बहू डिंपल के कारण प्रधानमंत्री बनने से चूके मुलायम? पढ़ें 1996 का चौंका देने वाला किस्सा
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बहू डिंपल के कारण प्रधानमंत्री बनने से चूके मुलायम? पढ़ें 1996 का चौंका देने वाला किस्सा

Zee News Time Machine: भारतीय क्रिकेट के इतिहास में 13 मार्च 1996 को बदनुमा दाग दे जाने वाले दिन के तौर पर हमेशा याद किया जाता रहेगा. ये ऐसा दिन था जिसे भारतीय क्रिकेट का कोई भी फैन याद नहीं रखना चाहेगा.

बहू डिंपल के कारण प्रधानमंत्री बनने से चूके मुलायम? पढ़ें 1996 का चौंका देने वाला किस्सा

Time Machine on Zee News: ज़ी न्यूज के खास शो टाइम मशीन में हम आपको बताएंगे साल 1996 के उन किस्सों के बारे में जिसके बारे में शायद ही आपने सुना होगा. इसी साल वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में श्रीलंका से क्रिकेट मैच हारने के बाद विनोद कांबली रोने लगे थे. ये वही साल है जब अभिनेता सुनील शेट्टी ने सेक्स-ट्रैफिकिंग के चंगुल से नेपाल की रहने वाली 128 लड़कियों को बचाया था. 1996 में ही अटल बिहारी वाजपेयी 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने थे. इसी साल बहू डिंपल यादव की वजह से चूर-चूर हो गया था मुलायम सिंह यादव का पीएम बनने का सपना. आइये आपको बताते हैं साल 1996 की 10 अनसुनी अनकही कहानियों के बारे में.

मैच हारने के बाद रोने लगे कांबली

भारतीय क्रिकेट के इतिहास में 13 मार्च 1996 को बदनुमा दाग दे जाने वाले दिन के तौर पर हमेशा याद किया जाता रहेगा. ये ऐसा दिन था जिसे भारतीय क्रिकेट का कोई भी फैन याद नहीं रखना चाहेगा. साल 1996 में भारत और श्रीलंका के बीच वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल हुआ. इस मैच पर सबकी नजरें टिकी हुई थीं. इस सेमीफाइनल मैच के बारे में सोचने पर अब भी नाराज प्रशंसकों और आंसुओं से भरे विनोद कांबली के चेहरे की याद जेहन में ताजा हो जाती है. भारतीय बल्लेबाजी के ढहने के बाद दर्शक अनियंत्रित हो गए थे. उनके बुरे बर्ताव के कारण मैच पूरा नहीं हो सका और इसे श्रीलंका के नाम कर दिया गया. भारतीय टीम 252 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए एक समय 98 रन पर एक विकेट गंवाकर अच्छी स्थिति में थी, लेकिन सचिन तेंदुलकर के आउट होने के बाद टीम का बल्लेबाजी क्रम ढह गया और उसका स्कोर आठ विकेट पर 120 रन हो गया. दर्शकों ने इसके बाद मैदान पर बोतलें फेंकनी शुरू कर दी और स्टेडियम के एक हिस्से में बैठने के स्थान पर आग लगा दी थी जिसके बाद मैच रैफरी क्लाइव लाइड ने श्रीलंका को विजेता घोषित कर दिया.

नेपाल की महिलाओं के रक्षक सुनील शेट्टी

बॉलीवुड में कितने ही ऐसे कलाकर हैं, जो सिर्फ़ फिल्मों में ही हीरो नहीं बनते, बल्कि असल ज़िन्दगी में भी हीरो हैं. इन्हीं में से एक हैं सुनील शेट्टी. बॉलीवुड में ‘अन्ना’ के नाम से पहचाने जाने वाले सुनील शेट्टी ने 1996 में बहुत बड़ा काम किया था. 5 फरवरी 1996 को, मुंबई के कमाठीपुरा रेड लाइट एरिया में मुंबई पुलिस ने रेड मार के, 14 से 30 साल उम्र की 456 महिलाओं को सेक्स-ट्रैफिकिंग के चंगुल से छुड़ाया, इनमें से 128 महिलाएं नेपाल की थीं. इन महिलाओं के पास अपनी नागरिकता का कोई प्रूफ नहीं था, इसलिए नेपाल की सरकार को इन्हें वापिस लेने में हिचकिचाहट थी. ये खबर सुनील को पता चली और उन्होंने अपने हाथ में सिचुएशन लेते हुए इन सभी 128 लड़कियों के फ्लाइट के टिकट करवाए, इनके घर जाने का खर्चा उठाया और ये तय किया कि वो इन महिलाओं को सुरक्षित इनके घरों तक पहुंचाएंगे.

