Explainer: साल 2023 में दुनिया भर में हिंसा और तनाव का आलम छाया रहा. यहां हम 5 ऐसे युद्धों के बारे में जानेंगे. जिन पर बेहद कम लोगों की नजरें गईं हैं. जान लीजिए की 2023 में के वो कौन से विवाद हैं जो 2024 में भी चिंता की वजह बन सकते हैं!
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Israel and Hamas War: चंद दिनों का इंतजार और हम अपने घर, ऑफिस और दुकानों में रखे कैलेंडर को बदल देंगे. नए साल का वेलकम करने के लिए हर शख्स तैयार है. 31 दिसंबर की रात दुनिया जश्न के आगोश में होगी. उल्टी गिनती के साथ 5, 4, 3, 2 और 1 कहते हुए रात के 12 बजे लोग एक-दूसरे को 'Happy New Year' (2024) बोल रहे होंगे. आने वाला साल 'खुशियों से भरा हो' इस तरह के मैसेज से मोबाइल का स्टोरेज फुल हो रहा होगा. लेकिन इससे पहले जरूरी है एक बार गुजर रहे साल (2023) को पलट कर देख लें. अगर ध्यान दें तो साल 2020 और 2021 कोरोना से जंग लड़ते हुए गुजर गया. 2022 ने थोड़ी राहत दी लेकिन यह साल पिछली बुरी यादों को भूलने में खत्म हो गया.
साल 2023 में दुनिया भर में हिंसा और तनाव का आलम छाया रहा. यहां हम 5 ऐसे युद्धों के बारे में जानेंगे. जिन पर बेहद कम लोगों की नजरें गईं हैं. जान लीजिए की 2023 में के वो कौन से विवाद हैं जो 2024 में भी चिंता की वजह बन सकते हैं!
इजराइल और हमास के बीच युद्ध
जब गाजा में इजराइल और हमास के बीच युद्ध शुरू हुआ तो यह साल 2023 ही था. इस 'महायुद्ध' में हजारों फलस्तीनियों और सैकड़ों इजरायलियों की मौत हो गई. युद्ध की आग ने सबसे ज्यादा यहां की बेकसूर महिलाओं और बच्चें को जलाया. इसके साथ ही रूस तथा यूक्रेन के बीच भीषण युद्ध जारी रहा. जिसके अंत का इंतजार पूरी दुनिया को है. इन दो देशों की खबरों में कई मुल्क ऐसे भी रहें हैं जिनके बारे में बेहद कम चर्चा हुई है.
म्यांमार में तख्ता पटल से गृहयुद्ध
भारत के पड़ोसी मुल्क म्यांमार में हालात इन दिनों काफी नाजुक हैं क्योंकि साल 2021 में यहां सैन्य तख्तापलट हो गया और आंग सान सू की के नेतृत्व वाली लोकतांत्रिक सरकार को घुटने टेकने पड़े. इसके बाद देश में व्यापक रूप से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. जो आगे चलकर सशस्त्र संघर्ष में बदल गया. यह विरोध 2023 में इतना बड़ा हो गया कि तख्तापलट करने वाली सेना के भी पसीने छूट गए. उम्मीद जताई जा रही है कि साल 2024 में यह संघर्ष और ज्यादा बड़ा हो सकता है. आगे चलकर यह भयानक गृहयुद्ध में भी तब्दील भी हो सकता है.
अफ्रीका के अशांत साहेल क्षेत्र माली की कहानी
इन दिनों अफ्रीकी मुल्क माली में गृहयुद्ध छिड़ने का खतरा मंडरा रहा है. माली लंबे समय से विद्रोही गतिविधियों से जूझ रहा है. साल 2012 में यहां तख्तापलट हुआ जिसके बाद आतंकवादियों द्वारा समर्थित तुआरेग विद्रोहियों ने उत्तर की सत्ता पर कब्जा कर लिया. माली में स्थिरता लाने के लिए 2013 में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन की स्थापना की गई थी. तमाम उठापटक के बाद सैन्य अधिकारियों ने अपनी शक्ति मजबूत की. उन्होंने कहा कि वे पूरे माली पर राज्य का पूर्ण क्षेत्रीय नियंत्रण बहाल करेंगे लेकिन शासन ने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन को देश से वापस जाने पर जोर दिया, जो उसने जून 2023 में किया. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र के ठिकानों को लेकर सेना और विद्रोही बलों के बीच हिंसा भड़क उठी. जो अब फिर से बढ़ती जा रही है.
लेबनान में प्रदर्शन
साल 2019 में लेबनान में व्यापक रूप से नागरिकों का विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ. यह विरोध उन नेताओं के खिलाफ था जो देश की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे थे. सरकार में होता रहा फेरबदल, बढ़ते आर्थिक संकट और बड़े पैमाने पर बंदरगाह विस्फोट हुए. इससे भ्रष्टाचार का पता चला और स्थिति लगातार बिगड़ती गई. आपको बता दें कि हिजबुल्लाह आतंकवादी समूह लेबनान के लिए घर जैसा है. इनके पास कथित तौर पर 100,000 लड़ाकों की सेना है. माना जा रहा है यह समूह यहां की अस्थिरता का कारण है.
पाकिस्तान के हालात हैं नाजुक
भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के हालात इन दिनों बेहद खराब चल रहे हैं. यहां राजनीतिक और आर्थिक दोनों मोर्चों पर पाक पिछड़ा हुआ है. 1947 के बाद से ही यहां की सस्ता में सैन्य अधिकारियों का हुक्म चलता रहा है. साल 2022 में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था खस्ते हालत में पहुंच गई. वहीं बाढ़ ने यहां जमकर तबाही मचाई. कई जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और भुखमरी साल 2024 में यहां भयानक अशांति पैदा कर सकती है.
श्रीलंका में आर्थिक संकट
पाकिस्तान की तरह श्रीलंका में आर्थिक संकट का सैलाब आया हुआ है. यहां रोजमर्रा के सामान जैसे ईंधन, भोजन और दवाओं की कीमत भी आसमान छू रही है. आम जन भी सरकार का विरोध कर रहे हैं. यहां हालात इतने खराब हो चुके थे कि तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को देश से भागना पड़ा. इसके बाद देश की कमान रानिल विक्रमसिंह ने ले ली. यहां की भ्रष्ट राजनीति, महंगाई और बेरोजगारी की वजह से साल 2024 में असंतोष के बादल छा सकते हैं. जानकारों का कहना है कि इस मुल्क को भी 2024 में अशांति का सामना करना पड़ सकता है.
(इनपुट: एजेंसी)