Madrasa Teachers IQ: मदरसा शिक्षा व्यवस्था को लेकर लंबे समय से बहस चल रही है. यह रिपोर्ट न केवल मदरसों में पढ़ाई के स्तर पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह बताती है कि कैसे बच्चों का भविष्य इन संस्थानों में खतरे में पड़ रहा है.
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Madrasa Teachers IQ: मदरसा शिक्षा व्यवस्था को लेकर लंबे समय से बहस चल रही है. वक्फ बोर्ड के अधिकारों और मदरसों की शिक्षा प्रणाली पर सवाल उठते रहे हैं. लेकिन हाल ही में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) द्वारा जारी रिपोर्ट और ज़ी न्यूज़ की ग्राउंड रिपोर्टिंग ने मदरसों में चल रही शिक्षा व्यवस्था का असली चेहरा उजागर किया है.
मदरसों में बच्चों का भविष्य खतरे में
यह रिपोर्ट न केवल मदरसों में पढ़ाई के स्तर पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह बताती है कि कैसे बच्चों का भविष्य इन संस्थानों में खतरे में पड़ रहा है.
NCPCR की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में मदरसा बोर्ड एक्ट से जुड़े एक मामले में एक हलफनामा दायर किया, जिसमें मदरसा शिक्षा प्रणाली की खामियों पर प्रकाश डाला गया है. रिपोर्ट में बताया गया कि:
अयोग्य शिक्षक
मदरसों में ऐसे शिक्षक नियुक्त किए जाते हैं जिन्होंने शिक्षक बनने के लिए आवश्यक ट्रेनिंग नहीं ली है. ये शिक्षक न केवल बच्चों को सही ढंग से शिक्षा देने में समर्थ हैं, बल्कि उनके ज्ञान का स्तर भी बेहद कम है.
शिक्षा का स्तर है ही नहीं
मदरसों में बच्चों को दी जा रही शिक्षा का स्तर Right to Education Act के प्रावधानों के खिलाफ है. बच्चों को एक स्वस्थ माहौल और समुचित विकास का अवसर नहीं मिल पा रहे है. जिससे उनके भविष्य पर बुरा असर पड़ रहा है.
बुनियादी ज्ञान की कमी
मदरसे के छात्रों को सामान्य स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले बुनियादी पाठ्यक्रम की जानकारी भी नहीं मिल पाती. इससे वे अपने समकक्ष छात्रों से काफी पीछे रह जाते हैं.
ज़ी न्यूज़ की ग्राउंड रिपोर्टिंग
मदरसों की स्थिति का और गहराई से विश्लेषण करने के लिए ज़ी न्यूज़ की टीम ने उत्तराखंड, बिहार और मध्य प्रदेश के अलग-अलग मदरसों में जाकर वहां के छात्रों और शिक्षकों की सामान्य ज्ञान और पढ़ाई की स्थिति का निरीक्षण किया.
परिणाम बेहद चिंताजनक रहे
उत्तराखंड के मदरसे का हाल: देहरादून के एक मदरसे में शिक्षक को अपने ही राज्य के जिलों की संख्या तक का पता नहीं था. वहीं, छात्र देश के प्रधानमंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री के नाम तक नहीं बता सके.
बिहार के मदरसे में स्थिति: पटना के एक मदरसे में शिक्षकों का सामान्य ज्ञान बहुत खराब पाया गया. बच्चों को राज्यपाल और देश के राष्ट्रपति का नाम नहीं पता था. मध्य प्रदेश की राजधानी का जवाब एक छात्र ने तेलंगाना बताया.
मध्यप्रदेश के मदरसे की हकीकत: भोपाल के एक मदरसे में 11वीं कक्षा की छात्रा 15 का पहाड़ा तक नहीं सुना पा रही थी. कंप्यूटर पढ़ाने वाली टीचर को देश की राष्ट्रपति का नाम तक नहीं पता था.
शिक्षा प्रणाली में सुधार की जरूरत
रिपोर्ट्स से यह स्पष्ट है कि मदरसों में तालीम के नाम पर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है. योग्य शिक्षकों की कमी और शिक्षा की निम्न गुणवत्ता से न केवल छात्रों का विकास रुक रहा है, बल्कि वे बुनियादी शिक्षा से भी वंचित रह जा रहे हैं.
सरकार और समाज का रोल
सरकार को मदरसों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे. मदरसों में शिक्षकों की ट्रेनिंग और आधुनिक शिक्षा पद्धति को लागू करना जरूरी है ताकि वहां पढ़ने वाले बच्चों को भी मुख्यधारा की शिक्षा मिल सके. इसके साथ ही, वक्फ बोर्ड और संबंधित संस्थाओं को मदरसों की स्थिति सुधारने की दिशा में गंभीरता से काम करना होगा.