Om Birla: लोकसभा अध्यक्ष ने मंगलवार को विपक्ष के तरह-तरह के प्रदर्शनों को लेकर गहरा अफसोस जाहिर किया. साथ ही कहा कि इस लोकतंत्र के मंदिर के प्रति लोगों की बहुत गहरी आस्था और विश्वास है. आजादी के 75 वर्ष में हमने यहां चर्चा, संवाद और तीखी आलोचना देखी है. यह यहां की परंपराएं रही हैं.'
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Om Birla: मंगलवार को भी दोनों सदनों की कार्यवाही को हंगामे के बाद स्थगित करना पड़ा. विपक्षी सांसद अडानी मुद्दे पर जमकर विरोध कर रहे हैं. साथ ही विरोध के नए-नए तरीके निकालकर ला रहे हैं. जिसको लेकर आज लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सख्त अंदाज में सांसदों को समझाया. ओम बिड़ला ने संसद परिसर में कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों के विरोध प्रदर्शन के तौर-तरीकों को अशोभनीय बताया. उन्होंने प्रतिपक्ष के बड़े नेताओं के व्यवहार को संसदीय परंपराओं को उलट बताते हुए कहा कि सभी को संसद की गरिमा, मर्यादा और प्रतिष्ठा को बनाए रखना चाहिए.ओम बिरला ने लोकसभा की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू होने पर इस विषय का जिक्र करते हुए अफसोस भी जाहिर किया.
इस दौरान विपक्षी दलों के सदस्यों ने अपने मुद्दे उठाने की कोशिश करते हुए हंगामा किया जिसके चलते सदन की कार्यवाही आरंभ होने के करीब पांच मिनट बाद दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी पार्टियों के ज़रिए संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किए जाने का जिक्र सदन में किया और अफसोस जाहिर किया. एक दिन पहले ही नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उद्योगपति गौतम अदाणी का मुखौटा पहने दो कांग्रेस सांसदों का प्रतीकात्मक साक्षात्कार करते हुए सरकार और प्रधानमंत्री पर निशाना साधा था. कांग्रेस सांसद शिवाजी कलगे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मणिकम टैगोर ने गौतम अदाणी का मुखौटा पहन रखा था.
कांग्रेस अदाणी ग्रुप के मामले पर सदन में चर्चा करने और जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की मांग कर रही है. पार्टी नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ भाजपा के कुछ नेताओं के आरोपों से जुड़े मुद्दे उठाने का भी कोशिश कर रही है. कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी पार्टियां अदाणी मामले को लेकर संसद परिसर में पिछले कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. इसको लेकर बिरला ने मंलगवार को सदन में कहा,'संसद एक पवित्र स्थल है और इस भवन की उच्च गरिमा, प्रतिष्ठा और मर्यादा है. इसी भवन में हमने आजादी हासिल की है. यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सर्वोच्च प्रतिनिधि संस्था है. इस संस्था में लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा किया जाता है. सहमति-असहमित हमारे लोकतंत्र की परंपरा रही है, जो संविधान बनते समय भी हमने अभिव्यक्त की थी.
उन्होंने कहा,'मेरी आपसे गुजारिश है कि हमें संसद की गरिमा बनाए रखनी चाहिए. पिछले कुछ दिनों से मैं देख रहा हूं कि संसद परिसर में जिस तरह के प्रदर्शन किए जा रहे हैं, जिस तरह के नारे, पोस्टर और मुखौटों का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह न सिर्फ अशोभनीय है, बल्कि हमारी नियम प्रक्रियाओं और संसदीय परंपराओं के अनुरूप भी नहीं है.' बिरला ने कहा,'मुझे बहुत अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि इसमें प्रतिपक्ष के बड़े नेताओं का आचरण-व्यवहार भी संसदीय व्यवहार के अनुकूल नहीं है.'
इस पर कांग्रेस और कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने टोका-टोकी करते हुए कहा कि अध्यक्ष को सत्तापक्ष का भी नाम लेना चाहिए. जिसके बाद बिरला ने कहा कि चाहे सत्तापक्ष हो या प्रतिपक्ष हो, सभी दलों के लोग संसद की गरिमा, परंपरा, मर्यादा और प्रतिष्ठा को बनाए रखें. उन्होंने कहा,'मर्यादित आचरण रखेंगे तो जनता में सकारात्मक संदेश जाएगा. इस लोकतंत्र के मंदिर के प्रति लोगों की बहुत गहरी आस्था और विश्वास है. आजादी के 75 वर्ष में हमने यहां चर्चा, संवाद और तीखी आलोचना देखी है. यह यहां की परंपराएं रही हैं.' बिरला ने सदस्यों से अपील की,'आप सकारात्मक सहयोग करें. जो मुद्दे हैं उन पर आप आकर चर्चा करें. सत्तापक्ष से प्रतिपक्ष के लोग बैठकर चर्चा करें, सदन को चलाने की कोशिश करें.' उन्होंने कहा,'प्रश्नकाल का महत्वपूर्ण समय होता है. मुझे उम्मीद है कि आप सकारात्मक सहयोग करेंगे.'
(इनपुट-भाषा)