Dalai Lama: नैंसी पेलोसी इस समय दलाई लामा से मिलने वाले अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रही हैं. पेलोसी ने दलाई लामा से मिलकर शी जिनपिंग के खिलाफ जबरदस्त बयान दे दिया. उन्होंने कहा कि दलाई लामा की विरासत हमेशा के लिए जीवित रहेगी लेकिन चीनी राष्ट्रपति कुछ ही वर्षों में चले जाएंगे.
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Nancy Pelosi News: ऐसा लग रहा है कि तिब्बत और दलाई लामा को लेकर अमेरिका चीन को बख्शने के मूड में नहीं है. इसी कड़ी में चीनी चेतावनी के बावजूद भी अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल भारत में मौजूद दलाई लामा से मिलने पहुंचा. इतना ही नहीं इस प्रतिनिधिमंडल ने चीन को खरी-खरी सुना दी है. नैंसी पेलोसी ने तो बकायदा कह दिया कि चीनी राष्ट्रपति परमानेंट नहीं हैं लेकिन दलाई लामा अपने विचारों के चलते सदा के लिए अमर हैं. असल में पूर्व अमेरिकी हाउस स्पीकर नैंसी पेओल्सी, जो अमेरिकी द्विदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं, जिन्होंने बुधवार को दलाई लामा से मुलाकात की है.
नैंसी पेलोसी ने दलाई लामा से मिलकर शी जिनपिंग के खिलाफ जबरदस्त बयान दे दिया. उन्होंने कहा कि दलाई लामा की विरासत हमेशा के लिए जीवित रहेगी लेकिन चीनी राष्ट्रपति कुछ ही वर्षों में चले जाएंगे. भारत की दो दिवसीय यात्रा पर आईं पेलोसी ने कहा कि कोई भी किसी भी चीज का श्रेय शी जिनपिंग को नहीं देगा. परम पावन दलाई लामा, ज्ञान, परंपरा, करुणा, आत्मा की पवित्रता और प्रेम के अपने संदेश के साथ लंबे समय तक जीवित रहेंगे और उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी.
धर्मशाला में आयोजित सार्वजनिक अभिनंदन समारोह के दौरान पेलोसी ने यह सब कहा है. पेलोसी इस समय दलाई लामा से मिलने वाले अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रही हैं. इसमें अमेरिकी संसद की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष माइकल मैककॉल भी हैं. उन्हीं के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा से मुलाकात करने के लिए मंगलवार को हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला पहुंचा था.
इस दौरान अमेरिकी संसद की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष माइकल मैककॉल ने बुधवार को कहा कि तिब्बती लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार है. उन्होंने जोर देकर यह भी कहा कि उनकी एक अनूठी संस्कृति और धर्म है और उन्हें अपने धर्म का स्वतंत्र रूप से पालन करने में सक्षम होना चाहिए. मैककॉल ने कहा कि यही कारण है कि हम चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की अवहेलना करते हुए यहां पहुंचे हैं.
मैककॉल ने कहा कि इस यात्रा का समय इससे बेहतर नहीं हो सकता, क्योंकि पिछले सप्ताह प्रतिनिधि सभा और अमेरिकी कांग्रेस ने ‘तिब्बत समाधान’ विधेयक पारित किया था, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि तिब्बत की अपनी अनूठी संस्कृति, भाषा और धर्म है तथा उसे आत्मनिर्णय का अधिकार है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में इस विधयेक पर हस्ताक्षर होगा. उन्होंने कहा कि इस विधेयक में तिब्बत के बारे में सीसीपी के दुष्प्रचार को आक्रामक रूप से चुनौती देने की भी आवश्यकता है.
दलाई लामा से मिलने और चर्चा करने वाले प्रतिनिधिमंडल में अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की पूर्व अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी और सांसद मैरिएनेट मिलर, ग्रेगरी मीक्स, निकोल मैलियोटाकिस, जिम मैकगवर्न और एमी बेरा शामिल थे. मैककॉल ने दलाई लामा को एक उपहार भेंट करते हुए कहा कि आपमें से कई लोगों की तरह, मैं भी चाहता हूं कि यह बैठक आपके गृह देश तिब्बत में हो, लेकिन 65 साल पहले चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा तिब्बत पर कब्जा किये जाने और हजारों तिब्बतियों का कत्लेआम करने के बाद आपको भागने पर मजबूर होना पड़ा था.
मैककॉल ने कहा कि सीसीपी तिब्बती संस्कृति को खत्म करने और तिब्बती लोगों को जबरन अपने नियंत्रण में लाने के लिए दृढ़ संकल्पित है. उन्होंने कहा कि भारतवासियों की दयालुता के कारण ही परम पावन दलाई लामा और उनके लोग यहां स्वतंत्र रूप से रह पाए और मुकदमे के भय के बिना अपने धर्म का पालन कर पाए. मैककॉल ने कहा कि मुझे अब भी उम्मीद है कि एक दिन दलाई लामा और उनके लोग शांतिपूर्वक तिब्बत वापस लौटेंगे.
बता दें कि इस मुलाकात के बारे में सुनकर चीन पहले ही भड़क गया था. एक दिन पहले ही अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के दलाई लामा से मिलने की खबर जैसे ही चीन को मिली वह तिलमिला गया. वॉशिंगटन में चीनी दूतावास में प्रवक्ता लियू पेंगयू ने कहा था कि चीन किसी भी देश में दलाई लामा की तरफ से चलाए जाने वाले चीन विरोधी अलगाववादी गतिविधियों का मजबूती से विरोध करता है.