9 पितृदोष से 15 दिन में छुटकारा, कहीं हर मुश्किल के पीछे पितृ ऋण तो नहीं?
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9 पितृदोष से 15 दिन में छुटकारा, कहीं हर मुश्किल के पीछे पितृ ऋण तो नहीं?

हमारा जीवन, हमारे पुरखों का दिया है। हमारे पूर्वजों का लहू, हमारी नसों में बहता है। उन्हीं की आत्मा का अंश, हमारे शरीर में विद्यमान है। लेकिन कई बार इन्हीं पूर्वजों के ऋण के कारण, हमारी ज़िंदगी मुसीबतों का पहाड़ बन जाती है। पूर्व जन्म के बुरे कर्म, इस जन्म में पीछा नहीं छोड़ते। लेकिन अक्सर हमें यह नहीं पता चलता कि जो कुछ हो रहा है, उसके पीछे वजह क्या है? तो आज हम आपको बतायेंगे कि आप पर पूर्व जन्म का कौन सा कर्ज बकाया है। उस ऋण के लक्ष्ण क्या हैं? और जन्म में उस ऋण से मुक्ति पाकर, सुख और शांति का जीवन कैसे पाया जा सकता है? रावण की लिखी लाल किताब में, ऐसे सारे ऋण और उपाय पर विस्तार से चर्चा की गई है।  

फाइल फोटो

दिल्ली: हमारा जीवन, हमारे पुरखों का दिया है। हमारे पूर्वजों का लहू, हमारी नसों में बहता है। उन्हीं की आत्मा का अंश हमारे शरीर में विद्यमान है। लेकिन कई बार इन्हीं पूर्वजों के ऋण के कारण, हमारी ज़िंदगी मुसीबतों का पहाड़ बन जाती है। पूर्व जन्म के बुरे कर्म, इस जन्म में पीछा नहीं छोड़ते। लेकिन अक्सर हमें यह नहीं पता चलता कि जो कुछ हो रहा है, उसके पीछे वजह क्या है? तो आज हम आपको बतायेंगे कि आप पर पूर्व जन्म का कौन सा कर्ज बकाया है। उस ऋण के लक्षण क्या हैं? और जन्म में उस ऋण से मुक्ति पाकर, सुख और शांति का जीवन कैसे पाया जा सकता है? रावण की लिखी लाल किताब में, ऐसे सारे ऋण और उपाय पर विस्तार से चर्चा की गई है।  
कहीं आप पर स्वऋण तो नहीं?
जब कुंडली में सिंह राशि में, सूर्य के शत्रु ग्रह जैसे शुक्र, शनि, राहु आ जायें तो स्वऋण चढ़ता है। 
-स्वऋण के कारण 
-जब जातक, पूर्व जन्म में नास्तिक और धर्म विरोधी काम करता है, तो अगले  जन्म में, उस पर स्वऋण चढ़ता है। 
-स्वऋण के लक्षण
-निर्दोष होते हुये भी उसे सज़ा मिले।
-दिल का रोग और सेहत कमज़ोर हो।
-जीवन में हमेशा संघर्ष बना रहे।
-स्वऋण से मुक्ति का उपाय
-परिवार में, सभी से धन लेकर, किसी ब्राह्मण से यज्ञ कराने से, स्वऋण से मुक्त  मिलती है।

-जब चढ़े मातृ ऋण 
-लाल किताब के अनुसार, चौथे घर का स्वामी चंद्रमा है। अगर चंद्रमा के घर में, केतु आ जाये, तो चौथा भाव दूषित होने से, चंद्रमा को ग्रहण लगाता है। ऐसे में व्यक्ति पर मातृऋण चढ़ता है। 
-मातृ ऋण के कारण
-माता के प्रति लापरवाह रहना।
-उनके सुख दु:ख की परवाह न करना।
-संतान के जन्म के बाद माता को बेघर करना।
-घर के कुएं तालाब को पूजने की बजाय, घर का कूड़ा उसमें डालना।
-मातृ ऋण के लक्षण
-किसी तरह की मदद न मिलना।
-जमा धन,फिजूल के काम में खर्च हो।
-कर्ज चढ़े और उतरने का नाम न ले।
-घर की शांति खत्म हो जाये।
-व्यक्ति सुख-शांति से भोजन न कर पाये।
-मातृ ऋण से मुक्ति पाने का उपाय
-कुटुंब के हर सदस्य से बराबर भाग चांदी लेकर, बहते पानी में एक ही दिन बहाने से मातृ ऋण से मुक्ति मिलती है।

