बेटी की शादी से 2 दिन पहले भारतीय सेना के सूबेदार देवेंद्र सिंह की रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई. इसके बाद उनकी बटालियन के जवानों ने सारी जिम्मेदारी संभालते हुए शादी का खर्च भी उठाया और पारंपरिक रूप से पिता का पवित्र कर्तव्य निभाते हुए 'कन्यादान' किया.
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उत्तर प्रदेश में मथुरा के रहने वाले भारतीय सेना के सूबेदार देवेंद्र सिंह बेटी की शादी के लिए घर आए थे. लेकिन, शादी के 2 पहले रोड एक्सीडेंट में उनकी मौत हो गई, जिसके बाद पूरा परिवार सदमे में आ गया और सारी प्लानिंग अस्त-व्यस्त हो गईं. उनकी बेटी ने भी शादी करने से मना कर दिया. देवेंद्र सिंह की मौत की बात जब भारतीय सेना की 20 जाट रेजिमेंट के जवानों को मिली तो दुख के समय में देवेंद्र सिंह के परिवार के साथ खड़े नजर आए. साथी जवान मथुरा पहुंचे और शादी का पूरा कार्यक्रम आयोजित किया. इसके साथ ही उन्होंने सूबेदार देवेंद्र सिंह की बेटी का कन्यादान भी किया. इस पल को देखकर हर कोई भावुक हो गया और आंखों से आंसू छलक पड़े.
रोड एक्सीडेंट में हो गई मौत
भारतीय सेना की 20 जाट रेजिमेंट के 48 वर्षीय सूबेदार देवेंद्र सिंह ने अपने अपनी बेटी की शादी की तैयारियों के लिए एक महीने पहले वीआरएस ले लिया था. शादी की तैयारियों प्लान के अनुसार चल रही थीं, लेकिन शादी से सिर्फ 2 दिन पहले एक दुखद घटना घटी. मथुरा में मांट-राया रोड पर उनकी कार ट्रैक्टर-ट्रॉली से टकरा गई, जिससे उनकी और उनके चचेरे भाई उदयवीर सिंह की मौके पर ही मौत हो गई. इसके बाद पूरे परिवार में मातम पसर गया और उनकी बेटी ने भी शादी करने से मना कर दिया. लेकिन, दुख के सबसे अंधेरे कोनों में भाईचारे के बंधन टिमटिमा रहे थे.
सेना के जवानों ने किया कन्यादान
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जैसे ही सूबेदार देवेंद्र सिंह के पूर्व कमांडिंग ऑफिसर कर्नल चंद्रकांत शर्मा को इस त्रासदी की खबर मिली, उन्होंने तुरंत मदद करने की ठान ली. उन्होंने बटालियन के पांच सैनिकों- सूबेदार सोनवीर सिंह और मुकेश कुमार, हवलदार प्रेमवीर, सिपाही विनोद और बेताल सिंह को पंजाब से मथुरा भेजा, ताकि वे अपने शहीद साथी की याद में श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें.
बटालियन के जवान मथुरा के मांट पहुंचे और परिवार की दुख की घड़ी में शामिल हुए. उन्होंने शोक संतप्त परिवार को सलाह दी और ज्योति से उसके पिता के सपने को पूरा करने का आग्रह किया. उन्होंने उसे धीरे से याद दिलाया कि उनके पिता यही चाहते थे. इतना ही नहीं, उन्होंने व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी संभाल ली और शादी का खर्च भी उठाया. उन्होंने मेहमानों की मेजबानी की और पारंपरिक रूप से पिता का पवित्र कर्तव्य निभाते हुए 'कन्यादान' किया. उनके हाथों में यह रस्म एक श्रद्धांजलि बन गई. उनकी वर्दी में सैन्य शक्ति नहीं, बल्कि पितृत्व की कोमलता झलकती नजर आई. इस नजारे को देखकर मौके पर मौजूद हर किसी के आंखों में आंसू भर आए.
दूल्हा सौरभ सिंह भी सेना में तैनात
दूल्हा सौरभ सिंह भी सेना का जवान है और मणिपुर में तैनात है, जो हाथरस के धनोती बुर्ज गांव से बारात लेकर आया था. उसके पिता हवलदार सत्यवीर सिंह ने एक बार देवेंद्र सिंह के साथ बटालियन में काम किया था. दुल्हन के चाचा नरेंद्र सिंह ने कहा, 'परिवार बिखर गया था. लेकिन, सैनिकों ने आगे आकर इस अवसर पर ताकत और गरिमा वापस ला दी.' दुल्हन के चचेरे भाई आकाश सिंह ने कहा, 'उनकी उपस्थिति ने सब कुछ बदल दिया. यहां तक कि कमांडिंग ऑफिसर कर्नल चंद्रकांत शर्मा ने भी परिवार से बात करके उन्हें सांत्वना दी.'