाद औरंगजेब ने मंदिर की घंटियों को हटा देने का फरमान सुनाया. इसके बाद मंदिर की घंटियों को बांध दिया गया, लेकिन औरंगजेब तब हैरान रह गया जब अगली सुबह उसे घंटियों की आवाज और तेजी से सुनाई देने लगी. वो हड़बड़ाहट में उठा और मंदिर पहुंचा. वहां घंटियां नहीं थीं फिर भी उसे आवाज सुनाई दे रही थी. इसके बाद औरंगजेब ने एक और परीक्षा लेनी चाहिए. उसने सुबह के समय कोई खराब चीज थाल में परोसकर भेजी. भगवान शिव के सामने जब उस थाल पर ढका कपड़ा हटाया गया तो थाल फूलों से भरा था. इसके बाद औरंगजेब यहां भी नतमस्तक हो गया था.
हिंदी ख़बरों के लिए भारत की पहली पसंद ZeeHindi.com - सबसे पहले, सबसे आगे