इस बीमारी के ज्यादातर मरीजों में चक्कर आने, बेहोशी, सिरदर्द और उल्टी के लक्षण हैं. इस बीमारी का सबसे पहला मामला शनिवार 5 दिसंबर को दक्षिण भारत के शहर Eluru में सामने आया था.
इस बीमारी के ज्यादातर मरीजों में चक्कर आने, बेहोशी, सिरदर्द और उल्टी के लक्षण हैं. सरकार की गठित की गई कमेटी इस बीमारी की रोकथाम के उपाय बताएगी.
दूसरी तरफ एक अवकाशप्राप्त ब्यूरोक्रेट ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है, ऐसी आशंका है कि पीने के पानी के लिए लेड कोटेड जिन पीवीसी पाइपों का इस्तेमाल किया जा रहा है, इसकी वजह से पाॅइजनिंग हो सकती है और हो सकता है बीमारी की वजह यही हो.
रिटायर्ड आईएएस Dr. EAS Sarma आंध्र प्रदेश सरकार के उच्च पदों रहे हैं और भारत सरकार के मंत्रालयों में भी महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं. शर्मा ने अपने पत्र के साथ एक डिटेल्ड रिपोर्ट भी दी है जिसमें उन्होंने बताया है कि विकास इको टेक लिमिटेड नाम की कंपनी 26 शहरों मे पीने के पानी की आपूर्ति करती है. साथ ही इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि कैसे ये पानी लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल रहा है.
Quality council of India की रिपोर्ट के मुताबिक, 26 शहरों से लिए गए पानी के सैंपलों में से 33 प्रतिशत में लेड की अधिक मात्रा पाई गई. बता दें कि शहरी इलाकों में बड़े पैमाने पर लेड कोटेड पीवीसी पाइप्स का इस्तेमाल किया जाता है जिसकी वजह से लेड पाॅइजनिंग होती है. शरीर में लेड की अधिकता से न्यूरोलाॅजिकल समस्याएं होने लगती हैं जैसा कि इलुरू के मरीजों में देखा गया.
इसके अलावा उन्होंने यह आशंका भी जताई कि खराब हो चुकी बैटरियों के डिंक्रिंग वाॅटर सप्लाई सिस्टम में चले आने से भी लेड पाॅइजनिंग हो सकती है. बता दें कि आंध्र प्रदेश में कोविड 19 के करीब 900,000 मरीज सामने आए थे वहीं 9 दिसंबर के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 7000 लोगों की मौत कोरोना से हुई है.
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