-मंगल से संबंधी का ऋण
-अगर मंगल के स्थाई भावों में, मंगल के शत्रु बुध और केतु हों तो, संबंधी ऋण  चढ़ता है।
-संबंधी ऋण के कारण
-अपने भाई-बंधु से धोखा किया हो।
-भाई की संपत्ति हड़प ली हो।
-भाई की हत्या करवाई हो।
-संबंधी ऋण के लक्षण
-हर तरह की सफलता मिलने के बाद,अचानक सब कुछ तबाह हो जाये।
-अचानक दुख का पहाड़ टूट पड़े।
-28 से 36 वर्ष की आयु के बीच तमाम तरह की तकलीफ झेलनी पड़े।
-संबंधी ऋण से मुक्ति का उपाय
-परिवार में हर सदस्य से धन इक्ट्ठा करके, अस्पताल में औषधियां दान करें। ऐसा करने से संबंधी ऋण से मुक्ति मिलेगी।

-बुध से बहन का ऋण
-लाल किताब में बुध ग्रह से बहन और बेटी का विचार किया जाता है। इसलिये बुध को तीसरे और छठे भाव का स्थायी स्वामी माना गया है। अगर तीसरे या छठे भाव में चंद्रमा आ जाये, तो बहन का ऋण होगा।
-बहन के ऋण के कारण
-लड़की या बहन की हत्या की हो।
-कन्या भ्रूण हत्या की हो।
-बहन या बेटी की संपत्ति हड़पी हो।
-संपन्न होकर भी, बहन या बेटी का विवाह किसी गरीब घर में किया हो।
-बहन ऋण के लक्षण
-उम्र के 48वें साल तक, जीवन पर संकट बना हो।
-जीवन में संघर्ष इतना बढ़ जाये की जीने की इच्छा खत्म हो जाये।
-सहायता करने वाले यार दोस्त संबंधी अचानक से गायब हो जायें।
-बहन ऋण से मुक्ति का उपाय
पूरे परिवार के लोग पीले रंग की कौड़ियां, एक जगह पर इक्ट्ठी करके जला लें। फिर उसकी राख को एकत्र कर, बहते हुए पानी में बहा दें। ऐसा करने से भगिनी ऋण से मुक्ति मिलेगी। इस राख को कुएं या तालाब में नहीं डालना है।

-शुक्र से स्त्री ऋण
जब शुक्र के भावों में सूर्य, राहु और चंद्रमा आ जाते हैं तो स्त्री का ऋण होता है।
-स्त्री ऋण के लक्षण
-पत्नी को दहेज के लिये प्रताड़ित करना।
-लालच में गर्भवती स्त्री की हत्या कर देना।
-पत्नी के साथ मारपीट कर उसे घर से निकाल देना।
-घर में शादी विवाह जैसे आयोजन के बीच, किसी संबंधी की मृत्यु होना।
-किसी मांगलिक अवसर पर कोई घटना घट जाये।
-कई विवाह करने पर भी, पत्नी सुख हासिल न हो।
स्त्री ऋण से मुक्ति का उपाय
परिवार के हर सदस्य से ज़रूरी धन इक्ट्ठा करके, 100 गायों को भोजन कराने से, स्त्री ऋण से मुक्ति मिलेगी।

-बृहस्पति से गुरू ऋण
जन्म कुंडली में नवीं और बारहवीं राशि धनु और मीन मानी जाती है। इसका स्वामी बृहस्पति है। अगर यहां राहु या केतु आ जायें, तो गुरू ऋण बनता है।
-गुरु ऋण के कारण
-पूर्व जन्म में जातक ने, गुरू का अपमान किया हो।
-जातक नास्तिक और धर्म विरोधी हो।
-ऐसा होने पर गुरू का ऋण चढ़ता है।
-गुरु ऋण के लक्षण
-लगातार पैसे रूपये का नुकसान।
-मन और बुद्धि का भ्रमित होना।
-मानसिक तनाव और अवसाद।
-जीवन में घोर संकट और मुश्किल आना।
-गुरू ऋण से मुक्ति का उपाय
-परिवार में सबसे धन लेकर , किसी आश्रम में, गुरु को पीले वस्त्र और दक्षिणा दें। आश्रम में, 100 संन्यासियों को, भोजन  कराये।

