मध्यप्रदेश में बुंदेलखंड के छतरपुर क्षेत्र में रहने वाले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने महाराष्ट्र स्थित अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति की चुनौती का जवाब भी दिया.
जिसके बाद से वे अपने बयानों और धाम के कथित चमत्कारों की वजह से सुर्खियों में बने हुए हैं.
आइये आपको बताते हैं बागेश्वर सरकार का बचपन कैसे बीता और वे बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर कैसे बने..
यह दावा किया जाता है कि 26 वर्षीय बागेश्वर धाम 'बाबा' धीरेंद्र शास्त्री किसी व्यक्ति द्वारा 'बाबा' का उल्लेख किए बिना समस्या को समझ सकते हैं.
यह भी कहा जाता है कि स्वयंभू संत प्रभावित व्यक्ति से पूछे बिना लोगों की समस्या को एक कागज के टुकड़े पर लिख सकते हैं.
विवाद शुरू होने के बाद से धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री या बागेश्वर धाम सरकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ट्रेंड कर रहे हैं और उनके वीडियो भी ट्विटर पर वायरल हो गए हैं.
कथित तौर पर वह नागपुर में रामकथा के दौरान अंधविश्वास विरोधी समिति की चुनौती से भाग खडे़ हुए, लेकिन बागेश्वर सरकार ने इससे इतर समिति के दावों को सिरे से नकार दिया.
मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में भगवान बालाजी को समर्पित बागेश्वर धाम मंदिर से जुड़े, धीरेंद्र शास्त्री का एक बड़ा प्रशंसक आधार है.
वे अपने अनुयायियों के लिए नियमित सत्संग (धार्मिक उपदेश) आयोजित करते हैं, जो मानते हैं कि उनके पास चमत्कारी शक्तियां हैं.
बागेश्वर धाम मंदिर के पीछे धीरेंद्र शास्त्री के दादा सेतुलाल गर्ग सन्यासी बाबा की समाधि है. धीरेंद्र शास्त्री ने इस स्थान पर कई सत्संग भी किए थे और बाद में यह स्थान बागेश्वर धाम के रूप में लोकप्रिय हो गया.
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म 1996 में हुआ था.
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने विभिन्न दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों का समर्थन प्राप्त किया है जिन्होंने दावा किया कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा है.
उन्होंने धर्मांतरण को चुनौती दी है और यहां तक कि उन लोगों की 'घर वापसी' भी की है जिन्होंने अपने विश्वास को त्याग दिया था.
कहा जाता है कि पंडित धीरेंद्र शास्त्री का बचपन बेहद गरीबी में बीता है. उनका पूरा परिवार मिट्टी के घर में रहा करता था.
धीरेंद्र शास्त्री ने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से पूरी की. उनके पिता ने पुजारी के रूप में अपनी कमाई से परिवार का पालन-पोषण किया.
रामचरितमानस को लेकर देश के अलग-अलग क्षेत्र में हो रहे विवाद को लेकर भी धीरेंद्र शास्त्री मुखर हैं. उन्होंने इसके खिलाफ हिन्दुओं से एकजुट होने की अपील की है.
रामचरितमानस की प्रतियां जलाने और इस पवित्र ग्रंथ के अपमान पर धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि ऐसी हरकत करने वालों को देश में रहने का अधिकार नहीं होना चाहिए.
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