बाल ठाकरे के घर माइकल जैक्सन

1995 में महाराष्ट्र में पहली बार शिवसेना-भाजपा सरकार बनने के बाद शिव उद्योग सेना के बैनर तले राज ठाकरे ने अंधेरी उपनगर के स्टेडियम में माइकल जैक्सन का शो आयोजित किया था. उस वक्त माइकल जैक्सन को रिसीव करने एयरपोर्ट पर राज ठाकरे के साथ सोनाली बेंद्रे भी आई थीं. एक नवंबर, 1996 को हुए इस शो से पहले माइकल जैक्सन शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे से मिलने उनके बांद्रा स्थित आवास मातोश्री भी गए थे.

लालू का चारा घोटाला

चारा घोटाले का खुलासा साल 1996 में हुआ. उस वक्त लालू यादव बिहार के सीएम थे. चारा घोटाला मामले में कुल 56 आरोपियों के नाम शामिल हैं. जिनमें राजनेता, अफसर और चारासप्लायर तक जुड़े हुए थे. साल 1996 में उपायुक्त अमित खरे नेपशुपालन विभाग के दफ्तरों परछापा मारा और ऐसे दस्तावेज जब्त किए, जिनसे पता चला कि चारा आपूर्ति के नाम पर अस्तित्वहीन कंपनियों द्वारा धन की हेरा-फेरी की गई, जिसके बाद चारा घोटाला सामने आया. इसके बाद 11 मार्च 1996 को पटना हाई कोर्ट ने सीबीआई को इस घोटाले की जांच का आदेश दिया था. 27 मार्च 1996 को सीबीआई ने चाईबासा खजाना मामले में प्राथमिकी दर्ज की और 23 जून 1997 को सीबीआई ने आरोप पत्र दायर किया. जिसमें लालू प्रसाद यादव को आरोपी बनाया गया था. 30 जुलाई 1997 को राष्ट्रीय जनता दल यानी राजद के प्रमुख लालूप्रसाद ने सीबीआई अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था. उसके बाद अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

लिएंडर पेस ने ओलंपिक में जीता मेडल

1996 अटलांटा ओलंपिक में लिएंडर पेस ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था. आज भी वह भारत के इकलौते टेनिस खिलाड़ी हैं, जिन्होंने ओलिंपिक गेम्स में मेडल जीता. ये भारत का टेनिस में पहला ओलंपिक पदक था और 44 वर्षों के बाद पहला व्यक्तिगत पदक था. लिएंडर पेस जब अटलांटा पहुंचे तब वह केवल 23 साल के थे. उस समय उनकी वर्ल्ड रैंकिंग 126 थी. उन्होंने ग्रैंडस्लैम के एक भी सिंगल्स मुकाबले में जीत हासिल नहीं की थी. हालांकि वह डेविस कप में जरूर अपना शानदार खेल दुनिया को दिखा चुके थे. पेस को अटलांटा ओलिंपिक में वाइल्ड कार्ड से प्रवेश मिला था. पेस ने शुरुआती राउंड में रिचे रेनबर्ग, निकोलस पिरेरिया, थोमस और डिगो फुरलान को हराया था.

बहू की बदौलत पीएम बनने से चूके मुलायम!

साल 1996 में प्रधानमंत्री पद की रेस के लिए कई नाम आगे आए और इनमें से एक नाम सपा के कर्ता धर्ता मुलायम सिंह यादव का भी था. मुलायम सिंह यादव साल 1996 में प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए. दावों के मुताबिक, पीएम बनने के लिए मुलायम सिंह यादव लगभग फाइनल ही थे. यहां तक कि शपथ ग्रहण की तारीख और समय सब कुछ तय हो चुका था. लेकिन इसी बीच लालू प्रसाद यादव अपनी बेटी का रिश्ता लेकर मुलायम के घर जा पहुंचे. दरअसल लालू प्रसाद यादव अपनी बेटी की शादी अखिलेश यादव से करना चाह रहे थे. इस बात का पता जब अखिलेश को चला तो उन्होंने डिंपल से शादी की बात कही. जिसपर मुलायम ने पूरी कोशिश की, लेकिन जब अखिलेश नहीं माने तब लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने समर्थन नहीं दिया. इसके बाद मुलायम सिंह यादव की जगह एचडी देव गौड़ा को प्रधानमंत्री की शपथ दिलाई गई. इस तरह से मुलायम सिंह यादव पीएम बनते-बनते रह गए.

