Chittorgarth Fort Battle: मुगल बादशाह अकबर (Akbar) और राजपूतों का युद्ध कई सालों तक चला. अकबर और महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) के बीच हल्दीघाटी का भीषण युद्ध हुआ. अकबर ने चित्तौड़गढ़ के किले पर भी हमला बोला. तमाम मुश्किलों के बावजूद महाराणा प्रताप कभी भी अकबर के आगे नहीं झुके. महाराणा प्रताप ने घास की रोटियां खाना पसंद किया लेकिन अकबर की चाकरी करना उन्हें मंजूर नहीं था. महाराणा प्रताप की सेना में कई ऐसे योद्धा थे जिन्होंने अपनी बहादुरी से मुगल और उनकी सेना को चौंका दिया था. एक बार जंग में अकबर की जान बाल-बाल बची थी. महाराणा प्रताप की तरफ से लड़ योद्धा ने अकबर के हाथी की सूंड़ तक काट डाली थी. हालांकि, किसी तरह अकबर ने अपनी जान बचा ली थी. आइए जंग में अकबर को चौंका देने वाले इस योद्धा के बारे में जानते हैं.
बता दें कि महाराणा प्रताप की तरफ से और मुगल बादशाह अकबर के खिलाफ लड़ने वाले इस बहादुर योद्धा का नाम ईसरदास चौहान था. युद्ध में अकबर को सामने देखते ही ईसरदास चौहान अपने घोड़े से कूदे और अकबर की तरफ दौड़ पड़े. फिर ईसरदास ने अकबर के हाथी का दांत पकड़ा और उसकी सूंड़ काट दी. इसके बाद ईसरदास चौहान ने चिल्लाकर अकबर को ताना मारते हुए कहा कि बादशाह को मेरा मुजरा पहुंचे. अकबर के हाथी की सूंड़ काटने के बाद ईसरदास चौहान ने ये ताना दिया.
दरअसल चित्तौड़गढ़ के युद्ध के पहले अकबर ने ईसरदास से मुलाकात की थी. अन्य कई राजपूतों की तरह ईसरदास चौहान को भी अकबर अपनी ओर करना चाहता था. लेकिन ईसरदास ने अकबर का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया था.
ईसरदास चौहान ने महाराणा प्रताप की तरफ से लड़ने और चित्तौड़गढ़ किले की रक्षा करने का फैसला किया था. तभी जब ईसरदास ने अकबर के हाथी की सूंड़ काटी तो उसको ताना दिया.
गौरतलब है कि मुगल बादशाह अकबर ने 1568 ईस्वी में चित्तौड़गढ़ के किले पर हमला किया था. किले की सुरक्षा में 8 हजार सैनिक तैनात थे. कई महीनों तक मुगल सेना किले के बाहर डेरा डाल रखा था.
आखिर कई महीनों की घेराबंदी के बाद अकबर की सेना चित्तौड़गढ़ के किले में प्रवेश कर गई थी. जिसके बाद किले में मौजूद सैकड़ों वीरांगनाओं ने जौहर कर लिया था और राजपूत सैनिकों ने वीरगति पाई थी.
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