Abhay Mudra: क्या होती है 'अभय मुद्रा', जिस पर राहुल गांधी ने लोकसभा में की बात
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Abhay Mudra: क्या होती है 'अभय मुद्रा', जिस पर राहुल गांधी ने लोकसभा में की बात

Rahul Gandhi on Abhay Mudra: लोकसभा में सोमवार को भाषण देते राहुल गांधी ने भगवान शिव की तस्वीर दिखाते हुए अभय मुद्रा के बारे में बोले. आखिर यह मुद्रा क्या होती है और इस मुद्रा के बारे में बताकर राहुल गांधी क्या जताना चाह रहे थे. 

 

Abhay Mudra: क्या होती है 'अभय मुद्रा', जिस पर राहुल गांधी ने लोकसभा में की बात

What is Abhay Mudra: कांग्रेस नेता राहुल गांधी आज लोकसभा में मोदी सरकार पर पूरी तरह हमलावर दिखे. उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर सरकार को बुरी तरह घेरा और कई नीतियों पर सवाल उठाया. अपनी बात पर जोर देने के लिए उन्होंने लोकसभा में भगवान शिव, गुरु नानक देव, गौतम बुद्ध, ईसा मसीह के चित्र भी दिखाए. भगवान शिव का चित्र दिखाकर राहुल गांधी ने कहा, जब आप भगवान शिव की तस्वीर देखेंगे तो पता चलेगा कि हिंदू कभी भी डर और नफरत नहीं फैलाते हैं. मैं भी भगवान  शिव से प्रेरणा लेता हूं. मैंने उन्हीं से विपरीत हालातों में संघर्ष की प्रेरणा ली है और हम हमेशा हिंसा के खिलाफ खड़े रहे हैं. 

अभय मुद्रा दूर करती है असुरक्षा और डर- राहुल गांधी

उन्होंने कहा कि भगवान शिव अभय मुद्रा में रहते हैं. यही प्रतीक कांग्रेस का भी है. यह मुद्रा हमें निर्भयता, सुरक्षा और आश्वासन देकर डर को दूर करता है. हमारे सभी महापुरुषों ने भी भय और हिंसा को खत्म करने पर जोर देने की बात कही. हिंदुओं के साथ ही इस्लाम, बौद्ध, सिख और दूसरे भारतीय धर्मों में भी अभय रहने की बात कही गई है. लेकिन जो लोग खुद को हिंदू- हिंदू कहते हैं, वे केवल असत्य, नफरत और हिंसा की बात करते हैं. अभय मुद्रा के लाभ

क्या होती है अभय मुद्रा?

अभय मुद्रा असल में योग का एक आसन है. इसमें पालथी मारकर आंख बंद की जाती है. इसके बाद दोनों हाथ की हथेलियों को घुटने पर रख लिया जाता है. फिर दाहिने हाथ की हथेली को खोलकर सामने की ओर सीधा करके ध्यान लगाया जाता है. इससे तन और मन दोनों को आत्मिक शांति मिलती है. साथ ही उस योगी के सामने आने वाले शख्स को डर, भय से दूर रहने का आश्वासन भी मिलता है. 

भगवान शिव हैं ब्रह्मांड के आदियोगी

ब्रह्मांड में भगवान शिव को आदियोगी माना जाता है, जो अभय मुद्रा में योग ध्यान में लीन रहते है. यह उनका भक्तों के लिए आश्वासन और आशीर्वाद का संकेत होता है कि वे अपनी जिम्मेदारियों को निभाएं और किसी बाहरी भय से परेशान न हों. सनातन धर्म की इस परंपरा को सिख, जैन और बौद्ध पंथों में भी अपनाया गया और उनसे जुड़े महापुरुषों की तमाम तस्वीरें इसी अभय मुद्रा में दिखती हैं. हालांकि उन तस्वीरों में कहीं बैठे हुए तो कहीं खड़ी अवस्था में हाथ का आशीर्वाद देते हुए नजर आते हैं. 

अभय मुद्रा करने के क्या हैं फायदे?

योग गुरुओं के मुताबिक अभय मुद्रा का इस्तेमाल अक्सर सामने वाले व्यक्ति को यह आश्वासन देने के लिए किया जाता है वे सुरक्षित हैं और उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा. इस मुद्रा का प्रयोग करने से शरीर और मन, दोनों को शांत करने व केंद्रित करने में मदद मिलती है. जो कोई इस मुद्रा को करते हैं, वे शांतिपूर्ण जीवन जीते हैं और किसी भी तरह की दुख-तकलीफों से नहीं घबराते.

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