Organic Farming: बिना मिट्टी घर की छत पर सब्जियां उगाती है ये महिला, किचन वेस्ट से करती हैं कमाल
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Organic Farming: बिना मिट्टी घर की छत पर सब्जियां उगाती है ये महिला, किचन वेस्ट से करती हैं कमाल

Terrace Forming: महाराष्ट्र के पुणे में रहने वाली एक महिला ने अपनी छत पर ही बिना मिट्टी के पौधे और सब्जियां उगाई हैं. उनके पास केवल 450 स्क्वायर फीट का टेरेस गार्डन है, वो इसी गार्डन में फल और सब्जियां उगाती हैं.

Organic Farming: बिना मिट्टी घर की छत पर सब्जियां उगाती है ये महिला, किचन वेस्ट से करती हैं कमाल

Terrace Garden: भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है. यहां की 70 फीसदी जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से खेती पर निर्भर हैं. लेकिन आपने देखा होगा खेती करने के लिए काफी जमीन, मिट्टी, खाद-बीज जैसी चीजों की जरूरत होती है. इसलिए आमतौर पर किसान गांवों में रहते हैं. लेकिन महाराष्ट्र के पुणे में रहने वाली एक महिला ने अपनी छत पर ही बिना मिट्टी के पौधे और सब्जियां उगाई हैं.

घर की छत पर उगाती हैं फल और सब्जियां

द बेटर इंडिया में छपी एक खबर के मुताबिक, ये कारनामा किया है पुणे में रहने वाली नीला रेनाविकर पंचपोर ने. वो कॉस्ट अकाउंटेंट और मैराथन रनर हैं. नीला बिना मिट्टी के पौधे और सब्ज़ियां उगाती हैं. रिपोर्ट के अनुसार उनके पास केवल 450 स्क्वायर फीट का टेरेस गार्डन है, वो इसी गार्डन में फल और सब्जियां उगाती हैं. वो अपने टेरेस गार्डन के लिए सूखे पत्तों, किचन वेस्ट और गोबर से कम्पोस्ट और खाद तैयार करती हैं.

किचन में जो वेस्ट से बनाती हैं कम्पोस्टिंग

नीला कहती हैं कि वो किसी खास तकनीकी का इस्तेमाल नहीं करती. इस काम में बस उनको काफी समय देना पड़ता है साथ ही मेहनत करनी पड़ती है. उन्होंने बताया कि वो खुद को नेचर के करीब मानती हैं. वो हमेशा से ये सोचती रहीं हैं कि उनके किचन में जो वेस्ट होता है, उसका क्या करें? इसके लिए उन्होंने इस फील्ड में काम कर रहे दोस्तों से मदद मांगी. इसके बाद उनके सफर की शुरुआत हुई और उन्होंने किचन के वेस्ट को अलग करके कम्पोस्टिंग करना सीख लिया.

इंटरनेट और दोस्तों से ली मदद

नीला ने बिना मिट्टी के पौधे उगाने के तरीके सीखे. साथ ही पौधों की देखभाल करने की तकनीकी सीखने के लिए इंटरनेट का सहारा लिया. उन्होंने घर पर ही खाद बनाना शुरू किया. इसके लिए उन्होंने एक डब्बे में सूखी पत्तियां, गोबर डाला और किचन का वेस्ट इकट्ठा किया. इसके बाद एक महीने में खाद तैयार थी. इस खाद को उन्होंने एक बाल्टी में रखकर खीरे के बीज बो दिए और उसमें रोजाना पानी देती रहीं. करीब 40 दिन बाद उसमें दो खीरे उगे. इसके बाद नीला का काफी मोटिवेशन मिली और उन्होंने मिर्च, टमाटर और आलू भी उगाना शुरू किया.

लोगों को सिखाती हैं टेरिस फॉर्मिंग

अब नीला पुराने डब्बों, प्लास्टिक के बर्तनों में पौधे उगाती हैं. कभी-कभी पड़ोसियों से भी उधार ले लेती हैं ताकि उन्हें नया न खरीदना पड़े. उनके इस गार्डन में ऐसे 100 डिब्बे हैं. वो अन्य लोगों को भी टेरिस फॉर्मिंग सिखाती हैं. उन्होंने फेसबुक पर एक ग्रुप बनाया है. इस ग्रुप में गार्डनिंग से जुड़े टिप्स और ट्रिक्स शेयर करती रहती हैं. उनके ग्रुप में 70000 से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं.

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