-शनि से निर्दयता का ऋण
-अगर शनि के भावों में, प्रबल शत्रु सूर्य, मंगल और चंद्र आये, तो निर्दय ऋण  चढ़ता है।
-शनि से निर्दय ऋण के कारण
-धोखे से किसी की हत्या की या करवाई हो।
-किसी का मकान, दुकान या जमीन धोखे से हड़पी हो।
-ज़मीन लेकर उसका मूल्य ना चुकाया हो।
-कर्मचारियों को परेशान किया हो या पैसा ना चुकाया हो।
-शनि से निर्दय ऋण के लक्षण
-घर का मुख्य द्वार दक्षिण में होना।
-मकान की ज़मीन, नि:सन्तान व्यक्ति से ली हो।
-ऑफिस में आग लगने पर बुझाने का इंतज़ाम ना हो।
-आग में जलने वाले को अस्पताल ले जाने का साधन ना मिले।
-मकान बनते समय, बारिश आने पर रुके नहीं।
-ससुराल में पुलिस से परेशानी।
-योग्य सन्तान नकारा हो जाये।
-परिवार में अनिद्रा का रोग हो।
-परिवार बिना वजह परेशानी से घिरा हो या संपत्ति छिन गई हो।
-शनि से ऋण के उपाय
-परिवार में सबसे पैसे लेकर, 100 गरीबों को, एक साथ भोजन कराने से, निर्दय  ऋण से मुक्ति मिलेगी। 100 तालाबों की मछलियों को एक महीने तक भोजन  करायें।

-राहु से अजन्मे का ऋण
कुंडली के 12वें भाव को, आकाश और छठे घर को पाताल माना गया है। 12वें भाव का स्थाई स्वामी राहु, और छठे घर का स्वामी केतु है। अगर राहु के घर में सूर्य, शुक्र और मंगल आये तो अजन्मे का ऋण होता है।
-अजन्मे ऋण का कारण
-किसी संबंधी से छल करने के कारण, उसका परिवार आर्थिक रुप से परेशान हो।  तो ऐसे में व्यक्ति मरने के बाद, प्रेत  बनता है। 
-बदले की भावना से अजन्मा ऋण व्यक्ति को परेशान करता है।
-अजन्मे ऋण के संकेत
-घर के मुख्य द्वार के नीचे, गंदे पानी का निकास होगा।
-घर के दक्षिण दीवार की ओर, सूना कब्रिस्तान हो।
-अचानक आग लग जाये या धोखे की वजह से धन की हानि हो।
-युवा संबंधी के सिर में, चोट की वजह से, कोमा में चला जाये।
-सोच-विचार कर काम करने पर भी नुकसान हो।
-हमेशा मुकदमा हारें।
-निर्दोष होते हुये भी जुर्माना हो जाये।
-बच्चों की सेहत खराब रहे।
-अजन्मे ऋण का उपाय
-परिवार के सभी सदस्य से नारियल लेकर, एक ही दिन बहते पानी में बहा दें।

-केतु का ईश्वरीय ऋण
-अगर केतु के घर में, मंगल और चंद्र की युति होने पर ईश्वरीय ऋण चढ़ता है।
-केतु के ईश्वरीय ऋण के कारण
-पुत्र का अपहरण कराया हो।
-कुत्ते को मारा हो।
-लालच में दूसरे का परिवार नष्ट किया हो।
-केतु के ईश्वरीय ऋण के संकेत
-परिवार में वंश वृद्धि ना हो
-संतान का जन्म मुश्किल से हो और हमेशा बीमार रहे।
-हमेशा आर्थिक तंगी बनी रहे।
-केतु के ईश्वरीय ऋण के उपाय
-परिवार के सभी सदस्य से पैसा इकट्ठा करके, एक ही दिन में 100 कुत्तों को  भोजन करायें।

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