अटल बिहारी वाजपेयी बने प्रधानमंत्री

साल 1996 में भारतीय जनता पार्टी एक ऐसी पार्टी के रूप में ऊभरकर सामने आई, जिसने सभी को चौंका दिया. बीजेपी का सूर्योदय तो पहले ही हो चुका था लेकिन लोकसभा चुनावों के बाद 1996 में बीजेपी एक दमदार पार्टी बन चुकी थी. उस वक्त बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा कोई और नहीं बल्कि अटल बिहारी वाजपेयी ही माने जाते थे. अटल जी की हाजिर जवाबी और उनके काम की वजह से उन्हें लोग खूब पसंद करते थे. इसी वजह से अटल बिहारी वाजपेयी इस साल प्रधानमंत्री बने. अटल जी, पी वी नरसिम्हाराव के बाद अगले प्रधानमंत्री चुने गए. हालांकि, उनकी सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाई और 13 दिन में ही गिर गई. प्रधानमंत्री के तौर पर उनका ये कार्यकाल 13 दिन का ही रहा.

अमरनाथ यात्रा में हुआ हादसा

बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं. लेकिन कुदरत के कहर के आगे सबकुछ तहस नहस हो जाता है. ऐसा ही साल 1996 में हुआ था. जिस घटना को अमरनाथ यात्रा इतिहास की सबसे खौफनाक और बड़ी त्रासदी माना जाता है. 1996 में बाबा अमरनाथ यात्रा के दौरान भारी बर्फबारी और भूस्खलन हुआ था, जिसमें 242 श्रद्धालुओं की जान चली गई थी. हालत ये रही थी कि श्रद्धालु जान बचाने के लिए यात्रा कैंपों तक पहुंच नहीं पाए थे. उस समय रोजाना जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या पर सख्ती से पाबंदी नहीं होती थी. भयानक त्रासदी के बाद सरकार ने यात्रा को लेकर कई कड़े कदम उठाए थे.

चरखी दादरी में हुआ विमान हादसा

साल 1996 में हरियाणा के चरखी दादरी में एक बेहद ही भयानक विमान हादसा हुआ था. इस विमान हादसे को अबतक का देश का सबसे बड़ा विमान हादसा माना जाता है. इस विमान हादसे में करीब 349 लोग मौत के मुंह में समा गए थे. 12 नवंबर 1996 में चरखी दादरे की करीब गांव टिकान कलां व खेड़ी सनसनवाल के पास सऊदी अरब का मालवाहक विमान और कजाकिस्तान एयरलाइंस का यात्रियों से भरा विमान आपस में टकरा गया. टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि हादसे के साथ ही आसमान में बिजली सी कौंधी और दोनों विमानों में सवार 349 लोगों की जिंदगियां पलभर में मौत की नींद सो गईं. बताया जाता है कि, शाम करीब साढ़े 6 बजे ये हादसा हुआ. वहीं ये एक भीषण विमान हादसा था, जो कुछ ही घंटों बाद दुनियाभर में देश की बदनामी का बड़ा कारण बन गया. बताया जाता है कि, जिस वक्त ये टक्कर हुई, उस वक्त दोनों विमान चरखी दादरी के ऊपर से विपरीत दिशा में उड़ रहे थे. एक ने दिल्ली हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी, तो दूसरा दिल्ली में उतरने वाला था.

जब कांग्रेस छोड़ सिंधिया ने बनाई नई पार्टी

क्या आप जानते हैं कि, साल 1996 में माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस को छोड़कर नई  पार्टी बनाई थी. कांग्रेस से नाराज तीन बड़े नेता नारायण दत्त तिवारी, अर्जुन सिंह और माधवराव सिंधिया ने पार्टी छोड़ दी थी. इनमें मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने तिवारी कांग्रेस पार्टी का गठन कर लोकसभा का चुनाव लड़ा था तो माधवराव सिंदिया ने 'मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस' पार्टी का गठन किया था. 1996 के चुनाव में माधवराव सिंधिया इसी पार्टी से मैदान में उतरे थे और जीत दर्ज की थी. माधव राव सिंधिया की पार्टी का चुनाव चिन्ह 'ऊगता हुआ सूरज' था. आपको बता दें कि, 1 जनवरी 1996 को माधवराव सिंधिया ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री के पद से इस्तीफा दिया था. तब उनका नाम कुख्यात जैन-हवाला डायरी में आया था. तब कांग्रेस ने उन्हें लोकसभा चुनाव में टिकट देने से इंकार कर दिया था. इसी के बाद नाराज होकर सिंधिया ने नई पार्टी बनाई थी. हालांकि वो लंबे समय तक कांग्रेस से अलग नहीं रहे और वो फिर से पार्टी में वापस आ गए थे.

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