Violence In Manipur: नॉर्थ-ईस्ट में एक्टिव उग्रवादी संगठनों को हथियार कहां से मिलते हैं इसका पता चल गया है. खुफिया एंजेंसियों ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया है कि हथियार पहुंचाने के लिए किस रास्ते का इस्तेमाल होता है.
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Manipur China Conspiracy: मणिपुर (Manipur) में अशांति और बड़े पैमाने पर हिंसा फैलाने के लिए सीमा पार से साजिश रची जा रही है. ज़ी न्यूज़ को खुफिया एजेंसियों के सूत्रों से मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक, मणिपुर समेत नार्थ ईस्ट (North East) में सक्रिय उग्रवादियों को बड़ी संख्या में चीनी हथियार (Chinese Weapons) पहुंचाए जा रहे हैं. खुफिया एजेंसियों को शक है कि चीन के बने इन हथियारों का इस्तेमाल मणिपुर में आशांति फैलाने के लिए भी किया जा रहा है.
मणिपुर हिंसा के पीछे चीनी साजिश?
मणिपुर में पिछले कई दिनों से जारी हिंसा में भी जिन हथियारों का इस्तेमाल किया गया है. उनमें से कई चीन के बने हथियार हैं. खुफिया एजेंसियों को शक है कि म्यांमार चीन बॉर्डर पर स्थित ब्लैक मार्केट से हथियारों को म्यांमार सीमा पर लाया जा रहा है जहां से उन्हें मणिपुर में भी सप्लाई करने की साजिश हो रही है.
चीन की भूमिका पर खड़े हुए सवाल
ज़ी मीडिया को खुफिया एजेंसियों से ऐसे चीनी हथियारों की एक्सक्लूसिव तस्वीरें मिली हैं जिनका इस्तेमाल उग्रवादी गुट मणिपुर समेत नार्थ ईस्ट में हिंसा फैलाने के लिए कर रहे हैं. जानकारों के मुताबिक, देश के पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय उग्रवादी गुटों के पास जिस तरह से चीनी हथियार पहुंच रहे हैं वो चिंता की बात है. मणिपुर में भी उग्रवादी गुट इन्हीं हथियारों की मदद से हिंसा फैलाने की जानकारी मिल रही है. उग्रवादियों के कई कमांडरों के बारे में खुफिया जानकारी है कि वो चीन में छुपे हुए हैं. ऐसे में चीन की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.
चाइना मेड पिस्टल का उग्रवादी कर रहे इस्तेमाल
सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक, मणिपुर हिंसा में जिन चीनी हथियारों का इस्तेमाल उग्रवादी गुट कर रहे हैं उनमें चाइना मेड पिस्टल से लेकर एसाल्ट राईफल हैं. खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि मणिपुर में हथियारों को भेजने के लिए उग्रवादी संगठन भारत-म्यांमार की खुली सीमा के जरिए हथियारों को भारतीय सीमा में सप्लाई कराने की साजिश में लगे हुए हैं. मणिपुर में हिंसा को रोकने के लिए सीमा पर असम राइफल्स को अलर्ट कर दिया गया है और भारत म्यांमार के खुली सीमा पर लगातार नजर रखी जा रही है.
सुरक्षाबलों ने की ये तैयारी
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी उग्रवादी संगठनों से अपने हथियारों को केंद्रीय सुरक्षा बलों को जमा करने को कहा था. सुरक्षा एजेंसियों ने ये भी कहा था कि समय सीमा पूरी हो जाने के बाद जिन लोगों ने अपने अवैध हथियारों को जमा नहीं किया होगा. उन पर कड़ी करवाई की जाएगी. गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, 13 जून से 27 जून तक सुरक्षा बलों से लूटे गए 2,000 के करीब हथियारों को जमा कराया जा चुका है. मणिपुर में कानून व्यवस्था की स्थित को दुरुस्त करने के लिए 36,000 जवानों को तैनात किया गया है.
केंद्रीय सुरक्षा में तैनात एक अधिकारी के मुताबिक, कई उग्रवादी गुटों के भारत- म्यांमार से सटे म्यांमार के इलाकों में कैम्प हैं. जब भी इन गुटों पर सेना कार्रवाई करती है तो अक्सर ऐसे गुट भारत-म्यांमार की खुली सीमा का फायदा उठा कर म्यांमार की सीमा में दाखिल हो जाते हैं. जानकारी के मुताबिक, कुछ उग्रवादी गुटों के म्यांमार के यंगून (Yangon), मांडले (Mandalay) और सैंगिंयांग (Sagaing) में हेडक्वार्टर होने की जानकारी मिली है. इनमें से कई ऐसे भी हैं जो म्यांमार और चीन के बार्डर पर स्थित वां (Wa) इलाके से ऑपरेट करते हैं. चीन से मिले हथियारों की खेप को उत्तर पूर्व में लगातार सप्लाई करने के साथ साथ उग्रवादी गुटों में युवाओं की भर्ती में भी ये सभी गुट शामिल हैं.
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