What is CAA: नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA जल्द ही पूरे देश में लागू हो सकता है. सूत्रों के मुताबिक, आचार संहिता लागू होने से पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय किसी भी वक्त अधिसूचना लागू कर सकता है.
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When CAA Will Implement : नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA जल्द ही पूरे देश में लागू हो सकता है. सूत्रों के मुताबिक, आचार संहिता लागू होने से पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय किसी भी वक्त अधिसूचना जारी कर सकता है. अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों को सीएए लागू होने से सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा. भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए उनका रास्ता भी खुल जाएगा.
पूरे देश में होगा लागू
सूत्रों के मुताबिक सीएए लागू करने की तैयारी पूरी की जा चुकी है और कभी भी इसे पूरे देश में लागू किया जा सकता है. 3 देशों के प्रताड़ित 6 अल्पसंख्यक समुदायों को नागरिकता देने के लिए CAA कानून लाया गया है. ये पीड़ित अल्पसंख्यक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आनेवाले हिन्दू, सिख, पारसी, जैन, बौद्ध और ईसाई समुदाय के हैं.
शाह ने भी दिए थे संकेत
हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सरकार CAA लागू करने जा रही है. सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने से पहले CAA अमल में आ जाएगा. बताया यह भी जा रहा है कि सरकार की तैयारी ऐसी है कि ये बुधवार से भी लागू हो सकता है. लेकिन मार्च के पहले हफ्ते में तो हर हाल में अमल में आ जाएगा.
बीजेपी की अगुआई वाली सरकार ने साल 2019 में सीएए को संसद से पास कराया था. लेकिन यह लागू नहीं हो पाया था. बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के जो लोग 31 दिसंबर,2014 से पहले भारत आए थे, उनको सीएए के तहत नागरिकता दी जाएगी. जब सीएए को संसद से मंजूरी मिली थी, उसके बाद देश भर में इसे लेकर काफी विरोध प्रदर्शन हुआ था. संसद में भी इसे लेकर काफी बहसबाजी हुई थी. कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने सरकार पर जमकर हमला किया था.
जमकर हुआ था विरोध
इसके विरोधियों का कहना था कि यह मुसलमानों के खिलाफ एक साजिश है. जबकि सरकार का कहना था कि इससे किसी की नागरिकता छीनी नहीं जाएगी. गृह मंत्री अमित ने कहा था, 'हमारे मुस्लिम भाइयों को गुमराह किया जा रहा है और भड़काया जा रहा है (सीएए के खिलाफ). सीएए केवल उन लोगों को नागरिकता देने के लिए है जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न का सामना करने के बाद भारत आए हैं. यह किसी की भारतीय नागरिकता छीनने के लिए नहीं है.